- एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
- सीधे-साधे किसान धन आते ही किस ओर झुकते हैं?
उत्तरः सीधे-साधे किसान धन आते ही धर्म और कीर्ति की ओर झुकते हैं। - कानूनगो इलाके में आते तो किसके चौपाल में ठहरते?
उत्तर: कानूनगो इलाके में आते तो सुजान के चौपाल में ठहरते। - सुजान ने गाँव में क्या बनवाया?
उत्तरः सुजान ने गाँव में एक पक्का कुआँ बनवाया। - सुजान की पत्नी का नाम क्या था?
उत्तरः सुजान की पत्नी का नाम बुलाकी था। - सुजान के बड़े बेटे का नाम क्या था?
उत्तरः सुजान के बड़े बेटे का नाम भोला था। - सुजान के छोटे बेटे का नाम क्या था?
उत्तरः सुजान के छोटे बेटे का नाम शंकर था। - कौन द्वार पर आकर चिल्लाने लगा?
उत्तरः एक भिक्षुक द्वार पर आकर चिल्लाने लगा। - बुढ़ापे में आदमी की क्या मारी जाती है?
उत्तरः बुढ़ापे में आदमी की बुद्धि मारी जाती है। - घर में किसका राज होता है?
उत्तरः घर में जो कमाता है, उसी का राज होता है। - कटिया का ढेर देखकर कौन दंग रह गई?
उत्तर: कटिया का ढेर देखकर बुलाकी दंग रह गई। - सुजान की गोद में सिर रखे किन्हें अथकनीय सुख मिल रहा था?
उत्तरः सुजान की गोद में सिर रखे दोनों बैलो को अथकनीय सुख मिल रहा था। - भिक्षुक के गाँव का नाम लिखिए।
उत्तरः भिक्षुक के गाँव का नाम अमोला था।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
- सुजान महतो की संपत्ति बढ़ी तो क्या करने लगा?
उत्तरः सुजान महतो की संपत्ति बढ़ी तो वे धर्म और कीर्ति की ओर झुक गए। साधु-संतों का आदर-सत्कार होने लगा। द्वार पर धूनी जलने लगी। साधु-संतों और भाट-भिक्षुकों को दिल खोलकर खाना खिलाने लगे और दान-दक्षिणा देने लगे। हमेशा साधु-संतों की भीड़ जमी रहती और सुजान के द्वार पर हमेशा भजन-कीर्तन होता रहता था। बड़े -बड़े अफ़सर, कानूनगो, हेड कान्सटेबल, थानेदार आदि आते तो सुजान के चौपाल में ठहरते, खाना खाते और वहीं खाट पर आराम करते थे। गाँव की सुख-सुविधा के लिए सुजान ने गाँव में एक पक्का कुआँ बनवाया। जो काम उसके बाप-दादा और गाँव के लोगों नहीं किया था, वह काम सुजान ने करके दिखाया। - घर में सुजान भगत का अनादर कैसे हुआ?
उत्तरः एक दिन की बात है कि सुजान भगत के द्वार पर एक भिखारी भिक्षा के लिए काफ़ी देर से चिल्ला रहा था। उस समय बुलाकी ओखली में दाल छाँट रही थी। बुलाकी ने सोंचा कि दाल छाँट लूँ तब उसे कुछ दे दूँ। इतने में बड़ा लड़का भोला ने आकर बोला- अम्मा एक महात्मा द्वार पर आकर भिक्षा के लिए चिल्ला रहा है। कुछ दे दो, नहीं तो उनका रोयाँ दुखी हो जाएगा। तब बुलाकी ने उपेक्षा भाव से कहा- भगत के पाँव में मेहँदी लगा हुआ है क्या? वे जाकर कुछ क्यों नहीं दे देते। मैं किसका किसका रोयाँ सुखी करूँ। तब-तक कुछ देर हो चुकी थी। सुजान ने जब घर से किसी को कुछ लाते हुए नहीं देखा, तो वह खुद उठकर घर के अंदर गया और वह आटा देना चाहा, बुलाकी ने मना कर दिया और कहा- मैं मर-मर के आटा पीसा हूँ। मैं आटा किसी को नहीं दे सकती हूँ। आप कोई अनाज दे दीजिए। तब सुजान ने एक छोटी टोकरी में जौ भरकर ला रहा था। तो जौ छलक-छलक कर गिर रहा था। भोला ने उनके हाथ से टोकरी छीन लिया और कहा- यह कोई सेंत का माल नहीं है। भीख , भिख की तरह दी जाती है, उसे लुटाई नहीं जाती है। मैंने छाती फाड़कर मेहनत किया है, तब घर में अनाज आया है। इस बात पर बुलाकी भी कुछ नहीं बोली। इस तरह से सुजान भगत का अनादर हुआ। - सुजान भगत पेड़ के नीचे बैठकर क्या सोचता है?
