I) एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
1. लेखिका जापान किस हेतु गई थीं ? उत्तर –अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में भाग लेने हेतु लेखिका जापान गई थी। 2.जापान के होटलों का रिवाज़ क्या है ? उत्तर -जापान के होटल का यह रिवाज है कि आप जहाँ भी जाएँ पीने के लिए गर्म पानी अवश्य मिलता है।3.जापान का गुणधर्म क्या है ? उत्तर –शालीनता जापान का गुड़ धर्म है। 4.‘तोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ़ फ़ॉरेन स्टडीज़ ‘ के निदेशक कौन हैं ? ‘उत्तर -तोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ़ फ़ॉरेन स्टडीज़ ‘ के निदेशक फुजिई ताकेशी है।5. पुस्तकालय से बाहर निकलते समय अलार्म क्या जताता है ? उत्तर -पुस्तकालय से बाहर निकलते समय एक अलार्म बजना है वह यह जताता है कि आपके पास कोई छुपी हुई पुस्तक नहीं है। 6.लेखिका ने किसे अनुशासन प्रिय कहा है ? उत्तर –जापानी लोगों को लेकर कहानी अनुशासन प्रिय कहा है। 7.शिन्कान्सेन’ का शाब्दिक अर्थ क्या है ? उत्तर -शिन्कान्सेन’ का शाब्दिक अर्थ न्यू ट्रंक लाइन है। 8. ‘पानी’ के लिए जापानी भाषा में कौन-सा शब्द है ? उत्तर -‘पानी’ को जापानी भाषा में मिजु कहते है। 9. ‘स्लम डाग मिलियनेर’ फिल्म किसकी पुस्तक के आधार पर बनी है ? उत्तर -विकास स्वरूप की पुस्तक के आधार पर ‘स्लम डाग मिलियनेर’ फिल्म बनी है। 10. ‘नारा का प्रसिद्ध मंदिर कौन सा है ? उत्तर –तोदायजी ‘नारा का प्रसिद्ध मंदिर है। 11. गौतम बुद्ध को जापानी भाषा में क्या कहते हैं? उत्तर -गौतम बुद्ध को जापानी भाषा में दायबुत्सु कहते है। 12.नारा मंदिर में बुद्ध प्रतिमा की ऊँचाई कितनी है ? उत्तर -नारा मंदिर में बुद्ध प्रतिमा की ऊँचाई 55 फुट है। 13. एक जमाने में कौन-सा शहर जापान की राजधानी हुआ करता था ? उत्तर –नारा शहर एक जमाने में जापान की राजधानी हुआ करता था।
॥) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
1. जापान के भारतीय रेस्तराँ’ कलकत्ता का वर्णन कीजिए।
तोक्यो विश्वविद्यालय के अतिथि प्रोफेसर सुरेश ऋतुपर्ण उन्हें भारतीय रेस्तराँ ले गए। जहाँ की एक दीवार पर ताजमहल के सामने ऊँटों की तसवीर लगी थी और उस पर Incredible India लिखा था। हिन्दी संगीत चल रहा था। वहाँ की रीतिनुसार पहले उनको गरम पानी पीने को दिया। भारतीय मसाले की और डोसा-साम्भार की सुगन्ध वहाँ छाई हुई थी। वहाँ की दालचीनी, काली मिर्च डली हुई मसाला चाय उन्हें पसन्द आई और तड़केवाली साबुत काली उड़द की दाल, तन्दूरी रोटी, आलू के पराँठे और सरसों का साग खाकर तो ऐसे लगा उन्हें जैसे पंजाब में बैठे स्वादिष्ठ खाना खा रहे हैं।
2. जापान के रेलवे स्टेशन और रेल यात्रा के बारे में लेखिका क्या कहती हैं?
