Important Padbandh and Waky Rupantaran (स्पर्श भाग-2)
- शैलेंद्र तो फ़िल्म-निर्माता बनने के लिए सर्वथा अयोग्य थे।
- फ़िल्म की हीरोइन वहीदा रहमान ने भी वैसा ही अभिनय कर दिखाया जैसी उनसे उम्मीद थी।
- वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था|
- शैलेंद्र का मुरझाया हुआ चेहरा देखकर राजकपूर ने मुस्कुराते हुए कहा।
- राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेंद्र को फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह भी किया।
- वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था|
- ‘तीसरी कसम’ में राजकपूर और वहीदा रहमान जैसे नामजद सितारे थे|
- खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान जो सिर्फ दिल की जुबान समझता है।
- छींट की सस्ती साड़ी में लिपटी ‘हीराबाई’ ने वहीदा रहमान की प्रसिद्ध ऊँचाइयों को बहुत पीछे छोड़ दिया था।
- राजकपूर जिन्हें समीक्षक और कला-मर्मज्ञ आँखों से बात करने वाला कलाकार मानते हैं|
- जब वह एशिया के सबसे बड़े शोमैन के रूप में स्थापित हो चुके थे|
- ‘तीसरी कसम’ में वह महिमामय व्यक्तित्व पूरी तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया है।
- हीराबाई की फेनू-गिलासी बोली पर रीझता हुआ हीरामन बन गया है।
- उसकी ‘मनुआ-नटुआ’ जैसी भोली सूरत पर न्योछावर होता हुआ सच्चा हीरामन बन गया है।
- शैलेंद्र के गीत समुद्र की गहराई लिए हुए थी ।
Answer
- विशेषण पदबंध
- संज्ञा पदबंध
- आदर्शवादी भावुक(विशेषण पदबंध)
- संज्ञा पदबंध
- संज्ञा पदबंध
- संज्ञा पदबंध
- संज्ञा पदबंध
- खालिस देहाती भुच्च (विशेषण पदबंध) खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान (संज्ञा पदबंध)
- छींट की सस्ती(विशेषण पदबंध)छींट की सस्ती साड़ी (संज्ञा पदबंध
- संज्ञा पदबंध
- एशिया के सबसे बड़े शोमैन (संज्ञा पदबंध)स्थापित हो चुके थे|(क्रिया पदबंध )
- संज्ञा पदबंध
- विशेषण पदबंध
- विशेषण पदबंध
- संज्ञा पदबंध
Waky Rupantaran
- उन्होंने ऐसी फ़िल्म बनाई थी जिसे सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था।
- उनका दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रुचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए।
- फ़िल्म की हीरोइन वहीदा रहमान ने भी वैसा ही अभिनय कर दिखाया जैसी उनसे उम्मीद थी।
- वे सिनेमा की चकाचौंध के बीच रहते हुए यश और धन-लिप्सा से कोसों दूर थे।
- जो बात उनकी जिंदगी में थी वही उनके गीतों में भी।
- वह कहीं हीरामन का अभिनय नहीं करता, अपितु खुद हीरामन में ढल गया है।
- राजकपूर जिन्हें समीक्षक और कला-मर्मज्ञ आँखों से बात करने वाला कलाकार मानते हैं|
- शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं।
- कलाकार का यह कर्तव्य है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे।
- यदि त्रासद स्थितियों का चित्रांकन होता है तो उन्हें ग्लोरीफ़ाई किया जाता
है। सरल वाक्य में बदलिए|
- ‘तीसरी कसम’ की यह खास बात थी कि वह दुख को भी सहज स्थिति में,
जीवन-सापेक्ष प्रस्तुत करती है।
- व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती बल्कि उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।
- ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म नहीं बल्कि सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी।
- ‘शैलेंद्र ने ऐसी फ़िल्म बनाई थी जिसे सच्चा कवि हृदय ही बना सकता है।’ – रचना की दृष्टि मे वाक्य-भेद लिखिए।
- शैलेंद्र के गीत भाव-प्रवण थे, लेकिन दुरूह नहीं।’ – मिश्र वाक्य में रूपांतरित कीजिए –
।
ANSWER
1.मिश्रित वाक्य
2,मिश्रित वाक्य
3,फ़िल्म की हीरोइन वहीदा रहमान ने उम्मीद के अनुसार अभिनय कर दिखाया|
4,सरल वाक्य
5.मिश्रित वाक्य
6.संयुक्त वाक्य
7.सरल वाक्य
8.सरल वाक्य
9.मिश्रित वाक्य
10.त्रासद स्थितियों का चित्रांकन होने पर उन्हें ग्लोरीफ़ाई किया जाता है।
11.मिश्रित वाक्य
12.संयुक्त वाक्य
13.संयुक्त वाक्य
14. मिश्रित वाक्य
15.शैलेंद्र के जो गीत थे वो भाव-प्रवण थे, दुरूह नहीं।

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