तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र CBSE कक्षा 10 हिंदी ( स्पर्श भाग -2) पुस्तक से बहुविकल्पीय प्रश्न। तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र MCQ पठित गद्यांश पर आधारित   प्रश्न-उत्तर |


१)हमारी फिल्मों की सबसे बड़ी कमजोरी होती है, लोक तत्व का अभाव। वे जिंदगी से दूर होती है यदि त्रासद स्थितियों का चित्रांकन होता है तो उन्हें ग्लोरिफाई किया जाता है। दुःख का ऐसा वीभत्स रूप प्रस्तुत होता है जो दर्शकों का भावनात्मक शोषण कर सके और ‘तीसरी कसम’ की यह खास बात थी कि वह दुःख को भी सहज स्थिति में, जीवन-सापेक्ष प्रस्तुत करती है।

मैंने शैलेंद्र को गीतकार नहीं, कवि कहा है। वे सिनेमा की चकाचौंध के बीच रहते हुए यश और धन-लिप्सा से कोसों दूर थे। जो बात उनकी जिंदगी में थी वही उनके गीतों में भी। उनके गीतों में सिर्फ करुणा नहीं, जूझने का संकेत भी था और वह प्रक्रिया भी मौजूद थी जिसके तहत अपनी मंजिल तक पहुँचा जाता है। व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।

शैलेंद्र ने ‘तीसरी कसम’ को अपनी भावप्रणवता का सर्वश्रेष्ठ तथ्य प्रदान किया। मुकेश की आवाज में शैलेंद्र का यह गीत तो अद्वितीय बन गया है -सजनवा बैरी हो गए हमार चिठिया हो तो हर कोई बाँचे भाग न बाँचे कोय…… अभिनय के दृष्टिकोण से ‘तीसरी कसम’ राजकपूर की जिंदगी की सबसे हसीन फिल्म है। राजकपूर जिन्हें समीक्षक और कला-मर्मज्ञ आँखों से बात करने वाला कलाकार मानते हैं, ‘तीसरी कसम’ में मासूमियत के चर्मोत्कर्ष को छूते हैं। अभिनेता राजकपूर जितनी ताकत के साथ ‘तीसरी कसम’ में मौजूद हैं, उतना ‘जागते रहो’ में भी नहीं। ‘जागते रहो’ में राजकपूर के अभिनय को बहुत सराहा गया था, लेकिन ‘तीसरी कसम’ वह फिल्म है जिसमें राजकपूर अभिनय नहीं करता। वह हिरामन के साथ एकाकार हो गया है। खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान जो सिर्फ दिल की जुबान समझता है, दिमाग की नहीं। जिसके लिए मोहब्बत के सिवा  किसी दूसरी चीज़ का कोई अर्थ नहीं।


(1) हमारी फिल्मों की सबसे बड़ी कमजोरी है-

(क) कलात्मकता का अभाव

(ख) अच्छे संगीत का अभाव

(ग) लोक-तत्व का अभाव

(घ) हिंसा की अधिकता


(2) भारतीय फिल्मों में किसे ग्लोरिफाई किया जाता है?

(क) श्रृंगारिक दृश्यों को

(ख) त्रासद स्थितियों के चित्रांकन को

(ग) अपराध और हिंसा को

(घ) भोग-विलास को


(3) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-

कथन (A) : लेखक ने शैलेंद्र को गीतकार नहीं, कवि कहा है

कारण (R) : शैलेंद्र सिनेमा की चकाचौंध के बीच रहते हुए यश और धन-लिप्सा से कोसों दूर थे।

(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं

(ख) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है

(ग) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है

(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है


(4) शैलेंद्र के गीतों की विशेषताओं पर विचार कीजिए और उचित विकल्प का चयन कीजिए-

(i) करुणा का भाव

(ii) जूझने का संकेत

(iii) अपनी मंजिल तक पहुँचने की प्रक्रिया

(iv) दुःख का वीभत्स रूप

(क) (i) और (iii)

(ख) (ii) और (iii)

(ग) (i), (ii) और (iv)

(घ) (i), (ii) और (iii)