उत्तरः सुजान भगत पेड़ के नीचे बैठकर सोचता है कि मैं अपाहिज नहीं हूँ, मेरे हाथ-पाँव थके नहीं है, घर में कुछ-न-कुछ काम करता रहता हूँ। मैं अपनी मेहनत से घर बनाया हूँ, अपनी मेहनत से बहुत सारा कीर्ति प्राप्त किया हूँ, अब इस घर में मेरा कोई अधिकार नहीं है? मैं इस घर के द्वार का कुत्ता बनकर नहीं रह सकता हूँ। मुझे अपना अधिकार चाहिए। - सुजान भगत को सबसे अधिक क्रोध बुलाकी पर क्यों आता है?
उत्तरः सुजान को सबसे अधिक क्रोध अपनी पत्नी बुलाकी पर आया। क्योंकि वह भी लड़कों का साथ देती थी। लड़कों को मालूम नहीं कि कितनी मेहनत से उसने गृहस्थी जोड़ी है लेकिन उसे तो मालूम है। सुजान ने दिन-को दिन और रात को रात नहीं समझा। इतनी कड़ी मेहनत की। भादो की अँधेरी रात में मडैया लगा के जुआर की रखवाली करता था। जठे-बैसाख की दोपहरी में भी दम न लेता था। अब उसी घर में उसे इतना भी अधिकार नहीं कि वह भीख तक दे सके। सुजान ने कभी न उसे मारा, ना पैसे की कमी की। बीमारी में उसे वैद्य के पास ले जाता। अब उसे अपने बेटे ही सब कुछ लगते है। - चैत के महीने में खलिहानों में सतयुग के राज का वर्णन कीजिए।
उत्तरः चैत के महीने में किसान के खलिहानों में जगह-जगह अनाज के ढेर लगे रहते हैं। उस समय भाट- भिक्षुकों की भिड लगी रहती है। उस समय किसान अपने इच्छा के अनुसार भिक्षा देते हैं और दान पुण्य करते हैं। उस समय सुजान भगत के खलिहान में भी भाट- भिक्षुकों की भीड़ लगी हुई थी और सुजान भगत भाट-भिक्षकों को दिल खोलकर भिक्षा दे रहे थे। इसलिए चैत के महीने में, खलिहानों को सतयुग का राज कहा जाता है। - सुजान भगत भिक्षुक को कैसे संतुष्ट करता है?
उत्तरः चैत का महीना था। सुजान के खलिहान में जगह-जगह अनाज के ढेर लगा हुआ था। सुजान भगत टोकरे में अनाज भर-भर के दे रहा था और उसके दोनों लड़का घर में अनाज रख रहा था। उस समय भाट-भिक्षुक सुजान भगत को चारों ओर से घेरे हुए था। उनमें वह भी एक भिक्षुक था, जो आज से आठ महीने पहले सुजान भगत के द्वार से निराश होकर लौट गया था। सुजान भगत ने उसे पहचान लिया और उसे पूछा-आज कहाँ-कहाँ चक्कर लगाकर आए हो। भिखारी ने कहा- सबसे पहले आप ही के पास आया हूँ। भगत ने कहा- आज जितना हो सके उतना अनाज उठाकर ले जाओ। भिक्षुक संदिग्ध नेत्रों से देख रहा था। तब सुजान भगत ने उसकी चादर लेकर पूरा अनाज भरकर बाँध दिया और कहा- अब इसे ले जाओ। तब भिक्षुक ने कहा- बाबा, इतना मुझसे उठ न सकेगा। तब सुजान भगत ने पूछा-गाँव का नाम क्या है? उसने कहा- अमोला। सुजान ने खुद उस गठरी को उठाकर अपने सिर पर रख लिया और आगे-आगे सुजान भगत और पीछे-पीछे भिक्षुक चलने लगा। सुजान भगत ने उस गठरी को भिक्षुक के घर पहुँचा कर संतुष्ट किया।
- सुजान भगत अपना खोया हुआ अधिकार फिर कैसे प्राप्त करता है?
