Harihar Kaka Important Padbandh (संचयन भाग-2)
- ठाकुरबारी के नाम पर बीस बीघे खेत हैं।
- गाँव के मध्य में बरगद का पुराना वृक्ष है|
- ठाकुरबारी के साधु-संत अखंड हरिकीर्तन शुरू कर देते हैं।
- हरिहर काका को रूखा सूखा खाना खाकर ही संतोष करना पड़ता।
- बीमारी से उठे हरिहर काका का मन स्वादिष्ट भोजन के लिए बेचैन था।
- गाँव के कुछ पेटू और चटोर किस्म के लोग प्रसाद पाने के लिए वहाँ जुट जाते हैं।
- शहर में क्लर्की करने वाले भतीजे का एक दोस्त गाँव आया था।
- घरों में बैठी लड़कियाँ एक ही साथ बाहर निकल आईं।
- हरिहर काका गरजते हुए चल पड़े|
- कंधे पर रामनामी लिखी चादर डाल ठाकुरबारी से चल पड़े।
- तू तो धार्मिक प्रवृत्ति का आदमी है।
- एक साफ़-सुथरे कमरे में पलंग पर बिस्तरा लगाकर उनके आराम का इंतज़ाम किया |
- शाम गहराते-गहराते हरिहर काका के तीनों भाई ठाकुरबारी पहुँचे।
- लोग प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से दो वर्गों में बँटने लगे थे।
- हरिहर अपने हिस्से की ज़मीन ठाकुरजी के नाम लिख दें।
- इस वर्ग के धार्मिक संस्कारों के लोग हैं।
- मेरे हिस्से के खेत की पैदावार इसी घर में आती है।
- जाल में फँसी चिड़िया पकड़ से बाहर हो गई थी|
- महंत जी लड़ाकू और दबंग प्रकृति के आदमी हैं|
- एक कमरे के बाहर बड़ा-सा ताला लटक रहा था।
- हरिहर काका ज़मीन पर लुढ़कते हुए दरवाजे तक आए थे|
- महंत की चिकनी-चुपड़ी बातों के भीतर की सच्चाई भी अब वह जान गए थे।
- अपनी ज़मीन लिखकर रमेसर की विधवा की तरह शेष जिंदगी वे घुट-घुटकर मरें|
- लोग अपने दालान और मकान की छतों पर जमा होकर बातचीत करने लगे।
- रमेसर की विधवा को बहला-फुसलाकर उसके हिस्से की ज़मीन रमेसर के भाइयों ने लिखवा ली।
- उन्होंने अपनी रक्षा के लिए खूब ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाना शुरू कर दिया।
- गाँव के कुछ विशिष्ट लोगों के साथ उनके पास पहुँचते हैं|
- इलाके के मशहूर डाकू बुटन सिंह से उन लोगों ने बातचीत पक्की कर ली है।
- एक नौकर रख लिया है, वही उन्हें बनाता- खिलाता है।
- सारे गाँव के लोग उनके बारे में बहुत कुछ कहते-सुनते हैं|
- दूसरे वर्ग में गाँव के प्रगतिशील विचारों वाले लोग हैं|
- हरिहर काका को भोग लगाने के लिए घी टपकते मालपुए बने|
- हरिहर काका ने एकांत में मुझसे काफ़ी देर तक बात की।
- रोज की भाँति ठाकुरबारी का मुख्य फाटक बंद था।
- उधर ठाकुरबारी के भीतर महंत और उनके कुछ चंद विश्वासी साधु थे|
- हरिहर काका एक सीधे-सादे और भोले किसान थे|
- गाँव में आए दिन छोटी-बड़ी घटनाएँ घटती रहती हैं|
- रहस्यात्मक और भयावनी ख़बरों से गाँव का आकाश आच्छादित हो गया है।
- दिन-प्रतिदिन आतंक का मौहोल गहराता जा रहा है।
- हरिहर काका वह तो बिलकुल मौन हो अपनी जिंदगी के शेष दिन काट रहे हैं।
ANSWER
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