जाजापान में रेल-व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए लेखिका कहती हैं कि जापान में कदम-कदम पर रेलवे स्टेशन हैं। रेलें कई धरातलों पर चलती रहती हैं। प्लेटफार्म पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर लाल लकीरें खिंची हैं। हर डिब्बा ऐन उस लकीर के सामने ही पड़ता है। गाड़ी जैसे रुकती है, टिकट खाँचे में डालकर अंदर घुसो, उस पार जाकर अपना टिकट उठा लो।रेल के अंदर बैठने के स्थान कम और खड़े होने के ज्यादा हैं। वृद्धों, स्त्रियों, रोगियों के लिए courtesy seats अर्थात् सौजन्यस्थान आरक्षित हैं। रेल में चढ़ते समय धक्का-मुक्की नहीं होती। शालीनता जापान का गुणधर्म है।रेल में लोग खड़े-खड़े पढ़ते हैं। हर जगह स्वच्छता है। यहाँ की सबसे तेज गति से चलनेवाली रेल है ‘शिन्कान्सेन’, जिसे बुलेट ट्रेन भी कहते हैं।
3.) ‘टफ्स’ के पुस्तकालय के बारे में लिखिए।
टफ्स का पुस्तकालय बहुत ही खास है। यह चार मंजिल की इमारत है और हर मंजिल पर बड़ा वाचनालय (पढ़ने की जगह) बना हुआ है। इसमें कुल 6,18,615 पुस्तकें रखी हुई हैं। ये किताबें बिजली से चलने वाली आलमारियों में रखी जाती हैं। बस एक बटन दबाइए, अलमारी खुल जाएगी और किताब आपके सामने आ जाएगी। पढ़ने के बाद फिर बटन दबाइए, तो अलमारी अपने-आप बंद हो जाएगी। इससे जगह भी बचती है और किताबें सुरक्षित भी रहती हैं।जब आप पढ़ाई करके बाहर निकलते हैं तो दरवाजे पर एक अलार्म यह चेक करता है कि कहीं आप कोई किताब छुपाकर तो नहीं ले जा रहे।इस पुस्तकालय के इंडिक भाषा विभाग में बहुत सारी दुर्लभ किताबें रखी हैं। यहाँ हिन्दी, अवधी, ब्रज, राजस्थानी, भोजपुरी, पहाड़ी और मैथिली जैसी भाषाओं की किताबें मिलती हैं।यहाँ का ‘नवलकिशोर संग्रह’ बहुत खास है, जिसमें 187 दुर्लभ ग्रंथ रखे गए हैं। इसके अलावा पत्रिकाएँ जैसे सरस्वती, विशाल भारत और माधुरी के पुराने अंक भी उपलब्ध हैं। साथ ही यहाँ फीजी का पहला हिन्दी उपन्यास ‘डउका पुरान’ भी मिलता है।
4.) जापान के बुलेट ट्रेन’ पर टिप्पणी लिखिए।
जापान की सबसे तेज़ रेल का नाम ‘शिन्कान्सेन’ है, जिसका मतलब है नई मुख्य लाइन। इसे आम भाषा में बुलेट ट्रेन भी कहा जाता है। यह ट्रेन 16 डिब्बों की होती है और इसमें करीब 1300 यात्री बैठ सकते हैं। इसकी लंबाई लगभग 1300 फीट है और इसे चलाने के लिए 40 मोटर जनरेटर लगे होते हैं।जब यह ट्रेन 170 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ती है, तो अचानक रुकने के लिए कम-से-कम 5 किलोमीटर का रास्ता चाहिए होता है।इसका संचालन करने के लिए रोज़ लगभग 8600 कर्मचारी मेहनत करते हैं।जापान के लोग इस ट्रेन की यात्रा को बहुत खास मानते हैं। उनके लिए केवल मंज़िल तक पहुँचना ही नहीं, बल्कि इतनी तेज़ रफ़्तार से सफ़र करना भी एक अनोखा अनुभव है।
5.) ओसाका के क़िले का चित्रण कीजिए ।
‘जो’ का मतलब है किला।ओसाका जो नाम का किला 1585 ई. में सम्राट तोयोतोमी हिदेयोशी ने बनवाया था।यह किला बहुत बड़ा है और इसके चारों तरफ हरी-भरी जगह और रंग-बिरंगे फूल-पौधे हैं। किले से जुड़ी कई कहानियाँ और किस्से भी प्रसिद्ध हैं।किले के चारों ओर गहरी खाई और पानी से भरे तालाब बने हैं। किले का प्रवेश द्वार बहुत बड़ा काला फाटक है और उसकी दीवारें काले पत्थर की बनी हैं।इतिहास में यह किला कई बार बनाया गया और कई बार नष्ट भी हुआ। वहाँ पर एक मंदिर था जिसे ओसाका होंगाजी ने बनाया था। यह मंदिर लकड़ी का बना था, इसलिए वह कई बार जल गया और एक बार उस पर बिजली भी गिरी।1931 में इसका नवीनीकरण (फिर से बनाना) किया गया।आज वहाँ ओसाका जो का संग्रहालय भी मौजूद है।