(5) व्यथा आदमी को करती है-

(क) पराजित

(ख) आगे बढ़ने के लिए प्रेरित

(ग) निराश

(घ) हतोत्साहित


प्रश्न 6: दुःख के विषय में ‘तीसरी कसम’ की यह खास बात थी कि –

(क) वह दुःख को भी सहज स्थिति में प्रस्तुत करती है

(ख) वह दुःख को जीवन-सापेक्ष प्रस्तुत करती है

(ग) दुख का कोई वीभत्स रूप प्रस्तुत नहीं करती

(घ) उपरोक्त सभी


प्रश्न 7: निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुन कर लिखिए।

कथन (A) – मैंने शैलेंद्र को गीतकार नहीं, कवि कहा है। वे सिनेमा की चकाचौंध के बीच रहते हुए यश और धन-लिप्सा से कोसों दूर थे। जो बात उनकी जिंदगी में थी वही उनके गीतों में भी।

कारण (R) – क्योंकि उनके गीतों में सिर्फ करुणा ही नहीं थी, बल्कि जिंदगी की मुश्किलों से जूझने का संकेत भी था और वह प्रक्रिया भी मौजूद थी जिसके अनुसार कोई अपनी मंजिल तक पहुँचा जाता है।

(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं

(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है

(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है

(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।


प्रश्न 8: तीसरी कसममें हिरामन को कैसे प्रस्तुत किया गया है –

(क) खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान जो सिर्फ दिल की जुबान समझता है

(ख) जिसके लिए मोहब्बत के सिवा किसी दूसरी चीज़ का कोई अर्थ नहीं।

(ग) वह दिमाग की बात नहीं सुनता

(घ) उपरोक्त सभी


ANSWER

1.लोक-तत्व का अभाव

2.त्रासद स्थितियों के चित्रांकन को

3.कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है

4.(i), (ii) और (iii)

5.आगे बढ़ने के लिए प्रेरित

6.उपरोक्त सभी

7.कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

8.उपरोक्त सभी


२)’रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति की। उनका ख्याल था कि दर्शक ‘चार दिशाएँ’ तो समझ सकते हैं- ‘दस दिशाएँ’ नहीं। लेकिन शैलेंद्र परिवर्तन के लिए तैयार नहीं हुए। उनका दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रुचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं

थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करें और उनका यकीन गलत नहीं था। यही नहीं, वे बहुत अच्छे गीत भी जो उन्होंने लिखे बेहद लोकप्रिय हुए। शैलेंद्र ने झूठे अभिजात्य को कभी नहीं अपनाया। उनके गीत भाव-प्रवण थे- दुरूह नहीं। ‘मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंगलिस्तानी, सर पे लाल टोपी रूसी, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’ – यह गीत शैलेंद्र ही लिख सकते थे। शांत नदी का प्रवाह और समुद्र की गहराई लिए हुए। यही विशेषता उनकी ज़िंदगी की थी और यही उन्होंने अपनी फ़िल्म के द्वारा भी साबित किया था।


(1) गीत ‘रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति की क्योंकि उनके अनुसार

(क) दस दिशाओं का गहन ज्ञान दर्शकों को नहीं होगा।

(ख) इससे दर्शकों की रुचियों का परिष्कार नहीं होगा।

(ग) जागरूक दर्शक ऐसी स्पष्ट बातें पसंद नहीं करते थे।

(घ) दर्शकों की रुचि के लिए उन पर उथलापन नहीं थोपना चाहिए।


(2) ‘उनका यह दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रुचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे।’

कथन के माध्यम से ज्ञात होता है कि शैलेंद्र हैं –

(क) दृढ़निश्चयी, सफल फ़िल्म निर्माता व कवि

(ख) सफल फ़िल्म निर्माता, गीतकार व कवि

(ग) समाज-सुधारक, कर्मयोगी गीतकार व कवि

(घ) आदर्शवादी, उच्चकोटि के गीतकार व कवि


(3) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।

कथन (A)-उनके गीत भाव-प्रवण थे- दुरूह नहीं।

कारण (R) – शैलेंद्र के द्वारा लिखे गीत भावनाओं से ओत-प्रोत थे, उनमें गहराई थी। गीतों की भाषा सहज, सरल थी, क्लिष्ट नहीं थी।

(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत है।

(ख) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।

(ग) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।

(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।


(4) ‘मेरा जूता है जापानी…… ”यह गीत शैलेंद्र ही लिख सकते थे। लेखक द्वारा ऐसा कहा जाना दर्शाता है, शैलेंद्र के प्रति उनका –

