। एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
- मन्नू भंडारी का जन्म किस गाँव में हुआ था?
उत्तरः मन्नू भंडारी का जन्म मध्य प्रदेश के भानपुरा गाँव में हुआ था। - अजमेर से पहले मन्नू के पिता कहाँ थे?
उत्तरः अजमेर से पहले मन्नू के पिता इंदौर में थे। - लेखिका की बड़ी बहन का नाम लिखिए।
उत्तरः लेखिका की बड़ी बहन का नाम सुशीला था। - पाँच भाई बहनों में सबसे छोटी कौन थी?
उत्तरः पाँच भाई बहनों में सबसे छोटी मन्नू भंडारी थी। - महानगर के फ्लैट में रहने वाले लोग क्या भूल गए थे?
उत्तरः महानगर के फ्लैट में रहने वाले लोग अपनी कल्चर भूल गए थे। - पिताजी का आग्रह क्या था?
उत्तरः पिताजी का आग्रह था कि रसोई घर से दूर रहें। - पिताजी रसोई घर को क्या कहते थे?
उत्तरः पिताजी रसोई घर को भठियारखाना कहते थे। - मन्नू भंडारी को प्रभावित करने वाली हिन्दी अध्यापिका का नाम लिखिए।
उत्तरः मन्नू भंडारी को प्रभावित करने वाली हिन्दी अध्यापिका का नाम-शीला अग्रवाल था। - कॉलेज से किसका का पत्र आया?
उत्तर: कॉलेज से प्रिंसिपल का पत्र आया। - पिताजी के अंतरंग मित्र का नाम लिखिए।
उत्तरः पिताजी के अंतरंग मित्र का नाम डॉ. अंबालाल जी था। - शताब्दी की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है?
उत्तरः शताब्दी की सबसे बड़ी उपलब्धि 15 अगस्त 1947 था। - एक कहानी यह भी लेखिका कौन है?
उत्तरः एक कहानी यह भी की लेखिका मन्नू भंडारी है।
।। निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
- मन्नू भंडारी के बचपन के बारे में लिखिए।
उत्तरः मन्नू भंडारी का जन्म भानपुरा गाँव में हुआ था। लेकिन वह बचपन से ही अजमेर के ब्रह्मपुरी मोहल्ले में दो मंजिले मकान में गुज़ारा करती थी। उनके पिता बहुत ही पढ़े-लिखे व्यक्ति थे और वे ईमानदार इज्जतदार व्यक्ति थे। माँ पढ़ी-लिखी नहीं थीं लेकिन वह धरती से ज्यादा सहनशील थी। मन्नू भण्डारी पाँच भाई बहनों में सबसे छोटी बहन थी। वह दुबली, काली और मरियल थी। उससे 2 साल बड़ी बहन सुशीला थी। वह अपने बहन के साथ हमेशा खेलती रहती थी। सुशीला गोरी थी। इसलिए मन्नू भंडारी के पिता हमेशा सुशीला और मन्नू भण्डारी के सौंदर्य का तुलना करते थे। लेकिन मन्नू भंडारी को अच्छा नहीं लगता था। यही उनकी कमजोरी थी। आगे चलकर मन्नू भण्डारी ने सम्मान और प्रतिष्ठा सब कुछ पा लिया। - पिताजी के प्रति लेखिका के क्या विचार थे?
उत्तरः अजमेर से पहले मन्नू के पिता इंदौर में थे। जहाँ पर उनका बहुत मान-सम्मान और प्रतिष्ठा थी। एक आर्थिक झटके के कारण वे इंदौर से अजमेर आ गए। कांग्रेस के साथ-साथ वे समाज सुधार कामों से भी जुड़े हुए थे। वे शिक्षाको केवल उपदेश नहीं देते। बल्कि विद्यार्थियों को अपने घर में रखकर पढ़ाया भी करते थे। वे बहुत दरियादिल थे। एक ओर वे बेहद कोमल और संवेदनशील व्यक्ति थे, तो दूसरी ओर बेहद क्रोधी और अहंवादी थे। पिताजी के प्रति लेखिका के विचार था कि एक बार धोखा खाने के बाद लोग शक्की मिज़ाज के हो जाते हैं। वे छोटी सी छोटी बात पर जल्द ही चिढ़ जाते थे। उनका स्वभाव शक्की और चिड़चिड़ापन हो गया था। लेखिका के अनुसार विश्वासघात सबसे बड़ा अपराध होता है, जो उनके पिताजी के साथ एक घटना घटी थी। मन्नू भंडारी के पिता रसोई घर को भठियारखाना कहते थे और वे नहीं चाहते थे कि मन्नू भंडारी रसोई में जाए। वह चाहते थे कि वह हमेशा अपना समय पढ़ाई-लिखाई में लगाए। उनके यहाँ हमेशा विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के जमावड़े होते थे और जमकर बहसें होती थी। - लेखिका बचपन में कौन-कौन से खेल खेलती थी?
