बड़े भाई साहब (PADBANDH AND WAKY RUPANTARAN)
बड़े भाई साहब
पदबंध
- कमरे में आते ही भाई साहब का वह रुद्र-रूप देखकर प्राण सूख जाते।
- भाई साहब हरदम किताब खोले बैठे रहते|
- वह स्वभाव से बड़े अध्ययनशील थे।
- मैं यह लताड़ सुनकर आँसू बहाने लगता।
- मैदान की वह सुखद हरियाली मुझे खींच ले जाती
- भोजन आज मुझे निःस्वाद-सा लग रहा था।
- भाई साहब ने प्राणांतक परिश्रम किया।
- उनकी नज़र बचाकर कनकौए उड़ाता था।
- दादा की गाढ़ी कमाई के रुपयों को क्यों ख़राब करते हो।
- भाई साहब का वह आंतक मुझ पर नहीं था।
- आठवीं जमात वाले लीडर या समाचार पत्रों के संपादक हैं|
- मैं कनकौआ लूटने बेतहाशा दौड़ा जा रहा था।
- संयोग से उसी वक्त एक कटा हुआ कनकौआ हमारे ऊपर से गुजरा।
- लड़कों का एक गोल पीछे-पीछे दौड़ा चला आता था।
- उतनी मेहनत से मुझे तो चक्कर आ जाता था
- मैं इरादा करता कि आगे से खूब जी लगाकर पढूँगा।
- मैं तो खेलते-कूदते दरजे में अव्वल आ गया।
- किताब के हाशियों पर चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों की तसवीरें बनाया करते थे।
- एक जमाना था कि लोग आठवाँ दरजा पास करके नायब तहसीलदार हो जाते थे।
- भाई साहब ने अपने दरजे की पढ़ाई का भयंकर चित्र खींचा था। (रेखांकित पदबंध का भेद लिखिए।)
- बालकों की पूरी सेना लग्गे और झाड़दार बाँस लिए इनका स्वागत करने को दौड़ी आ रही थी।
- संसार के सभी महीप उसे कर देते थे
ANSWER
- संज्ञा पदबंध
- क्रिया पदबंध
- विशेषण पदबंध
- क्रिया- विशेषण पदबंध
- संज्ञा पदबंध
- क्रिया पदबंध
- क्रिया- विशेषण पदबंध
- क्रिया- विशेषण पदबंध
- संज्ञा पदबंध
- विशेषण पदबंध
- आठवीं जमात वाले (विशेषण पदबंध )आठवीं जमात वाले लीडर (संज्ञा पदबंध )
- क्रिया- विशेषण पदबंध
- संज्ञा पदबंध
- क्रिया- विशेषण पदबंध
- क्रिया पदबंध
- क्रिया- विशेषण पदबंध
- ‘क्रिया विशेषण पदबंध
- किताब के हाशियों पर (क्रिया विशेषण पदबंध)चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों की तसवीरें (संज्ञा पदबंध )बनाया करते थे।(क्रिया पदबंध)
- संज्ञा पदबंध
- अपने दरजे की पढ़ाई का भयंकर चित्र – संज्ञा पदबंध ) ,अपने दरजे की पढ़ाई का भयंकर–विशेषण पदबंध
- संज्ञा पदबंध
- विशेषण पदबंध
बड़े भाई साहब
रचना के आधार पर वाक्य रूपांतरण
- मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े थे , लेकिन केवल तीन दरजे आगे।
- उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था, जब मैंने शुरू किया था |
- मेरी उम्र नौ साल की थी और वह चौदह साल के थे।
- मेरी शालीनता इसी में थी कि उनके हुक्म को कानून समझुँ|(सरल वाक्य में बदलिए)
- वह स्वभाव से बड़े अध्ययनशील थे।
- मेरा मौन कह देता था कि मुझे अपना अपराध स्वीकार है|
- यह तो समय की किफ़ायत नहीं, बल्कि उसका दुरुपयोग है|
- समय की पाबंदी पर संक्षेप में एक निबंध लिखो, जो चार पन्नों से कम न हो।
- लाख फेल हो गया हूँ, लेकिन तुमसे बड़ा हूँ|
- जो कुछ कहता हूँ उसे गिरह बाँधिए। (सरल वाक्य में)
- अपने ऊपर जो विश्वास पैदा हुआ था, वह फिर लुप्त हो गया|(सरल वाक्य में बदलिए)
- मेरे और भाई साहब के बीच में अब केवल एक दरजे का अंतर रह गया।
- जब नतीजा सुनाया गया, तो वह रो पड़े ।(संयुक्त वाक्य में बदलिए)
- अब भाई साहब बहुत कुछ नरम पड़ गए थे।
- मुझे कुछ ऐसी धारणा हुई कि मैं पास ही हो जाऊँगा|