(क) कर्तव्यबोध

(ख) मैत्रीभाव

(ग) व्यक्तित्व

(घ) अवलोकन


(5) गद्यांश के आधार पर शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप मिलती है कि वे थे-

(क) बेहद गंभीर, उदार, दृढ इच्छाशक्ति और संकीर्णहृदय

(ख) बेहद गंभीर, उदार, कृपण और संकीर्णहृदय

(ग) बेहद गंभीर, भावुक, कृपण और दृढ इच्छाशक्ति

(घ) बेहद गंभीर, उदार, दृढ इच्छाशक्ति और भावुक


ANSWER

1.दस दिशाओं का गहन ज्ञान दर्शकों को नहीं होगा।

२. आदर्शवादी, उच्चकोटि के गीतकार व कवि

३. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

४. अवलोकन

५. बेहद गंभीर, उदार, दृढ इच्छाशक्ति और भावुक

३)ऐसा नही हैं कि शैलेंन्द्र बीस सालों तक फिल्म इंडस्ट्री में रहते हुए भी वहाँ के तौर-तरीकों से नावाकिफ थे, परंतु उनमें उलझकर वे अपनी आदमियत नहीं खो सके। श्री 420 का एक लोकप्रिय गीत है- प्यार हुआ, इकरार हुआ है, प्यार से फिर क्यूँ डरता है दिल। इसके अंतरे की एक पंक्ति- रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति की। उनका खयाल था कि दर्शक चार दिशाएँ तो समझ सकते हैं- दस दिखाएँ नहीं। लेकिन शैलेंद्र परिवर्तन के लिए तैयार नहीं हुए। उनका दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रूचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्त्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रूचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करें। और उनका यकीन गलत नहीं था। यही नहीं, वे बहुत अच्छे गीत भी जो उन्होने लिखे बेहद लोकप्रिय हुए। शैलेंद्र ने झूठे अभिजात्य को कभी नहीं अपनाया। उनके गीत भाव-प्रवण थे- दुरूह नहीं। मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंगलिस्तानी, सर पे लाल टोपी रूसी, फिर भी दिल है ‘हिंदुस्तानी’ यह गीत शैलेंद्र ही लिख सकते थे। शांत नदी का प्रवाह और समुद्र की गहराई लिए हुए। यही विशेषता उनकी जिंदगी की थी और यही उन्होंने अपनी फिल्म के द्वारा भी साबित किया था।


(1) श्री 420 का एक लोकप्रिय गीत है- प्यार हुआ, इकरार हुआ है, प्यार से फिर क्यूँ डरता है दिल। इसके अंतरे की एक पंक्ति- रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ पर संगीतकार जयकिशन द्वारा आपत्ति करने के कारणों पर विचार कीजिए और उचित विकल्प का चयन कीजिए-

(i) उनका खयाल था कि दर्शक चार दिशाएँ तो समझ सकते हैं- दस दिशाएँ नहीं।

(ii) उनका दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रूचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए।

 (iii) उनके अनुसार कलाकार का यह कर्त्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रूचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करें।

(iv) उनका दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रूचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर थोपना चाहिए।

(क) केवल (i)

(ख) (i) और (ii)

(ग) केवल (iii)

(घ) केवल (iv)


(2) फिल्म इंडस्ट्री के तौर-तरीकों में उलझकर शैलेंद्र क्या नहीं खोना चाहते थे?

(क) अपनी इज्जत

(ख) अपनी आदमियत

(ग) अपनी पहचान

(घ) अपनी दौलत


(3) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई सही विकल्प चुनकर लिखिए।

कथन (A): संगीतकार जयकिशन को गीत की एक पंक्ति पर आपत्ति थी।

कारण (R) : जयकिशन के अनुसार वह पंक्ति गीत से मेल नहीं खाती थी।

(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत है।

(ख) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।

(ग) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है

(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।


(4) कलाकार का कर्तव्य है कि

(क) वह उपभोक्ता की रूचियों का परिष्कार करें

(ख) वह उपभोक्ता की रूचियों की चिंता न करें

(ग) वह अधिक-से-अधिक धन कमाए

(घ) वह उपभोक्ता की रूचियों को बढ़ाए


5) कलाकार का यह कर्त्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रूचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करें-पंक्ति में परिष्कारका क्या अर्थ है?