6.) ‘तोदायजी मंदिर का वर्णन कीजिए।
तोदाइजी मंदिर की स्थापना 743 ई. में हुई थी। यहाँ गौतम बुद्ध की विशाल प्रतिमा है, जिसे ‘दायबुत्सु’ कहा जाता है।मंदिर बहुत बड़ा है और पूरी तरह काली-भूरी लकड़ी से बना है। इसमें न सीमेंट लगा है और न पत्थर, फिर भी यह मजबूती से खड़ा है।मंदिर के आँगन के बीच में एक गोल जगह पर अग्नि जलती रहती है, जिसे लोग दिव्य ज्योति मानकर माथे पर लगाते हैं। मंदिर में दानपत्र रखा है, लेकिन दान देना ज़रूरी नहीं है।मंदिर के प्रवेश द्वार पर दो प्रहरी मूर्तियाँ हैं — एक का मुँह खुला है और दूसरी का बंद।गर्भगृह (मुख्य कक्ष) में 55 फुट ऊँची बुद्ध की तांबे की मूर्ति है, जिसका वजन लगभग 500 टन है। इस कक्ष को ‘दायबुत्सु देन’ कहते हैं।बुद्ध प्रतिमा के नीचे एक बहुत ही संकरा मार्ग है। लोग मानते हैं कि जो इस रास्ते से निकल जाता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
7.) जापान के हिरन वन’ के बारे में लिखिए।
हिरन वन के हिरन भारतीय हिरनों से ज्यादा बड़े और मजबूत होते हैं। दूर से देखने पर वे छोटे बछड़ों जैसे लगते हैं।वन में जगह-जगह हिरन बिस्किट के पैकेट मिलते हैं, जिन्हें लोग 150 येन में खरीदकर हिरनों को खिलाते हैं। हिरन अपनी लंबी गर्दन उठाकर मज़े से उन्हें खा लेते हैं।कुछ लोग बिस्किट की जगह उन्हें केले भी खिलाते हैं। वहाँ के हिरन बिल्कुल नहीं डरते और कई बार तो वे सीधे हाथ से ही केला छीनकर खा जाते हैं।
8.) अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन के बारे में लेखिका के क्या विचार हैं?
अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन का उद्घाटन 28 नवंबर को सुबह 10 बजे हुआ। लेखिका को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि इतने सारे जापानी विद्वान हिन्दी भाषा और लेखन से जुड़े हुए हैं। उनकी हिन्दी और उर्दू के प्रति निष्ठा और आस्था वाकई सराहनीय थी।पहले सत्र की अध्यक्षता तोमियो मिज़ोकामी ने की। उन्होंने हिन्दी और जापानी भाषा के बीच सेतु (पुल) का अद्भुत काम किया है। जापान में हिन्दी गीत भी बहुत पसंद किए जाते हैं।सम्मेलन में लेखिका की मुलाकात प्रो. मालवीय से हुई। वहाँ माहौल ऐसा था मानो पूरा इलाहाबाद एक जगह इकट्ठा हो गया हो। वहाँ विकास स्वरूप भी आए, जिनकी किताब पर फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ बनी थी।उद्घाटन सत्र में सबका परिचय कराया गया, विशेष लेख पढ़े गए और छात्रों ने उन्हें ध्यान से सुना। छात्रों ने हिन्दी में प्रश्न भी पूछे। लेखिका को लगा कि डॉ. फुजिई और डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण ने छात्रों को संवाद की भाषा के रूप में हिन्दी सिखाने के लिए बहुत मेहनत की है।
9.) जापान में हिन्दी के प्रभाव-प्रसार पर टिप्पणी लिखिए।