- एक जमाना था कि लोग आठवाँ दरजा पास करके नायब तहसीलदार हो जाते थे।
- समझ किताबें पढ़ने से नहीं आती बल्कि दुनिया देखने से आती है।
- उन्हें दुनिया का हमसे ज्यादा तजुरबा है और रहेगा।
- जब से उनकी माता जी ने प्रबंध अपने हाथ में ले लिया है, जैसे घर में लक्ष्मी आ गई है।(सरल वाक्य में बदलिए)
- मुझे आज सचमुच अपनी लघुता का अनुभव हुआ और भाई साहब के प्रति मेरे मन में श्रद्धा उत्पन्न हुई।
- जो रुपए दादा भेजते हैं, उसे हम बीस-बाईस तक खर्च कर डालते हैं। (सरल वाक्य में बदलिए)
- मेरे बीमार होने पर तुम्हारे हाथ-पाँव फूल जाएँगे। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
- लड़कों का एक झुंड पतंग के पीछे-पीछे दौड़ा चला आ रहा था। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
- भाई साहब ने उछलकर पतंग की डोर पकड़ ली। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
- वे हरदम किताबे खोलकर अध्ययन करते रहते थे।(संयुक्त वाक्य में बदलिए)
- मैं सफल हुआ और कक्षा में प्रथम स्थान पर आया (सरल वाक्य में बदलिए)
- सफल खिलाड़ी का कोई निशाना खाली नहीं जाता। (मिश्र वाक्य में बदलिए ।)
- मेरे दरजे में आओगे, तो दाँतों पसीना आ जाएगा। (सरल वाक्य में रूपांतरित कीजिए ।)
- जैसे ही हेनरी सातवें की जगह आठवाँ लिखा वैसे ही सब नंबर गायब ! (रचना की दृष्टि से वाक्य-भेद लिखिए ।)
- अपनी बात चटपट कहो और अपनी राह लो। (रचना की दृष्टि से वाक्य-भेद लिखिए ।)
- मैं तुमसे हमेशा पाँच साल बड़ा रहूँगा। (संयुक्त वाक्य में बदलिए ।)
- मैं यह लताड़ सुनता और आँसू बहाने लगता। (सरल वाक्य में बदलिए ।)
- मेरे भाई साहब उपदेश की कला में निपुण थे । (मिश्र वाक्य में रूपांतरित कीजिए ।)
- अपराध करने पर भी लताड़ कौन सहे ? (रचना की दृष्टि से वाक्य-भेद लिखिए ।)
- ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते कि मेरे जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते । (रचना की दृष्टि से वाक्य-भेद लिखिए
ANSWER
- संयुक्त वाक्य
- मिश्र वाक्य
- संयुक्त वाक्य
- मेरी शालीनता उनके हुक्म को कानून समझने में थी
- सरल वाक्य
- मिश्र वाक्य
- संयुक्त वाक्य
- मिश्र वाक्य
- संयुक्त वाक्य
- मेरे कहे को गिरह बाँधिए।
- अपने ऊपर पैदा हुआ विश्वास फिर लुप्त हो गया।
- सरल वाक्य
- नतीजा सुनाया गया और वह रो पड़े ।
- सरल वाक्य
- मिश्र वाक्य
- मिश्र वाक्य
- संयुक्त वाक्य
- सरल वाक्य
- उनकी माता जी के प्रबंध हाथ में लेने के बाद से घर में लक्ष्मी आ गयी हैं|
- संयुक्त वाक्य
- दादा के भेजे रुपये हम बीच-बाईस तक खर्च कर डालते है।
- यदि मैं बीमार हुआ तो तुम्हारा हाथ पाँव फूल जाएँगे।
- लड़कों का एक झुण्ड था जो पतंग के पीछे-पीछे दौड़ा चला आ रहा था।
- भाई साहब उछले और उन्होंने पतंग की डोर पकड़ ली।
- वे हरदम किताबें खोलकर रखते थे और अध्ययन करते रहते थे।
- मैं सफल होने के साथ-साथ कक्षा में प्रथम स्थान पर भी आया।
- जो सफल खिलाड़ी होता है उसका कोई निशाना खाली नहीं जाता।
- मेरे दरजे में आने पर दाँतों पसीना आ जाएगा।
- मिश्र वाक्य
- संयुक्त वाक्य
- मैं तुमसे पाँच साल बड़ा हूँ और हमेशा रहूँगा।
- मैं यह लताड़ सुनकर आँसू बहाने लगता ।
- जो मेरे भाई साहब थे/मेरे जो भाई साहब थे वे उपदेश की कला में निपुण थे।
- सरल वाक्य
- मिश्र वाक्य

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