उत्तरः लेखिका पांच पाँच भाई-बहनों में सबसे छोटी बहन थी। वह अपनी बहन सुशीला और सहेलियों के साथ हमेशा कुछ न कुछ खेल खेलती रहती थी। जैसे-बड़े आंगन में शतोलिया, लंगडी टांग, पकड़म- पकड़ाई, काली टोली, गुड्डेड् गुडियों के ब्याह रचाती थी। इस प्रकार पास पड़ोस के सहेलियों के साथ वह खेल खेलती थी। - पड़ोस कल्चर के बारे में लेखिका क्या कहती है?
उत्तर: पडोस कल्चर के बारे में लेखिका कहती है कि उस जमाने में घर की दीवारें घर तक ही समाप्त नहीं हो जाती थी। बल्कि पूरे मोहल्ले तक फैली रहती थी। इसलिए मोहल्ले के किसी भी घर में जाने पर कोई पाबंदी नहीं था, बल्कि कुछ घर तो परिवार का हिस्सा ही था। आजकल ऐसी जिंदगी नहीं खुद जीने के इस आधुनिक दबाव में नए शहरों के फ्लैट में रहने वालों को यह पड़ोस कल्चर समझ नहीं में आता है। घर के चार दीवारों में रहने वाले लोगों ने इस परोस कल्चर को कितना संकुचित, असहाय और असुरक्षित बना दिया है। पड़ोस में रह के भी हमें उनके बारे में कुछ भी पता नहीं रहता है और ना ही उनको हमारे बारे में पता रहता है। - शीला अग्रवाल का लेखिका पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तरः जब वे लेखिका 1945 ई.मे 10 वीं पास करके सावित्री गर्ल्स हाई स्कूल में फस्ट इयर करने आई तो हिंदी प्राध्यापिका-शीला अग्रवाल से मन्नू भंडारी को परिचय हुआ। उनके कारण मन्नू ने साहित्य जगत में प्रवेश लिया। किताबों का चुनाव करके पढ़ना। पढ़ी हुई किताबों पर बहस करना उसने ही सिखाया था। चुन-चुन कर किताबें पढ़ने को दी। मन्नू भंडारी ने तब से बहुत लेखकों की कई कहानियाँ पढ़ी। जैसे प्रेमचंद, अज्ञय, यशपाल, जैनेंद्र आदि कई किताबें पढ़ीं। शीला अग्रवाल ने साहित्य का दायरा ही नहीं बढ़ाया, बल्कि घर की चारदीवारी के बीच बैठकर देश की स्थितियों को जानने और उसे भी उन परिस्थितियों के भागीदारी बनाना सिखाया। - पिताजी ने रसोई को भठियारखाना क्यों कहा है?
उत्तरः मन्नू भंडारी की बहनों की शादी हो गई। उसके बाद उनके भाई पढ़ाई के लिए बाहर चले गए। तब मन्नू की ओर पिताजी का ध्यान गया। उस समय लड़कियों को स्कूल की शिक्षा के साथ-साथ अच्छी गृहिणी, अच्छा खाना पकाना सिखाया जाता था। लेकिन पिताजी का आग्रह था कि मन्नू भंडारी रसोई घर से दूर रहें। क्योंकि पढ़ने वाले बच्चे को रसोई घर में लगाया जाएगा। तो उसे पढ़ने का समय नहीं मिल पाएगा। इसलिए रसोई को वे भठियारखाना खाना कहते थे और उनके हिसाब से वहाँ रहना अपनी क्षमता और प्रतिभा को भट्ठी में झोंकना था। - एक दकियानूसी मित्र ने मन्नू भंडारी के पिता से क्या कहा?