उत्तरः सुजान भगत पेड़ के नीचे बैठकर सोंच रहा था कि मैं निकम्मा नहीं हूँ और निकम्मा बन कर भी नहीं रह सकता हूँ। मुझे किसी के पराधीन बनकर रहना स्वीकार नहीं है। मुझे अपना अधिकार चाहिए। जब से मेरा अधिकार छीन गया है तब से बैलों को खाने के लिए ठीक से चारा भी नहीं मिलता है। सारे खेत उसर बन गया है। जिस खेत में दस मन अनाज होता था, अब उस खेत में पाँच मन अनाज हो रहा है। तब सुजान ने रात में उठा और इतना चारा काट दिया कि कल सुबह तक पहाड़ के समान उँचा हो गया। बुलाकी, भोला, शंकर उस कटिया (चारा का ढेर) को देखकर दंग रह गई और कल सुबह से सुजान भगत सुबह उठता और हल-बैल को लेकर खेत में चला जाता दो पहर तक हल जोतता और खेत का जंगल साफ करता तब घर वापस आता। समय पर जुताई-बुआई करने लगा तब से हर खेत में फिर-से दुगुना अनाज होने लगा। फिर से भाट-भिक्षुको की भीड होने लगी और दान-पुण्य करने लगे। तब-से सुजान भगत का अपना खोया हुआ अधिकार फिर से प्राप्त हो गयाI
IIi. निम्नलिखित वाक्य किसने किससे कहे?
- “धरम के काम में मीन-मेष निकालना अच्छा नहीं।”
उत्तरः इस वाक्य को सुजान ने बुलाकी से कहा। - “दिन भर एक-न-एक खुचड निकालते रहते हैं।” उत्तरः इस वाक्य को भोला ने बुलाकी से कहा।
- “आधी रोटी खाओ, भगवान का भजन करो और पड़े रहो।”
उत्तरः इस वाक्य को बुलाकी ने सुजान से कहा। - “क्रोधी तो सदा के हैं। अब किसी की सुनेंगे थोडे ही।”
उत्तरः इस वाक्य को बुलाकी ने भोला से कहा। - “बाबा, इतना मुझसे उठ न सकेगा।”
उत्तरः इस वाक्य को भिक्षुक ने सुजान से कहा।
IV. ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:
- ‘भगवान की इच्छा होगी, तो फिर रुपये हो जाएंगे। उनके यहाँ किस बात की कमी है।’
प्रसंगः इस वाक्य को लेखक-प्रेमचंद द्वारा लिखित सुजान भगत पाठ से लिया गया है।
संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को सुजान भगत ने बुलाकी से कहा।
स्पष्टीकरणः एक दिन सुजान के द्वार पर गया के यात्री आकर ठहरे, उनका भोजन बना, वहीं पर खाना खाए। उसके बाद गया चलने की बात हुई। सुजान के मन में भी गया जाने की इच्छा बहुत दिनों से थी। यह अच्छा अवसर देखकर सुजान भगत भी गया चलने को तैयार हो गए। बुलाकी ने सुजान से कहा- अभी रहने दीजिए अगले साल चलेंगे। सुजान ने गंभीर भाव से कहा- अगले साल क्या होगा, कौन जानता है। धर्म के काम में मीन-मेष निकालना अच्छा नहीं, जिंदगी का क्या भरोसा है ? बुलाकी ने कहा- अभी हाथ खाली हो जाएगा। तब सुजान ने बुलाकी से कहा-भगवान की इच्छा होगी, तो फिर रुपये हो जाएंगे। उनके यहाँ किस बात की कमी है।
विशेषताः भगवान के प्रति अटूट विश्वास के संबंध में बताया गया है। - अभी ऐसे बूढे नहीं हो गए कि कोई काम ही न कर सकें।
प्रसंगः इस वाक्य को लेखक-प्रेमचंद द्वारा लिखित सुजान भगत पाठ से लिया गया है।
संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को भोला ने बुलाकी से कहा।