जब लेखिका अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में गईं तो उन्होंने देखा कि जापानी विद्वान हिन्दी भाषा और लेखकों की जानकारी में गहरी रुचि रखते हैं। उनकी हिन्दी और उर्दू के प्रति आस्था और निष्ठा काबिल-ए-तारीफ़ है।जापान में हिन्दी फिल्मी गाने भी बहुत पसंद किए जाते हैं। मिज़ोकामी ने हिन्दी फिल्मों के लोकप्रिय गीतों का अनुवाद और संकलन किया है, जिसमें लगभग 300 गीत हैं।टफ्स विश्वविद्यालय में हिन्दी और उर्दू पढ़ाए जाने के 100 साल पूरे हो चुके हैं। यहाँ दोनों भाषाओं में शोध (रिसर्च) करने की सुविधा है। विदेशी भाषा संस्थान के कई विद्यार्थी हिन्दी में बातचीत करने की कोशिश करते हैं।पुस्तकालय में दुर्लभ और महत्वपूर्ण हिन्दी किताबें भी रखी हैं। इस तरह जापान में लगातार हिन्दी का प्रचार-प्रसार हो रहा है।
III) ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:
1.) ‘यहाँ टिकट खाँचे में डाल कर जल्द अंदर घुसो, उस पार जाकर अपनी टिकट उठा लो।”
प्रसंग :यह गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘यात्रा जापान की’ नामक पाठ से लिया गया है। इस पाठ की लेखिका ममता कालिया हैं। संदर्भ :यह वाक्य सुरेश ऋतुपर्ण ने मेट्रो ट्रेन का टिकट निकालते समय प्रतिनिधियों से कहा था। स्पष्टीकरण :जब प्रतिनिधि मेट्रो ट्रेन का टिकट ले रहे थे, तब सुरेश ऋतुपर्ण ने धैर्यपूर्वक उन्हें समझाया —
“टिकट खाँचे में डालकर जल्दी अंदर जाओ और दूसरी ओर जाकर अपनी टिकट ले लो।”
मेट्रो ट्रेन का टिकट लेने में सावधानी और फुर्ती दोनों ज़रूरी होती हैं, इसलिए उन्होंने ऐसा कहा है|
विशेषता :लेखिका ने इस प्रसंग के ज़रिए जापान की मेट्रो प्रणाली की व्यवस्था और अनुशासन को दिखाया है।
2.) ‘यहाँ तो डेंटिस्ट मक्खी मारते होंगे।
प्रसंग :यह गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘यात्रा जापान की’ नामक पाठ से लिया गया है। इसकी लेखिका ममता कालिया हैं।
संदर्भ :लेखिका ने यह वाक्य उस समय कहा जब उन्होंने देखा कि जापान की सभी लड़कियाँ खाना खाने के बाद बिना चूके दाँत साफ़ करती हैं।
स्पष्टीकरण :अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में शामिल होने के लिए छह सदस्यीय दल जापान गया। इस यात्रा वृत्तांत में जापानियों की आदतें, रीति-रिवाज और वहाँ हिन्दी के प्रचार-प्रसार का वर्णन है।एक दिन विदेशी भाषा संस्थान के कार्यक्रम के दौरान लेखिका और ऋचा मिश्र बाथरूम गईं। वहाँ उन्होंने देखा कि वॉशबेसिन के सामने छात्राओं की लंबी कतार है। सबके पास अपने-अपने पर्स से निकाले हुए टूथब्रश और टूथपेस्ट रखे हुए थे।बाद में पता चला कि जापान की सभी लड़कियाँ हर बार खाना खाने के बाद दाँत साफ़ करती हैं। इस बात को देखकर ही लेखिका ने यह वाक्य कहा।
विशेषता :लेखिका ने सरल ढंग से यह बताया है कि जापानी संस्कृति में स्वच्छता और स्वास्थ्य का कितना महत्व है।
प्रश्न 3.”इनकी हर मंज़िल पर इतनी जगह जानबूझकर छोड़ी गई है जो भूकम्प के धक्के सह
सके।”
उत्तरःप्रसंग : यह गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘यात्रा जापान की’ नामक पाठ से लिया गया है। लेखिका ममता कालिया हैं।
संदर्भ : लेखिका यह वाक्य सुरेश ऋतुपर्ण से मिली जानकारी के आधार पर कहती हैं कि जापान में इतने तूफान और भूकंप आते हैं, फिर भी इतनी ऊँची इमारतें क्यों बनाई जाती हैं।