उत्तरः आजाद हिंद फौज के मुकदमे के सिलसिले में जब जगह-जगह हड़ताल का आह्वान था। छात्रों का एक बहुत बड़ा समूह भी चौराहे पर इकट्ठा होकर भाषण बाजी कर रहे थे। तब पिताजी के एक निहायत दकियानूसी मित्र ने उन्हें जाकर कहा- मन्नू की मत मारी गई है। वह लड़कियों को आजादी दी। इसका मतलब यह नहीं कि उल्टे- सीधे लड़कों के साथ हड़ताल करवाती हुड़दंग मचाती खेलती है। आपके जैसे घरों की लड़कियों को यह शोभा देता है क्या? आपको कोई मान, मर्यादा, इज्जत प्रतिष्ठा का खयाल नहीं है। वे तो इतना कहकर चले गए। उसके बाद उस समय से मन्नू भंडारी के पिता सारे दिन आग की तरह भभकते रहे - मन्नू भंडारी की माँ का परिचय दीजिए।
उत्तरः मन्नू भंडारी की माँ उनके पिता के ठीक विपरीत थी। वह पढ़ी -लिखी नहीं थीं। लेकिन धरती से भी ज्यादा धैर्य और सहनशक्ति उसमें थी। पिताजी की हर ज्यादती (गुस्सा) को वह सह लेतीं और बच्चों की हर जिद, हर फरमाइश को सहज भाव से स्वीकार करवाती थी और पूरा भी करवाती थी। सबकी इच्छा और पिताजी की आज्ञा को पालन करने के लिए सदैव तैयार रहती थी। सारे बच्चों का लगाव माँ के साथ था। वे अपने लिए जिंदगी भर कुछ माँगीं नहीं, केवल दिया ही दिया है।
III निम्नलिखित वाक्य किसने किससे कहे?
- “लौटकर बहुत कुछ गुबार निकल जाए तब बुलाना।”
उत्तरः प्रस्तुत वाक्य को लेखिका मन्नू भंडारी ने अपनी माँ से कहा। - “हमारे आपके घरों की लड़कियों को शोभा देता है यह सब ?”
उत्तरः प्रस्तुत वाक्य को लेखिका के एक निहायत दकियानूसी मित्र ने लेखिका के पिता से कहा। - बंद करो अब इस मन्नू को घर से बाहर निकलना।”
उत्तरः प्रस्तुत वाक्य को लेखिका के पिता ने लेखिका की माँ से कहा। - “आई. एम. रियली प्राउड ऑफ यू ।”
उत्तरः प्रस्तुत वाक्य को पिता के मित्र डॉ. अंबालाल जी ने मन्नू भंडारी से कहा। - “यू हैव मिस्ड समथिंग ।”
उत्तरः प्रस्तुत वाक्य को डॉ. अंबालाल जी ने लेखिका के पिता से कहा।
IV संदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:
1.” एक ओर वे बेहद कोमल और संवेदनशील व्यक्ति थे तो दूसरी ओर बेहद क्रोधी और अहंवादी ।”
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखिका मन्नू भंडारी द्वारा लिखित एक कहानी यह भी पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: लेखिका ने अपने पिता के स्वभाव के बारे में कहा है।
स्पष्टीकरणः मन्नू भंडारी के पिताजी एक सुशिक्षित, संवेदनशील व्यक्ति थे। उनका दिल भी दरियादिल था। जब वे इंदौर में थे, तब उनकी बड़ी प्रतिष्ठा, सम्मान और उनका नाम था। लेकिन एक बड़े आर्थिक झटके के कारण अपने के हाथों विश्वासघात किए जाने के कारण वे इंदौर से अजमेर आ गए। उस समय से वे शक्की मिज़ाज के हो गए और थोड़ी सी गलती होने पर वे आग बबूला हो जाते थे। इसलिए मन्नू भंडारी ने कहा- एक ओर वे बेहद कोमल और संवेदनशील व्यक्ति थे, तो दूसरी ओर बेहद क्रोधित और अहंवादी थे।
विशेषताः एक बार धोखा खाने पर व्यक्ति शक्की मिज़ाज का हो जाता है और फिर किसी पर जल्दी भरोसा नहीं करता है।
- ‘पिता के ठीक विपरीत थी हमारी बे पढ़ी-लिखी माँ।’
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखिका मन्नू भंडारी द्वारा लिखित एक कहानी यह भी पाठ से लिया गया है।
संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को लेखिका मन्नू भंडारी ने अपनी माँ के स्वभाव और गुण के बारे में अपने आप से कह रही है।
स्पष्टीकरणः मन्नू भंडारी के पिताजी एक ओर बेहद कोमल और संवेदनशील व्यक्ति थे, तो दूसरी ओर बेहद क्रोधी और अहंवादी थे। लेकिन मन्नू भंडारी की माँ उनके पिता के ठीक विपरीत थी। वह पढी-लिखी नहीं थीं। लेकिन धरती से भी ज्यादा धैर्य और सहनशक्ति उसमें थी। पिताजी की हर ज्यादती (गुस्सा) को वह सह लेती और बच्चों की हर जिद, हर फरमाइश को सहज भाव से स्वीकार करवाती थी और पूरा भी करवाती थी। सबकी इच्छा और पिताजी की आज्ञा को पालन करने के लिए सदैव तैयार रहती थी। सारे बच्चों का लगाव माँ के साथ था। वे अपने लिए जिंदगी भर कुछ मांगी नहीं, केवल दिया ही दिया है।
