पठित पद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न |

  1. जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि
     सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माँहि ।
     सुखिया सब संसार है, खावै अरु सोवै ।
     दुखिया दास कबीर है, जागे अरु रोवै।।

    1.’जब मैं था तब हरि नहीं’ से कवि का क्या आशय है ?
              क.         जब हरि नहीं थे तब मैं नहीं था
              ख.         जब में था तब हरि मुझे नहीं मिले
               ग.         जब मेरे मन में अहंकार था तब मुझे हरि के दर्शन नहीं हुए
               घ.         में था किन्तु हरि नहीं थे
    2.अहंकार समाप्त हो जाने पर कवि का जीवन कैसा हो गया ?
                 क.         उन्हें ईश्वर की सर्वव्यापकता का ज्ञान हो गया और उनको हरि की प्राप्ति हो गई
                ख.         उनका जीवन धन दोलत से भरपूर हो गया
                 ग.         उनका जीवन एक साधु की तरह हो गया ।
                 घ.         उनका जीवन निष्कलंक हो गया
     3.कवि ने यहाँ किस दीपक की बात की है?
             क.     प्रकाश फैलाने वाला दीपक
           ख.     शुद्ध घी से जलने वाला दीपक
          ग.         आत्मज्ञान रूपी दीपक
          घ.         सूर्य का प्रकाश
    4.सारा संसार कबीर की दृष्टि में सुखी क्यों है ?
              क.         क्योंकि उनको कोई चिंता नहीं है
              ख.         क्योंकि वे भोग-विलास में लिप्त हैं
               ग.         क्योंकि उनके लिए भोग-विलास ही सुख है
               घ.         उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं
    5.कबीर क्यों जागते और रोते हैं ?
                   क.         कबीर को नींद नहीं आती और उन्हें धन की चाह
                  ख.         कबीर को समाज की चिंता है। वे समाज को देखकर रोते हैं
                   ग.         कबीर सबको सुखी देखकर रोते हैं
                   घ.         कबीर को उनका भविष्य ज्ञात है, इसलिए वे रोते है

Answer

1. जब मेरे मन में अहंकार था तब मुझे हरि के दर्शन नहीं हुए
 2.उन्हें ईश्वर की सर्वव्यापकता का ज्ञान हो गया और उनको हरि की प्राप्ति हो गई
3.आत्मज्ञान रूपी दीपक
4.उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं
5. कबीर को समाज की चिंता है। वे समाज को देखकर रोते हैं


2.निंदक नेड़ा राखिये, आँगणि कुटी बँधाइ ।
बिन साबण पाणी बिना, निरमल करे सुभाई ।।
हम घर जाल्या आपणा, लिया मुराड़ा हाथि ।
अब घर जालों तास का, जे चलै हमारे साथि ।।



1,’कबीर’ किसका घर जलाना चाहते हैं ?
(a) ईश्वर की आलोचना करने वालों का
(c) अपने ज्ञानी व नास्तिक साथियों का
(b) सांसारिक विषय और भक्ति रूपी घर
(d) ईश्वरीय ज्ञान पिपासुओं का मोहरूपी घर



2. “हम घर जाल्यां आपणा” का आशय है :
(a) मोह-माया से मुक्त होना
(b) मोह-माया में लिप्त होना
(c) संन्यास धर्म ग्रहण करना
(d) घर-बार का त्याग करना



3.,निंदकों के सानिध्य का आचरण पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
a)   वाणी निर्मल हो जाती है
b)  स्वभाव निर्मल हो जाता है।
c)   शरीर निर्मल हो जाता है ।
d)  स्वभाव मलिन हो जाता है



4.निंदक’ कौन है ?
(a)कमियाँ बताने वाला
(b) अच्छाइयाँ बताने वाला
(c)सहायता करने वाला
(d) काम में आने वाला



 5.निंदक नेड़ा…’ साखी में कबीरदास जी ने अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए क्या उपाय सुझाया है?
a)  निंदक को अपने से दूर रखो।
b)   निंदक को आँगन में कुटिया बनाने दो।
c)    निंदक को अपने जीवन में स्थान दो।
d)   निंदक को साबुन-पानी दो।


Answer.