स्पष्टीकरण : ममता कालिया और उनका प्रतिनिधि मंडल ओसाका विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में भाग लेने जापान गए।
इस यात्रा में जापान की तकनीकी प्रगति और जापानी लोगों की मेहनत का वर्णन मिलता है।वे टोक्यो शहर घूमने निकलीं। वे कहती हैं कि जैसे-जैसे दिन ढलता है, टोक्यो शहर और खूबसूरत नजर आता है, गलियों, बाजारों, समुद्र और किनारों में।ममता कालिया ने सुरेश ऋतुपर्ण से पूछा: “जापान में इतने भूकंप और तूफान आते हैं, फिर इतनी ऊँची इमारतें क्यों बनाई गई हैं?”सुरेश जी ने उत्तर दिया:”इन इमारतों की हर मंजिल पर इतनी जगह जानबूझकर छोड़ी गई है कि भूकंप के झटके सह सके।”
विशेषता :यह प्रसंग जापानी तकनीकी प्रगति और सुरक्षा उपायों को दर्शाता है।
प्रश्न 4.”यहाँ प्रकृति की तूलिका में सात से अधिक रंग दिखाई दे रहे हैं।”
उत्तरःप्रसंग : यह गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘यात्रा जापान की’ नामक पाठ से लिया गया है। लेखिका ममता कालिया हैं। वे ओसाका शहर का वर्णन कर रही हैं।
संदर्भ :लेखिका टोक्यो का कार्यक्रम समाप्त कर बुलेट ट्रेन से ओसाका पहुँची। वहाँ उच्चायोग के प्रतिनिधि वैन लेकर उनका स्वागत कर रहे थे। वे तेज़ गति से शहर की सड़कों से गुज़रते हुए इमारतों, दुकानों और प्राकृतिक सौंदर्य को देख रही थीं। इस अनुभव को साझा करते हुए लेखिका ने ओसाका शहर की रंग-बिरंगी प्राकृतिक छटा और पेड़ों के रंग का वर्णन किया।
स्पष्टीकरण ;टोक्यो का कार्यक्रम समाप्त होने के बाद लेखिका और उनका दल बुलेट ट्रेन से ओसाका पहुँचा।
ओसाका स्टेशन पर उच्चायोग के प्रतिनिधि वैन लेकर इंतजार कर रहे थे। वैन बहुत तेज़ गति से चल रही थी। सड़क के दोनों ओर बड़ी इमारतें थीं।सड़क किनारे कुछ नाम हिटाची, मित्सुबिशि, काकुरा जैसे ऐसे भी थे जो भारतीयों के लिए पहले परिचित हो चुके हैं।बड़ी इमारतों के बाद रंग-बिरंगे पेड़ों का दृश्य शुरू होता है। लेखिका कहती हैं कि यहाँ प्रकृति की सात से अधिक रंगों की छटा दिखाई देती है—हरा रंग इतना चमकदार और ताज़ा है जैसे किसी चित्रकार ने पत्तों पर नया रंग लगाया हो।मोमिजी के पत्ते लाल, कुछ नारंगी और गुलाबी हैं।साकुरा के पेड़ सफेद फूलों से ढँके हैं।
विशेषता :लेखिका ने इमारतों और प्रकृति के रंगों को बहुत सुंदर तरीके से दर्शाया है।
प्रश्न 5.‘यह किला जापानी संघर्षधर्मिता और जिजीविशा का प्रतीक है।’
प्रसंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखिका-ममता कालिया द्वारा लिखित ‘यात्रा जापान की‘ पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: इस वाक्य को सुरेश जी ने लेखिका से कहा है।
स्पष्टीकरण: जापान में ‘जो’ का मतलब है किला और ‘जी’ का मतलब है मंदिर।ओसाका जो (किला) 1585 ई. में सम्राट तोयोतोमी हिदेयोशी ने बनवाया था।यह किला बहुत बड़ा है और चारों ओर हरा-भरा बगीचा और रंग-बिरंगे फूल हैं।किले में कई हिस्सों को कई बार पुनर्निर्मित किया गया है।चारों तरफ गहरी खाई और जलाशय हैं।प्रवेश द्वार काला विशाल फाटक है और काले पत्थर की दीवारें हैं।किले के अंदर मंदिर और संग्रहालय भी हैं।किले में लकड़ी का ज्यादा इस्तेमाल हुआ है, इसलिए कई बार आग लगने की घटनाएँ हुई हैं।ओसाका जो कई बार बना और नष्ट हुआ।जापानी लोग अपने सम्राट और संस्कृति के प्रति बहुत श्रद्धावान हैं।यह किला जापानी संघर्षशीलता और साहस का प्रतीक है।