क . सुधार करना

ख . निंदा करना

ग. त्याग करना

घ. सम्मान करना


ANSWER

1.केवल (i)

2.अपनी आदमियत

3.कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

4.वह उपभोक्ता की रूचियों का परिष्कार करें

5.सुधार करना


. गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –

‘संगम’ की अद्भुत सफलता ने राजकपूर में गहन आत्मविश्वास भर दिया और उसने एक साथ चार फिल्मों के निर्माण की घोषणा की -‘मेरा नाम जोकर’, ‘अजंता’, ‘मैं और मेरा दोस्त’ और ‘सत्यम शिवम् सुंदरम’। पर जब 1965 में राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ का निर्माण आरम्भ किया तब संभवतः उसने भी यह कल्पना नहीं की होगी कि इस फिल्म का एक ही भाग बनाने में छह वर्षों का समय लग जायेगा। इन छह वर्षों के अंतराल में राजकपूर द्वारा अभिनीत कई फ़िल्में प्रदर्शित हुईं, जिनमें सन 1966 में प्रदर्शित कवि शैलेंद्र कि ‘तीसरी कसम’ भी शामिल है। यह वह फिल्म है जिसमें राजकपूर ने अपने जीवन की सर्वोत्कृष्ट भूमिका अदा की। यही नहीं ‘तीसरी कसम’ वह फिल्म है जिसने हिंदी साहित्य की एक अत्यंत मार्मिक कृति को सैल्यूलाइड पर पूरी सार्थकता से उतारा। ‘तीसरी कसम’ फिल्म नहीं, सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी। ‘तीसरी कसम’ शैलेंद्र के जीवन की पहली और अंतिम फिल्म है। ‘तीसरी कसम’ को ‘राष्ट्रपति स्वर्णपदक’ मिला, बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ फिल्म और कई अन्य पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया गया। मास्को फिल्म फेस्टिवल में भी यह फिल्म पुरस्कृत हुई। इसकी कलात्मकता की लंबी-चौड़ी तारीफें हुई। इसमें शैलेंद्र की संवेदनशीलता पूरी शिद्दत के साथ मौजूद है। उन्होंने ऐसी फिल्म बनाई थी जिसे सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था।


प्रश्न 1: ‘संगम’ की अद्भुत सफलता के बाद राजकपूर ने किन फिल्मों के निर्माण की घोषणा की –

(क) ‘मेरा नाम जोकर’, ‘अजंता’

(ख) ‘मैं और मेरा दोस्त’ ‘सत्यम शिवम् सुंदरम’

(ग) ‘मेरा नाम जोकर’, ‘तीसरी कसम’

(घ) (क) और (ख) दोनों


प्रश्न 2: राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ का निर्माण कब आरम्भ किया और इसे समाप्त होने में कितना समय लगा

(क) 1964 में आरम्भ और समाप्ति में लगभग 6 वर्ष लगे

(ख) 1965 में आरम्भ और समाप्ति में लगभग 6 वर्ष लगे

(ग) 1955 में आरम्भ और समाप्ति में लगभग 6 वर्ष लगे

(घ) 1965 में आरम्भ और समाप्ति में लगभग 7 वर्ष लगे


प्रश्न 3: निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुन कर लिखिए।

कथन (A) – तीसरी कसम में शैलेंद्र की संवेदनशीलता पूरी शिद्दत के साथ मौजूद है। उन्होंने ऐसी फिल्म बनाई थी जिसे सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था।

कारण (R) – ‘तीसरी कसम’ वह फिल्म है जिसने हिंदी साहित्य की एक अत्यंत मार्मिक कृति को सैल्यूलाइड पर पूरी सार्थकता से उतारा। ‘तीसरी कसम’ फिल्म नहीं, सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी। ‘तीसरी कसम’ को ‘राष्ट्रपति स्वर्णपदक’ मिला, बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ फिल्म और कई अन्य पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया गया।

(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं

(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है

(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है

(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।


प्रश्न 4: ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को कौन से पुरुस्कार मिले – –

(क) ‘राष्ट्रपति स्वर्णपदक’