स्पष्टीकरण: एक दिन की बात है कि सुजान भगत के द्वार पर एक भिखारी भिक्षा के लिए काफ़ी देर से चिल्ला रहा था। उस समय बुलाकी ओखली में दाल छाँट रही थी बुलाकी ने सोंचा कि दाल छाँट लूँ तब उसे कुछ दे दूँ। इतने में बड़ा लड़का भोला ने आकर बोला- अम्मा एक महात्मा द्वार पर आकर भिक्षा के लिए चिल्ला रहा है। कुछ दे दो, नहींतो उनका रोयाँ दुखी हो जाएगा। तब बुलाकी ने उपेक्षा भाव से (थोडा गुस्सा होकर) कहा- भगत के पाँव में मेहँदी लगा हुआ है क्या? वे जाकर कुछ क्यों नहीं दे देते। मैं किसका किसका रोयाँ सुखी करूँ। अगर मैं जानती कि रात दिन पूजा-पाठ, दान-पूण्य और दीन-दुखियों की सेवा में लगे रहेंगे तो मैं इनको गुरु मंत्र लेने ही नहीं देती। तब भोला ने बुलाकी से कहा कि अभी ऐसे बूढे नहीं हो गए हैं कि कोई काम ही न कर सके। विशेषताः पूजा-पाठ, दान-पूण्य, दीन-दुखियों की सेवा करने से मनुष्य को यश और मोक्ष की प्राप्ती होती है। - आदमी को चाहिए कि जैसा समय देखे वैसा काम करें।
प्रसंगः इस वाक्य को लेखक-प्रेमचंद द्वारा लिखित सुजान भगत पाठ से लिया गया है।
संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को बुलाकी ने सुजान से कहा।
स्पष्टीकरणः सुजान भगत बैठा हुआ था, उस समय बुलाकी ने सुजान भगत के पास आया और कहा-खाना तैयार है खाना खा लीजिए। सुजान ने कहा मुझे भूख नहीं है, तुम्हारे बेटों की कमाई है तुम खाओ। तुम लोगों ने मेरा अधिकार छीन लिया, तुम्हारे आँखों के सामने बेटा मेरा अपमान कर रहा था और तुम देखती रही, उसे डाँटा भी नहीं। इस तरह से मैं अपमान का घूँट पीकर नहीं रह सकता हूँ। मुझे सब स्वीकार है। लेकिन किसी के अधीन रहना स्वीकार नहीं है। बुलाकी ने कहा- बेटे तुम्हारे भी तो हैं। सुजान ने कहा- मेरा बेटा रहता तो हमारी ऐसी दुर्गति नहीं होती। बुलाकी ने कहा- अगर ऐसी गालियाँ दोगे तो मैं भी कुछ कह बैठूंगी। मैं सुनती थी कि मर्द बडे समझदार होते हैं। तुम्हारा निबाह इसी में है कि नाम का मालिक बने रहे और वही करें जो लडको को अच्छा लगे। जो कमाता है उसी का घर में राज होता है। यही दुनिया का दस्तूर है और आदमी को चाहिए कि जैसा समय देखे वैसा काम करें।
विशेषताः घर के मालिक का सम्मान करना चाहिए। - अब तक जिस घर में राज्य किया, उसी घर में पराधीन बनकर वह नहीं रह सकता।
प्रसंगः इस वाक्य को लेखक-प्रेमचंद द्वारा लिखित सुजान भगत पाठ से लिया गया है।
संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को सुजान ने अपने आप से कहा।
स्पष्टीकरणः सुजान भगत के सामने एक नई समस्या खड़ी हो गई थी। वह बहुत दिनों से घर का स्वामी था। अब वह घर का पराधीन बनकर नहीं रह सकता। उसका लड़का सेवा-सत्कार करता, अपने पिता के सामने खाट पर भी नहीं बैठता था। उसकी पत्नी भी आदर-सत्कार करती, पर उसे यह पसंद नहीं था। क्योंकि उसका अधिकार छीन जाने से वह हमेशा उदास रहता था। सुजान भगत का कहना था कि मैं बेटा के अधीन बन कर नहीं रह सकता, मंदिर का पुजारी बन कर नहीं रह सकता हूँ। अब-तक जिस घर में राज्य किया उस घर में पराधीन बनकर नहीं रह सकता।