विशेषताः मन्नू भंडारी की माँ धैर्य, सहनशीलता और निःस्वार्थ त्याग की प्रतिमूर्ति थीं। - ‘यह लड़की मुझे कहीं मुँह दिखाने लायक नहीं रखेगी।’
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखिका मन्नू भंडारी द्वारा लिखित एक कहानी यह भी पाठ से लिया गया है।
संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को लेखिका के पिता ने अपनी पत्नी से कहा।
स्पष्टीकरणः मन्नू भंडारी के पिताजी की सबसे बड़ी खासियत थी कि हमेशा सोचा करते थे कि काम ऐसा करना चाहिए कि समाज में मेरा मान-सम्मान और वर्चस्व हो। अपने वर्चस्व को धक्का लगने वाली किसी भी बात को वे बर्दाश्त नहीं कर पाते थे। एक बार कॉलेज से प्रिंसिपल का पत्र आया कि आपकी बेटी के खिलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए। आप जल्द आकर हमसे मिले। पत्र पढ़ते ही मन्नू भंडारी के पिताजी आग बबूला हो गए और उसने कहा यह लड़की मुझे कहीं मुँह दिखाने लायक नहीं रखेगी।
विशेषताः इंसान को अपने मान-मर्यादा का खयाल हमेशा रखना चाहिए। - ‘वे बोलते जा रहे थे और पिताजी की चेहरे का संतोष धीरे-धीरे गर्व में बदलता जा रहा था।’
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखिका मन्नू भंडारी द्वारा लिखित एक कहानी यह भी पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: इस वाक्य को डॉ. अंबालालजी ने मन्नू भंडारी के पिता से कहा।
स्पष्टीकरणः आजाद हिंद फौज के मुकदमे का सिलसिला था। सभी कॉलेज, स्कूलों, दुकानों के लिए हड़ताल का
आह्वान था। शाम को अजमेर के पूरे विद्यार्थी गण को संबोधित करते हुए मन्नू भंडारी ने एक बड़ा भाषण दिया। तब पिताजी के एक निहायत दकियानूसी मित्र ने उन्हें जाकर कहा- मन्नू की मत मारी गई है। आप लड़कियों को आजादी दी। इसका मतलब यह नहीं कि उल्टे सीधे लड़कों के साथ हड़ताल करवाती, हुड़दंग मचाती खेलती है। आपके जैसे घरों की लड़कियों को यह शोभा देता है क्या? आपको कोई मान, मर्यादा, इज्जत प्रतिष्ठा का खयाल नहीं है। वे तो इतना कहकर चले गए। उसके बाद उस समय से मन्नू भंडारी के पिता सारे दिन आग की तरह भभकते रहे। लेकिन उस भाषण को पिताजी के अंतरंग मित्र डॉ. अंबालाल जी ने सुना और वे बहुत प्रभावित हुए। डॉ. अंबालाल जी ने मन्नू भंडारी को बधाई देने के लिए उनके घर आए। उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया। डॉ. अंबालाल जी ने मन्नू भंडारी से कहा- आओ मन्नू मैं तो चोपडा पर तुम्हारा भाषण सुनते ही सीधा भंडारी जी को बधाई देने चला आया हूँ। आई. एम. हरियाली प्राउड ऑफ यू। वे धुआँधार मेरी तारीफ करने लगे। वे बोलते जा रहे थे और पिताजी के चेहरे का संतोष धीरे-धीरे गर्व में बदलता जा रहा था।
विशेषताः लेखिका के प्रतिभा को दर्शाया गया है। - ‘क्या पिताजी को इस बात का बिल्कुल भी असास नहीं था कि इन दोनों का रास्ता ही टकराहट का है।’
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखिका मन्नू भंडारी द्वारा लिखित एक कहानी यह भी पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: इस वाक्य को लेखिका ने अपने आप से कहा है।
स्पष्टीकरणः प्रस्तुत वाक्य में लेखिका अपने पिताजी के स्वभाव के बारे में समीक्षा करती हुई कहती हैं कि मेरे पिताजी को एक ओर तो विशिष्ट बनने की प्रबल इच्छा थी और दूसरी ओर वे यह भी चाहते थे कि समाज में उनकी छवि को किसी तरह का धब्बा न लग जाए। दोनों स्थितियाँ एक दूसरे के साथ चले। परंतु यह संभव नहीं था यह बात पिता जी को समझ में नहीं आ रहा था कि इन दोनों का रास्ता टकराहट का है।
विशेषताः सोच विचार करके काम करना चाहिए इसलिए कि बाद में कोई परेशानी न हो।
v निम्नलिखित वाक्यों को सूचनानुसार बदलिए:
- एक बहुत बड़े आर्थिक झटके के कारण वे इंदौर से अजमेर आ गए थे। [वर्तमान काल में बदलिए]
उत्तरः एक बहुत बड़े आर्थिक झटके के कारण वे इंदौर से अजमेर आ गए हैं। - वे जिंदगी भर अपने लिए कुछ माँगते नहीं है। [भूतकाल काल में बदलिए] उत्तरः वे जिंदगी भर अपने लिए कुछ माँगते नहीं थे।
- उनका भाषण सुनते ही बधाई देता हूँ ।[भविष्यत काल में बदलिए]
उत्तरः उनका भाषण सुनते ही बधाई दूँगा
VI वाक्य शुद्ध कीजिए:
- यह किताब किसका है?