(ख) बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ फिल्म

(ग) मास्को फिल्म फेस्टिवल में भी यह फिल्म पुरस्कृत हुई

(घ) उपरोक्त सभी


प्रश्न 5: गद्यांश से शैलेन्द्र के बारे में पता चलता है कि वे थे –

(क) बेहतरीन लेखक व् सच्चा कवि-हृदय

(ख) बेहतरीन लेखक

(ग) संगीतज्ञ

(घ) बेहतरीन कवि व् निर्देशक


ANSWER

1.और (ख) दोनों

2.1965 में आरम्भ और समाप्ति में लगभग 6 वर्ष लगे

3.कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

4.उपरोक्त सभी

5.बेहतरीन लेखक व् सच्चा कवि-हृदय

.५. गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –

राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेंद्र को फिल्म की असफलता के खतरों से आगाह भी किया। पर वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार सम्पति और यश तक की इतनी कामना नहीं थी जितनी आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी। ‘तीसरी कसम’ कितनी ही महान फिल्म क्यों न रही हो, लेकिन यह एक दुखद सत्य है कि इसे प्रदर्शित करने के लिए बमुश्किल वितरक मिले। बावजूद इसके कि ‘तीसरी कसम’ में राजकपूर और वहीदा रहमान जैसे नामज़द सितारे थे, शंकर-जयकिशन का संगीत था, जिनकी लोकप्रियता उन दिनों सातवें आसमान पर थी और इसके गीत भी फ़िल्म के प्रदर्शन के पूर्व ही बेहद लोकप्रिय हो चुके थे, लेकिन इस फिल्म को खरीदने वाला कोई नहीं था। दरअसल इस फिल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने का गणित जानने वाले की समझ से परे थी। उसमें रची-बसी करुणा तराजू पर तौली जा सकने वाली चीज़ नहीं थी। इसीलिए बमुश्किल जब ‘तीसरी कसम’ रिलीज़ हुई तो इसका कोई प्रचार नहीं हुआ। फ़िल्म कब आई, कब चली गई, मालूम ही नहीं पड़ा। ऐसा नहीं है कि शैलेंद्र बीस सालों तक फ़िल्म इंडस्ट्री में रहते हुए भी वहाँ के तौर-तरीकों से नावाकिफ़ थे। परन्तु उन में उलझकर वे अपनी आदमियता नहीं खो सकते थे। ‘श्री 420’ का एक लोकप्रिय गीत है – ‘प्यार हुआ, इकरार हुआ है, प्यार से फिर क्यूँ डरता है दिल।’ इसके अंतरे की एक पंक्ति- ‘रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति की। उनका ख्याल था कि दर्शक ‘चार दिशाएँ तो समझ सकते हैं- ‘दस दिशाएँ’ नहीं। लेकिन शैलेंद्र परिवर्तन के लिए तैयार नहीं हुए। उनका दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रूचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे। और उनका यकीन गलत नहीं था। यही नहीं, वे बहुत अच्छे गीत भी जो उन्होंने लिखे बेहद लोकप्रिय हुए। शैलेंद्र ने झूठे अभिजात्य को कभी नहीं अपनाया। उनके गीत भाव-प्रणव थे-दुरूह नहीं। ‘मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंग्लिस्तानी, सर पे लाल टोपी रुसी, फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी’ यह गीत शैलेंद्र ही लिख सकते थे। शांत नदी का प्रवाह और समुद्र की गहराई लिए हुए। यही विशेषता उनकी जिंदगी की थी और यही उन्होंने अपनी फिल्म के द्वारा भी साबित किया था।


प्रश्न 1. राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेंद्र को किससे आगाह किया –

(क) फ़िल्म की बेकार कहानी से

(ख) बेकार निर्देशन से

(ग) फ़िल्म की सफलता से

(घ) फिल्म की असफलता के खतरों से


प्रश्न 2. शैलेंद्र को किस चीज़ की इच्छा थी – –

(क) अपार सम्पति

(ख) यश की अभिलाषा

(ग) आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा


प्रश्न 3: निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुन कर लिखिए।

कथन (A) – बावजूद इसके कि ‘तीसरी कसम’ में राजकपूर और वहीदा रहमान जैसे नामज़द सितारे थे, शंकर-जयकिशन का संगीत था, जिनकी लोकप्रियता उन दिनों सातवें आसमान पर थी और इसके गीत भी फ़िल्म के प्रदर्शन के पूर्व ही बेहद लोकप्रिय हो चुके थे, लेकिन इस फिल्म को खरीदने वाला कोई नहीं था।