विशेषताः घर के मालिक का अधिकार पूरी तरह से नहीं छिनना चाहिए।
विशेषताः घर के मालिक का अधिकार पूरी तरह से नहीं छिनना चाहिए। - अच्छा तुम्हारे सामने यह ढेर है। इस में से जितना अनाज उठाकर ले जा सको, ले जाओ। प्रसंगः इस वाक्य को लेखक-प्रेमचंद द्वारा लिखित सुजान भगत पाठ से लिया गया है।
संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को सुजान ने भिखारी से कहा।
स्पष्टीकरणः सुजान भगत का अधिकार फिर से वापस आ गया था। उसने कड़ी मेहनत से काफ़ी फसल उपजाया था। चैत का महीना था। सुजान के खलिहान में जगह-जगह अनाज के ढेर लगा हुआ था। सुजान भगत टोकरे में अनाज भर-भर के दे रहा था और उसके दोनों लड़का घर में अनाज रख रहा था। उस समय भाट-भिक्षुक सुजान भगत को चारों ओर से घेरे हुए था। उनमें वह भी एक भिक्षुक था, जो आज से आठ महीने पहले सुजान भगत के द्वार से निराश होकर लौट गया था। सुजान भगत ने उसे पहचान लिया और उसे पूछा-आज कहाँ-कहाँ चक्कर लगाकर आए हो। भिखारी ने कहा- सबसे पहले आप ही के पास आया हूँ। भगत ने कहा- अच्छा तुम्हारे सामने यह ढेर है। इस में से जितना अनाज उठाकर ले जा सको, ले जाओ।
विशेषताः गरीबों के प्रति दया भाव रखना चाहिए।
V. वाक्य शुद्ध कीजिए:
1.सुजान एक पक्का कुआँ बनवाया।
उत्तरः सुजान ने एक पक्का कुआँ बनवाया।
2.प्रातः काल स्त्री और पुरुष गया चला गया।
उत्तरः प्रातः काल स्त्री और पुरुष गया चले गए।
3.मुझसे कल बहुत बड़ा भूल हुआ।
उत्तरः मुझसे कल बहुत बडी भूल हुई।
4.उसके हाथ काँप रही थी।
उत्तरः उसके हाथ काँप रहे थे।
5.सब यही कहेंगे कि भिक्षुक कितनी लोभी है।
उत्तरः सब यही कहेंगे कि भिक्षुक कितना लोभी है।
VI. कोष्ठक में दिए गए उचित शब्दों से रिक्त स्थान भरिए:
(ने, से, की, का, को)
- चैत का महीना था।
- जो खर्च करता है, उसी को देता है।
- अब इन व्यापारों से उसे घृणा होती है।
- भिक्षुक ने भोला की ओर संदिग्ध नेत्रों से देखा।
- तुम्हारे बेटों की तो कमाई है।
VII. निम्नलिखित वाक्यों को सूचनानुसार बदलिए: 1.सुजान के खेत में कंचन बरसता है। (भविष्यत काल में बदलिए- उत्तरः सुजान के खेत में कंचन बरसेगा। 2.सुजान के मन में तीर्थ यात्रा करने की इच्छा थी। (वर्तमान काल में बदलिए- उत्तरः सुजान के मन में तीर्थ यात्रा करने की इच्छा है। 3.शंकर गाडी में नारियल भर कर लाता है। (भूतकाल में बदलिए) उत्तर: शंकर गाडी में नारियल भर कर लाता था।
viii. अन्य लिंग रुप लिखिए:
- भिखारी – भिखारिन
- विद्वान- विदुषी
- पुजारी -पुजारिन
- साधु -साध्वी
- पुरुष -स्त्री
- भगवान – भगवती
- पिता- माता
- युवा- युवती
ix.अन्य वचन रूप लिखिए :
- घर → घर
- बात → बातें
- अभिलाषा → अभिलाषाएँ
- लड़का → लड़के
- रोटी → रोटियाँ
- भिक्षुक → भिक्षुक / भिक्षु
- महीना → महीने
- टीका → टीके
x,विलोम शब्द लिखिएः
- मुरझाना → खिलना
- जीवन → मृत्यु
- सुख → दुख
- आशा → निराशा
- भलाई → बुराई
- सुंदर → कुरूप / असुंदर
- मुश्किल → आसान

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