1.    ईश्वरीय ज्ञान पिपासुओं का मोहरूपी घर
2.      मोह-माया से मुक्त होना
3.      स्वभाव निर्मल हो जाता है।
4.      कमियाँ बताने वाला
5.      निंदक को अपने जीवन में स्थान दो।


3. सुखिया सब संसार है, खायै अरु सोवै।
  दुखिया दास कबीर है, जागै अरु रोवै॥
  बिरह भुवंगम तन बसै, मंत्र न लागै कोइ ।
  राम बियोगी ना जिवै, जिवै तो बौरा होइ ॥



(i) कबीरदास जी क्यों दुःखी हैं?
(a) ईश्वर से बिछुड़ने के कारण।
(b) ईश्वर को प्राप्त न कर सकने के कारण।
(c) विषय-वासनाओं में लिप्त मनुष्यों को देखकर ।
(d) ईश्वर भजन में लिप्त मनुष्यों को देखकर



(ii) ‘सोना’ और ‘जागना’ क्रमशः किसके प्रतीकार्य हैं?
(a) निद्रा और अनिद्रा के
(c) अज्ञान और ज्ञान के
(b) अंधकार और प्रकाश के
(d) दुख और सुख के



 (iii) उपर्युक्त साखी के अनुसार कबीर…………………………… को देखकर आँसू बहा रहे हैं।
(a) अपनी अज्ञानता
(b) अपने गुरुदेव
(c) अज्ञानी लोगों
(d) सुखी इंसानों



(iv) किस व्यक्ति पर ‘मंत्र’ का कोई प्रभाव नहीं दिखाई देता?
(a) जिसका मन सांसारिक विषय-वासनाओं में लिप्त हो।
(b) जिसका मन अहंकार की भावना से भरा हो।
(c) जिसके मन में विरह रूपी सर्प ने घर बसा लिया हो।
(d) जिसके मन में मिलन रूपी सर्प ने घर बसा लिया हो।



(v) कबीरदास जी के अनुसार ‘बौरा’ कौन है?
(a)  जिसे प्रभु का साक्षात्कार हो गया है।
(b)   जो प्रभु से विलग रहना चाहता है।
(c)  जो प्रभु की दिन-रात सेवा कर रहा है।
(d)   जो प्रभु के वियोग में जीवन व्यतीत कर रहा है।



(vi) ‘मंत्र न लगना’ का अर्थ है:
(a) पीड़ित व्यक्ति का स्वस्थ न होना
(c) मंत्र सिद्ध न होना
(b) विष का प्रभाव कम न होना
(d) कोई उपाय काम न आना


ANSWER

1.विषय-वासनाओं में लिप्त मनुष्यों को देखकर।
2. अज्ञान और ज्ञान के
3. अज्ञानी लोगों
4. जिसके मन में विरह रूपी सर्प ने घर बसा लिया हो।
5. जो प्रभु के वियोग में जीवन व्यतीत कर रहा है।
6. कोई उपाय काम न आना
 



4.कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढे बन माँहि ।
ऐसे घटि घटि राँम है, दुनियाँ देखे नाँहिं ।।
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि ।
सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माँहि ।।



1.     ‘कस्तूरी कुंडलि बसै…’ दोहे में किसका वर्णन किया गया है?
a)    कस्तूरी ढूँढ़ने वाले मृग का
b)    सांसारिकता में लीन मानव का
c)    अपनी ही विशेषता से अनजान मनुष्य का
d)    ईश्वर की सर्वव्यापकता का



2.      ‘जब मैं था तब हरि नहीं’ पंक्ति में ‘मैं’ से अभिप्राय है –
a)    अहंकार की भावना
b)    स्वार्थ की भावना
c) सांसारिक माया-मोह
d) स्वयं कवि



3.     ‘मन का आपा खोइ’ का क्या आशय है?
a)        अपने अहंकार को समाप्त करना
b)        कटु वाणी बोलना
c)        मधुर और विनम्र नहीं होना
d)        औरों के साथ असंगत व्यवहार करना



4.      ‘जब मैं था तब हरि नहीं’ दोहे के अनुसार हृदय में ईश्वर का निवास कब तक असंभव है?
a)  जब तक सच्चे हृदय से उसे याद न किया जाए।
b)  जब तक सांसारिक विषय-वासनाओं को न छोड़ा जाए ।
c)   जब तक अहंकारपूर्ण व्यवहार का नाश न किया जाए।
d)  जब तक सच्चे हृदय से उसकी सेवा न की जाए ।



5.     ‘जब मैं था …’ साखी में कबीरदास जी ने ‘दीपक’ की तुलना किससे की है?
a)  ज्ञान से
b)  रोशनी से
c)   बिजली के बल्ब से
d)  अज्ञान से



6.     ‘जब दीपक देख्या माँहि’ पंक्ति में ‘दीपक’ प्रतीकार्थ है –
a) प्रभु प्रेम के प्रकाश का
b)  रोशनी के साधन का
c)  प्रकाश का
d)  संपन्नता का