कारण (R) – दरअसल इस फिल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने का गणित जानने वाले की समझ से परे थी। उसमें रची-बसी करुणा तराजू पर तौली जा सकने वाली चीज़ नहीं थी। इसीलिए बमुश्किल जब ‘तीसरी कसम’ रिलीज़ हुई तो इसका कोई प्चार नहीं हुआ। फ़िल्म कब आई, कब चली गई, मालूम ही नहीं पड़ा।

(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं

(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है

(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है

(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।


प्रश्न 4: तीसरी कसमजब रिलीज़ हुई तो इसका प्रचार क्यों नहीं हुआ-

(क) उसमें रची-बसी करुणा तराजू पर तौली जा सकने वाली चीज़ नहीं थी

(ख) इसे प्रदर्शित करने के लिए बमुश्किल वितरक मिले

(ग) ‘तीसरी कसम’ में राजकपूर और वहीदा रहमान जैसे नामज़द सितारे थे

(घ) शंकर-जयकिशन का संगीत था


प्रश्न 5: गद्यांश से राजकपूर के बारे में पता चलता है कि वे थे –

(क) बेहतरीन नायक व् नामज़द सितारे

(ख) बेहतरीन लेखक

(ग) एक अच्छे और सच्चे मित्र

(घ) (क) और (ग) दोनों


प्रश्न 6: राज कपूर ने शैलेंद्र को किस बात से आगाह किया था ?

(a) फ़िल्म का किसी को समझ न आने वाली बात से ।

(b) फ़िल्म से कोई आर्थिक लाभ न मिलने वाली बात से।

(c) फ़िल्म निर्माण में होने वाली परेशानियों से ।

(d) फ़िल्म की संभावित असफलता के खतरों से ।


प्रश्न 7: शैलेंद्र को किस प्रकार का व्यक्ति माना जा सकता है ?

(a) कुशल फ़िल्म निर्माता

(b) प्रसिद्ध गीतकार

(c) आदर्शवादी भावुक कवि

(d) आत्म-संतुष्ट व्यक्ति


प्रश्न 8:  ‘तीसरी कसमफ़िल्म का दुःखद सत्य क्या था ?

(a) फ़िल्म के लिए खरीददार का न मिलना।

(b) लोगों का फ़िल्म को न समझ पाना ।

(c) फ़िल्म का रूपहले पर्दे पर न पहुँच पाना।

(d) फ़िल्म को प्रसिद्धि न मिल पाना।


 प्रश्न 9:  गद्यांश में आई पंक्ति ‘दो से चार बनाने का गणित’ का अर्थ है :

(a) अधिक से अधिक धन कमाना।

(b) संख्याओं को जोड़ने का हिसाब ।

(c) अधिक से अधिक मुनाफा कमाना।

(d) संख्याओं को गुणा करने का हिसाब।


प्रश्न 10:  “उसमें रची-बसी करुणा तराजू पर तौली जा सकने वाली चीज़ नहीं थी।” पंक्ति का आशय है :

(a) यह करुणा अनुभूति का विषय थी, नाप-तोल का नहीं।

(b) यह करुणा बुद्धि का विषय थी, नाप-तोल का नहीं।

(c) यह करुणा हृदय का विषय थी, नाप-तोल का नहीं।

(d) यह करुणा भावना का विषय थी, नाप-तोल का नहीं।


ANSWER

1.फिल्म की असफलता के खतरों से

2. आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा

3.  कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

4. उसमें रची-बसी करुणा तराजू पर तौली जा सकने वाली चीज़ नहीं थी

5. (घ) (क) और (ग) दोनों

6. फ़िल्म की संभावित असफलता के खतरों से।

7. आदर्शवादी भावुक कवि

8. फ़िल्म के लिए खरीददार का न मिलना।

9. अधिक से अधिक मुनाफ़ा कमाना ।

10.यह करुणा अनुभूति का विषय थी, नाप-तोल का नहीं।

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