आत्मत्राण CBSE कक्षा 10 हिंदी पाठ- 7 स्पर्श भाग 2 पुस्तक से बहुविकल्पीय प्रश्न। आत्मत्राण MCQ पठित पद्यांश पर आधारित प्रश्न-उत्तर |
1..विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं केवल इतना हो (करुणामय)
कभी न विपदा में पाऊँ भय ।
दुःख-ताप से, व्यथित चित्त को न दो सांत्वना नहीं सही पर इतना होवे (करुणामय)
दुःख को मैं कर सकूँ सदा जय।
कोई कहीं सहायक न मिले
तो अपना बल पौरुष न हिले;
हानि उठानी पड़े जगत् में लाभ अगर वंचना रही
तो भी मन मैं ना मानूँ क्षय ।।
(1) पद्यांश में कौन ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है?
(क) एक बालक
(ख) एक भक्त
(ग) स्वयं कवि
(घ) एक किसान
(2) विपदा के विषय में कवि ईश्वर से क्या प्रार्थना करता है?
(क) मुझे विपदा से बचा लेना
(ख) विपदा में मेरी सहायता करना
(ग) मैं विपदा में कभी भयभीत न होऊँ
(घ) विपक्ष मेरे लिए वरदान बन जाए
(3) कवि किस पर विजय पाने की प्रार्थना करता है?
(क) शत्रुओं पर
(ख) मित्रों पर
(ग) इंद्रियों पर
(घ) दुःखों पर
(4) कवि कैसी स्थिति में बल-पौरुष न हिलने की प्रार्थना करता है?
(क) जब सामने शत्रु खड़ा हो
(ग) जब हानि हो जाए
(ख) जब कोई सहायक न मिले
(घ) जब सफलता न मिले
(5) निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िए-
(i) कवि विपत्तियों से बचाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है
(ii) विपत्तियों से भयभीत न होने का आशीर्वाद माँग रहा है
(iii) वह स्वयं दुःख पर विजय प्राप्त करना चाहता है
(iv) जीवन में सहायक चाहता है।
(v) हिम्मत न हारने का आशीर्वाद चाहता है
पद्यांश से मेल खाते वाक्यों के लिए उचित विकल्प चुनिए-
(क)(i), (ii) और (iv)
(ख) (ii), (iii) और (v)
(ग) (i), (iv) और (v)
(घ) (ii), (iii) और (iv)
(6)’आत्मत्राण’ कविता में कवि किससे छुटकारा प्राप्त करना चाहता है?
(a) आत्मिक भय से
(c) हानि और लाभ से
(b) सुख और दुख से
(d) जीवन और मरण से
(7) ‘आत्मत्राण’ कविता के अनुवादक का नाम है :
(a) रवींद्रनाथ ठाकुर
(b) रवींद्रनाथ सिंह
(c) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
(d) हज़ारी प्रसाद चतुर्वेदी
(8)’आत्मत्राण’ कविता का केंद्रीय भाव है-
- प्रार्थना और अनुनय
- दया और करुणा
- दीनता और याचना
- स्वाभिमान और आत्मविश्वास
(9)कवि विपदाओं से अपने आप को बचाने का आग्रह क्यों नहीं करता ?
(क)ईश्वर पर भरोसा न होने के कारण
(ख) शत्रु नहीं होने के कारण
(ग) अपने पुरुषार्थ पर भरोसा होने के कारण
(घ) अपने को साहसी मानने के कारण
(10) ‘दुःख-ताप से व्यथित चित्त’ में ‘दुःख-ताप’ से क्या अभिप्राय है?
(क) कष्ट-पीड़ा
(ख) मानसिक-शारीरिक दुःख
(ग) भावनात्मक और शारीरिक दुःख
(घ) आंतरिक और बाह्य दुःख
(11) कवि के अनुसार दुःख पर जय कैसे की जा सकती है?
(क) ईश्वर की कृपा से
(ख) अपने आत्मबल से
(ग) ईश्वर की प्रार्थना से
(घ) दुःखों का सामना करके
(12) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A)-विपदाओं को दूर करने की प्रार्थना ईश्वर से नहीं करनी चाहिए।
कारण (R)-सुख-दुःख जीवन में आते-जाते रहते हैं।
(क) कथन (A) गलत है, किन्तु कारण (R) सही है।
(ख) कथन (A) और (R) कारण दोनों ही गलत हैं।
(ग) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है।
(घ) कथन (A) सही है किंतु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(13) पद्यांश में कौन-सा जीवन-कौशल निहित है-
(क) हनि-लाभ में विचलित न होना
(ख) अपने पुरुषार्थ पर विश्वास रखना
(ग) किसी की सहायता न लेना
(घ) विपदाओं से बचने की प्रार्थना न करना
(14) कवि प्रभु से क्या चाहता है?
(A) सुख
(B) शांति
(C) सहयोग
(D) मनोबल
(15)विषम परिस्थितियों में कवि क्या करना चाहता है ?
(A) परिस्थितियों से डरना
(B) हालात से समझौता करना
(C) मानसिक रूप से डरना
(D) मानसिक रूप से मज़बूत होना
(16) ‘दुःख-ताप’ का अर्थ है:
(A) भीषण गर्मी
(B) भीषण शीत
(C) भीषण दुख
(D) भीषण सुख
(17) ‘लाभ अगर वंचना रही’ का क्या आशय है ?