7.     ‘सब अंधियारा मिटि गया’ कबीर के ‘दोहे’ की इस पंक्ति में अँधियारा किसका प्रतीक है? –
a)  निराशा
b)  अहंकार
c)   अज्ञान
d)  कालिमा



8.    कवि ने यहाँ किस दीपक की बात की है?
a) प्रकाश फैलाने वाला दीपक
b) शुद्ध घी से जलने वाला दीपक
c) आत्मज्ञान रूपी दीपक
d) सूर्य का प्रकाश



9.   निम्नलिखित कथन तथा कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही    
   विकल्प चुनकर लिखिए:
कथन:  ईश्वर सृष्टि के कण-कण में निवास करते हैं पर हम उन्हें देख नहीं पाते ।
कारण : मनुष्य के पास दिव्य दृष्टि नहीं है।
a)  कथन तथा कारण दोनों गलत हैं।
b)  कथन गलत है, लेकिन कारण सही है।
c)   कथन सही है, लेकिन कारण उसकी गलत व्याख्या करता है।
d)  कथन तथा कारण दोनों सही हैं तथा कारण कथन की संही व्याख्या करता है।



10.     ‘ऐसैं घटि-घटि राम हैं’-पंक्ति का आशय है-
a)  ईश्वर तीर्थ स्थलों पर मिलते हैं।
b)  ईश्वर की प्राप्ति मंदिर-मस्ज़िद में होती है।
c)   ईश्वर को इधर-उधर ढूँढ़ना व्यर्थ है, वे हमारे भीतर ही मौजूद हैं।
d)  इनमें से कोई भी नहीं।


Answer
  1. 1.        अपनी ही विशेषता से अनजान मनुष्य का
    2.        अहंकार की भावना
    3.        अपने अहंकार को समाप्त करना
    4.        जब तक अहंकारपूर्ण व्यवहार का नाश न किया जाए।
    5.        ज्ञान से
    6.        प्रभु प्रेम के प्रकाश का
    7.        अज्ञान
    8.        आत्मज्ञान रूपी दीपक
    9.        कथन तथा कारण दोनों सही हैं तथा कारण कथन की संही व्याख्या करता है।
    10.      ईश्वर को इधर-उधर ढूँढ़ना व्यर्थ है, वे हमारे भीतर ही मौजूद हैं।


 
5. बिरह भुवंगम तन बसै, मंत्र न लागै कोइ |
   राम बियोगी ना जीवै, जिवै तो बौरा होइ ||
 हम घर जाल्या आपणाँ, लिया मुराड़ा हाथि |
 अब घर जालौं तास का, जे चलै हमारे साथि ||



(i)    विरह को भुवंगम कहने का कारण है –
(क) दोनों घनिष्ठ मित्र हैं
(ख) दोनों का स्वभाव समान है
(ग) दोनों की पीड़ा पागल बना देती है
(घ) दोनों धरती पर गमन करते हैं



(ii)   विरह भुवंगम…’ साखी में विरह’ को किसके समान बताया गया है?
(क)  भवन के समान
(ख) भुवन के समान
(ग) सर्प के समान
(घ) मंत्र के समान



(iii)  राम वियोगी की दशा होती है – –
(क) उसे राम वियोग के प्रभाव से कुछ नहीं होता
(ख) वह जीवित नहीं रहता
(ग) बौरा जाता है या जीवित नहीं रहता
(घ) वह राम वियोग में बौरा जाता है



(iv) ‘जिवै तो बौरा होइ’ पंक्ति में ‘बौरा’ शब्द का अर्थ है-
(क)    पागल होना
(ख)    बौर आना
(ग) बैर होना
(घ) वियोगी होना



(v)  ‘घर’ एवं ‘मुराड़ा’ क्रमशः प्रतीक हैं-
(क) मकान एवं ज्ञान
(ख) मकान एवं मशाल
(ग) मन की बुराइयाँ एवं जलती लकड़ी
(घ) मन की बुराइयाँ एवं ज्ञान



(vi) जे चलै हमारे साथि कबीर के साथी हैं –
(क) उनके साथ भक्ति के मार्ग पर चलने वाले लोग
(ख) साधु-संत
(ग) उनसे ज्ञान प्राप्त करने वाले शिष्य
(घ) इनमें से कोई भी नहीं


Answer.

1.दोनों की पीड़ा पागल बना देती है
 2. सर्प के समान
  3.बौरा जाता है या जीवित नहीं रहता
 4. पागल होना
  5. मन की बुराइयाँ एवं ज्ञान
 6. उनके साथ भक्ति के मार्ग पर चलने वाले लोग

 


 
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