विशेषताः जापानी संघर्षधर्मिता और जिजीविशा के प्रतीक के बारे में बताया गया है।
IV. वाक्य शुद्ध कीजिए:
1.होटल में हिंदी संगीत चल रही है।
उत्तर:होटल में हिंदी संगीत चल रहा है। 2.हम सातवीं मंजिल में है।
उत्तर: हम सातवीं मंजिल पर है।
3.पीने के लिए गर्म पानी अवश्य मिलती है ।
उत्तर:पीने के लिए गर्म पानी अवश्य मिलता है । 4,छात्रों ने पूरी एकाग्रता से हमें सुनी ।
उत्तरःछात्रों ने पूरी एकाग्रता से हमें सुना।
5..बाजार का कोई शोर सुनाई नहीं देती।
उत्तर: बाजार का कोई शोर सुनाई नहीं देता।
V. कोष्ठक में दिए गए उचित शब्दों से रिक्त स्थान भरिएः
(कि, को, समाज, विज्ञान)
- साहित्य समाज का दर्पण है।
- आज का युग विज्ञान का युग है।
- पीड़ितों को दान दो ।
- वह अपने गुरु की इज्जत करता है।
VI. निम्नलिखित वाक्यों को सूचनानुसार बदलिएः
- वहाँ हिन्दी प्रेमियों का जमावड़ा है। [भविष्यत काल में बदलिए] उत्तर: वहाँ हिंदी उर्दू प्रेमियों का जमावड़ा रहेगा।
- रात की दावत हरेंद्र चौधरी के घर पर थी। [वर्तमान काल में बदलिए-] उत्तर: रात की दावत चौधरी के घर पर है।
- कुछ देर तक हम इसका वैभव देखते हैं। [भूतकाल में बदलिए) उत्तरः कुछ देर तक हम इसका प्रभाव देखते थे।
VII. निम्नलिखित मुहावरों को अर्थ के साथ जोड़कर लिखिए:
- मक्खी मारना = बेकार बैठना
- कलेजा फटना = असहनीय दुख होना
- मुँह फुलाना = रूठ जाना / नाखुश होना
- आसमान सिर पर उठाना = बहुत शोर करना
- इशारे पर नचाना = अपने वश में करना
VIII. अन्य लिग रुप लिखिए:
(1) विद्वान – विदुषी (2) छात्र- छात्रा (3) युवक – युवती (4) पति- पत्नी (5) बालक- बालिका (6) राक्षस – राक्षसी (7) अध्यापक -अध्यापिका (8) पुरुष -महिला (9) दास – दासी (10) प्रबंधकर्ता – प्रबंधकर्ता
IX अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए:
- जो देखने योग्य हो – दर्शनीय
- जहाँ कोई न रहता हो – निर्जन
- जो अभी-अभी पैदा हुआ हो – नवजात
- जो दूसरों के सहारे पर रहने वाला हो – आश्रित
- संध्या और रात्रि के बीच का समय – गोधूलि
X. निम्नलिखित शब्दों के साथ उपसर्ग जोडकर नए शब्दों का निर्माण कीजिए:
शब्द उपसर्ग मूल शब्द नए शब्द
1.शासन – प्र + शासन= प्रशासन 2.विश्वास – अ + विश्वास = अविश्वास 3.व्यवस्थित – अ + व्यवस्थित = अव्यवस्थित
XI. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय अलग कर लिखिएः
शब्द मूल शब्द प्रत्यय
1) मददगार मदद +गार
2) राष्ट्रीय राष्ट्र +इय 3)साहित्य साहित +साहित्य 4) महत्वपूर्ण – महत्व +पूर्ण
XII. हिंदी में अनुवाद कीजिए: [Translate into Hindi]
- Tomorrow will be the last day of the month.
उत्तर: कल महीने का आखिरी दिन है। - There is no success without hard work.
उत्तर: कठिन परिश्रम के बिना सफलता नहीं मिलती है। - Always give respect to parties.
उत्तर: देश भक्तों को सदा सम्मान देना चाहिए। - There problem of unemployment is increasing day by day.
उत्तर: बेरोजगारी की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। - Buddhist was founded by Gautam Buddha.
उत्तर: बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे।

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