(A) कर्म के अनुकूल परिणाम न मिलना
(B) परिणाम के अनुरूप कर्म न करना
(C) कर्म और परिणाम के बीच संतुलन
(D) व्यापार में लाभ की जगह हानि
18)निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए विकल्पों से सही उत्तर चुनकर
लिखिए :
कथन: जीवन में कठिन परिस्थितियों का आना अवश्यंभावी है।
कारण: जीवन सुखद-दुखद परिस्थितियों के मध्य आगे बढ़ता है।
विकल्प :
(A) कथन और कारण दोनों सही हैं।
(B) कथन और कारण दोनों ग़लत हैं।
(C)कथन सही है, लेकिन कारण ग़लत है।
(D)कथन ग़लत है, लेकिन कारण सही है।
ANSWER
1.स्वयं कवि
2.मैं विपदा में कभी भयभीत न होऊँ
3.दुःखों पर
4.जब कोई सहायक न मिले
5.(ख) (ii), (iii) और (v)
6.आत्मिक भय से
7.हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
8.प्रार्थना और अनुनय
9.अपने पुरुषार्थ पर भरोसा होने के कारण
10.आंतरिक और बाह्य दुःख
11.अपने आत्मबल से
12.(घ) कथन (A) सही है किंतु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है।
13.अपने पुरुषार्थ पर विश्वास रखना
14.मनोबल
15.मानसिक रूप से मजबूत होना
16.भीषण दुःख
17.कर्म अनुकूल परिणाम न मिलना
18.कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं।
2. हानि उठानी पड़े जगत् में
लाभ अगर वंचना रहीं
तो भी मन में ना मानूँ क्षय ।।
मेरा त्राण करो अनुदिन तुम
यह मेरी प्रार्थना नहीं
बस इतना होवे (करुणामय)
तरने की हो शक्ति अनामय ।
(i) कवि ने ईश्वर की प्रार्थना, उसके किस रूप से की है?
(क) करुणामयी रूप से
(ख) रौद्र रूप से
(ग) महान् रूप से
(घ) विशालकाय रूप से
(ii) कविता के अनुसार ‘त्राण’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) मन की भय से मुक्ति या स्वयं अपनी सुरक्षा करना
(ख) नशे से मुक्ति
(ग) दुःखों से मुक्ति
(घ) रोगों से मुक्ति
iii) संसार में अगर हानि भी उठानी पड़े तो कवि क्या कहता है?
(क) लाभ फिर भी मिलता रहे
(ख) मन में ह्रास की स्थिति उत्पन्न न हो
(ग) क्षय रोग न हो
(घ) मन में ह्रास हो
(iv) कवि का नाम है-
(क) मैथिलीशरण गुप्त
(ग) कबीर
(ख) सुमित्रानंदन पंत
(घ) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(v) निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िए-
(1) कवि को सुख प्रिय है।
(II) कवि को पुरस्कार प्रिय है।
(III) कवि कार्य हानि होने पर भी क्षय नहीं मानना चाहता।
(IV) कवि ईश्वर की प्राप्ति नहीं चाहता।
पद्यांश से मेल खाते वाक्यों के लिए उचित विकल्प चुनिए-
(क) केवल (I)
(ख) केवल (II)
(ग) केवल (III)
(घ) केवल (IV)
ANSWER
1.करुणामयी रूप से
2.दुःखों से मुक्ति
3.मन में ह्रास की स्थिति उत्पन्न न हो
4.रवीन्द्रनाथ ठाकुर
5.(ग) केवल (III)
3.मेरा भार अगर लघु करके
न दो सांत्वना नहीं सही
केवल इतना रखना अनुनय
वहन कर सकूँ, इसको निर्भय
नत शिर होकर सुख के दिन में
तब मुख पहचानूँ छिन-छिन में।
दुःख-रात्रि में करें वंचना मेरी
जिस दिन निखिल मही
उस दिन ऐसा हो करुणामय,
तुम पर करूँ नहीं कुछ संशय ।।
(i) उपर्युक्त पद्यांश में कवि किस बात के लिए अनुनय कर रहा है?
(क) उसकी मुसीबतें कम हो जाएँ।
(ख) निर्भय होकर मुसीबतों का सामना करने की शक्ति प्राप्त हो जाए।
(ग) उसके मन में भय का वास रहे।
(घ) वह मुसीबतों का सामना न कर सके।
ii) सुख के दिनों में कवि क्या कहना चाहता है?
(क) एक क्षण के लिए भी ईश्वर को भूलना नहीं चाहता है।
(ख) भोग-विलास की जिंदगी व्यतीत करना चाहता है।
(ग) ग़रीबों की मदद करना चाहता है।
(घ) ईश्वर को याद करना नहीं चाहता।
(iii) कठिन परिस्थियों में भी कवि…..।
(क) ईश्वर से रुष्ट रहता है
(ख) वह मंदिर नहीं जाता
(ग) ईश्वर पर तनिक भी संदेह नहीं करना चाहता
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
(iv) ‘निखिल मही’ का अर्थ होगा –
(क) सभी लोग
(ख) सभी ग्रह
(ग) सभी देश
(घ) सम्पूर्ण पृथ्वी
v) निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िए-
(1) कवि ईश्वर से रूष्ट रहता है।
(11) कवि ईश्वर से प्रेम नहीं करता है।
(III) कवि धरती को श्राप मानता है।
(IV) कवि ईश्वर की प्रार्थना करूणामयी रूप से करता है।
पद्यांश से मेल खाते वाक्यों के लिए उचित विकल्प चुनिए –
(क) केवल (II)
(ख) केवल (III)
(ग) केवल (I)
(घ) केवल (IV)
ANSWER
1.निर्भय होकर मुसीबतों का सामना करने की
2.एक क्षण के लिए भी ईश्वर को भूलना नहीं चाहता है।
3.ईश्वर पर तनिक भी संदेह नहीं करना चाहता
4 .सम्पूर्ण पृथ्वी
5.केवल (IV)

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