उत्तरः यह किताब किसकी है? - आप खाना खाओगे?
उत्तरः आप खाना खाएँगे? - तुम जा सकता है।
उत्तरः तुम जा सकते हो। - लड़की ने पत्र लिखी।
उत्तरः लड़की ने पत्र लिखा।
VII कोष्ठक में दिए गए उचित शब्दों से रिक्त स्थान भरिए:
(में, पर, के, से)
- पेड से फल गिरता है।
- घर के सामने बगीचा है।
- मेज पर पुस्तक रख दो ।
- थैली में पुस्तक है।
VIII. निम्नलिखित मुहावरों को अर्थ के साथ जोडकर लिखिए:
1) लू उतारना= अहं उतारना
2) आग उगलना= गुस्सा करना
3) थू थू करना= और बेइज्जती करना
4) आग बबूला होना = बहुत क्रोधित होना
5) टोपी उछालना = अपमानित करना
6) छाती से लगाना = बहुत प्यार करना
IX) अन्य लिंग रुप लिखिए:
1) मोर – मोरनी
(2) पुत्रवान- पुत्रवती
(3) संयोजक -संयोजिका
(4) तनुज -तनुजा
(5) हंस -हंसिनी
X) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए:
1) रोगी का इलाज करने वाला -चिकित्सक
2) नीति जानने वाला- नीतिज्ञ
3) आँखों के सामने होने वाला- प्रत्यक्ष
4) नीचे लिखा हुआ- निम्नलिखित
5) जल में रहनेवाला- जलचर
6) जानने की इच्छा रखनेवाला- जिज्ञासु
7) प्रतिदिन होने वाला- दैनिक
8) जो जन्म से अंधा हो- जन्मांध
XI) निम्नलिखित शब्दों के साथ उपसर्ग जोडकर नए शब्दों का निर्माण कीजिए:
शब्द उपसर्ग मूल शब्द नए शब्द
1.) प्रतिष्ठित- अ + प्रतिष्ठित = अप्रतिष्ठित
2.) हद – बे + हद = बेहद
3.) यश – अप+ यश = अपयश
4.) क्रिया – प्रति+ क्रिया = प्रतिक्रिया
XII) निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय अलग कर लिखिए:
शब्द मूल शब्द प्रत्यय
1) कलाकार कला + कार
2) पत्रकार पत्र + कार
3) ईमानदार ईमान + दार
4) महानता – महान + ता
XIII) हिंदी में अनुवाद कीजिए:
1) Sharla is very talented.
उत्तरः सरला बहुत प्रतिभाशाली है।
2) Mahatma Gandhi was follower of truth and nonviolence.
उत्तरः महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे।
3) We had been to village last month.
उत्तरः हम पिछले महीने गांव गए थे।
4) If we get up early, we can see sun sunrise.
उत्तरः यदि हम जल्दी उठेंगे, तो सूर्योदय देख सकते हैं।
5) Even thought he had come early; this work could not have been completed.
उत्तरः अगर वह जल्दी भी आया तो, यह काम पूरा नहीं किया जा सकता था।
6) Gaurishankar is the highest peak in Himalaya Mountain range.
उत्तर: गौरीशंकर हिमालय की सबसे ऊँची चोटी है।

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