i.एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
- मिश्रानी को किसने काम से हटा दिया?
उत्तर: मिश्रानी को बेला ने काम से हटा दिया। - मिश्रानी कितने वर्षों से मूलराज के परिवार में काम कर रही थी?
उत्तरः मिश्रानी 10 वर्षों से मूलराज के परिवार में काम कर रही थी। - नौकरों से काम लेने के लिए क्या होनी चाहिए?
उत्तरः नौकरों से काम लेने के लिए तमीज होनी चाहिए। - हँसी के मारे मर जाने की बात कौन करती है?
उत्तर: हँसी के मारे मर जाने की बात मझली बहू करती है। - हर बार अपने मायके की तारीफ कौन करती रहती है?
उत्तरः हर बार अपने मायके की तारीफ बेला करती रहती है। - दादाजी का छोटा पोता परेश किस पद पर था?
उत्तरः दादाजी का छोटा पोता नायब तहसीलदार के पद पर था। - मलमल के थान और अबरों को परेश किसके पास नहीं लेकर जाते?
उत्तर: मलमल के थान और अबरों को परेश दादा जी के पास लेकर नहीं जाता था। - मूलराज के मझले बेटे का नाम लिखिए।
उत्तरः मूलराज के मझले बेटे का नाम कर्मचंद था। - दादाजी के अनुसार उनका परिवार किस पेड़ के समान है? उत्तरः दादाजी के अनुसार उनका परिवार बरगद के पेड़ के समान है।
- हल्की सी खरोच पर दवा न लगाने पर क्या बन जाती है? उत्तरः हल्की सी खरोंच पर दवा न लगाने पर वह नासूर (बड़ा घाव) बन जाती है।
- छोटी बहू के मन में किस की मात्रा जरूरत से ज्यादा है? उत्तरः छोटी बहू के मन में घमंड /दर्प की मात्रा जरूरत से ज्यादा है।
- घृणा को किससे नहीं मिटाया जा सकता है?
उत्तरः घृणा को घृणा से नहीं मिटाया जा सकता है। - बरगद का पेड़ किन लोगों ने उखाड़ दिया?
उत्तरः बरगद का पेड़ मल्लू और जगदीश ने उखाड़ दिया। - दादाजी ने परेश से छोटी बहू को कहाँ ले जाने के लिए कहा?
उत्तरः दादाजी ने परेश से छोटी बहू को बाज़ार ले जाने के लिए कहा। - किसे दूसरों का हस्तक्षेप और आलोचना पसंद नहीं है?
उत्तरः बेला को दूसरों का हस्तक्षेप और आलोचना पसंद नहीं है। - व्यक्ति किन गुणों से बड़ा होता है?
उत्तरः व्यक्ति बुद्धि से बड़ा होता है। - पेड़ की छाया को बढ़ाने का काम कौन करती है?
उत्तर: पेड़ की छाया को बढ़ाने का काम पेड़ की डालियां करती है। - दादाजी को किस कल्पना से सिहरन होने लगती है?
उत्तरः दादाजी को डालियों को टूट जाने से सिरहन होने लगती है। - बरगद के पेड़ की कहानी किनका निर्माण करती है?
उत्तरः बरगद के पेड़ की कहानी कुटुम्ब, समाज और राष्ट्र का निर्माण करती है। - दादा जी किसके हक में है?
उत्तरः दादाजी पुराने नौकरों के हक में है। - किसने सारी की सारी छत फावडे से खोद डाली?
उत्तरः मालवी ने साड़ी की साड़ी छत फावडे से खोद डाली। - बंशीलाल का लडका गली के सिरे पर क्या कर रहा था?
उत्तरः बंशीलाल का लड़का गली के सिरे पर खम ठोक रहा था। - बेला के अनुसार परिवार की सदस्य उससे किस प्रकार डरती हैं?
उत्तर: बेला के अनुसार परिवार की सदस्य ऐसे डरते हैं, जैसे मुर्गी के बच्चे बाज से डरते हैं। - दादाजी ने सब को क्या समझाया?
उत्तरः दादा जी ने सबको समझाया कि सब बेला का आदर करो। - सूखी डाली, एकांकीकार का नाम लिखिए।
उत्तरः सूखी डाली एकांकीकार का नाम-श्री उपेन्द्र नाथ अश्क है।
।।. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
- इन्दु को अपनी भाभी बेला पर क्रोध क्यों आया?
उत्तरः इंदु अपनी बडी चाची (बडी बहू) से बाते करते हुए कह रही है-भाभी हर बात पर अपने मायके की बातें करती है और मायके कि प्रशंसा करती रहती है। जब से वह आयी है, यही सुन रही हूँ कि उसके मायके के नौकर अच्छे हैं, उसके मायके के खाना-पीना अच्छे हैं, उसके मायके में कपडे पहने का ढंग आता है। यहाँ के लोगों को खाना-पीना, पहनना-ओढना कुछ नहीं आता है। बेला के सामने हमलोग अनपढ़-गँवार है, हमारे नौकर गँवार हैं, हमारे पड़ोसी गँवार है। वह हमलोगों को अपने सामने कुछ समझती हीं नहीं है। बेला ने राजवा को काम से भी निकाल दिया है और कहा है कि तुम्हें काम करने नहीं आता है। इन्हीं सब बातों को देखकर इंदु को अपनी भाभी बेला पर क्रोध आया। - रजवा ने छोटी भाभी से क्या कहा?
उत्तरः रजवा ने छोटी भाभी से कहा कि मैं 5-10 दिन में काम सीख जाऊंगी। मुझे 5-10 दिन का मोहलत दीजिए। मैं अच्छा से काम करूँगी। बेला ने उसकी बात नहीं मानी और उसके हाथ से झाडू छीनकर उसे काम से निकाल दिया और कहा कि तुम्हें काम करने नहीं आता है। - बेला ने सारा फर्नीचर और सामान कहाँ रख दिया और क्यों?
उत्तरः छोटी बहू बेला का पारा कुछ चढ़ा हुआ था। उसने सारा फर्नीचर और सामान निकालकर घर के बाहर रख दिया। क्योंकि बेला के अनुसार पूरा फर्नीचर टूटी-फूटी और सडे-गले था। जो उसे पसंद नहीं था। - कर्मचंद ने पेड़ से एक डाली टूटकर अलग होने की बात क्यों कही?
उत्तर: कर्मचंद ने दादाजी से कहा कि छोटी बहू के मन में दर्प (घमंड) की मात्रा जरूरत से ज्यादा है। मैंने मलमल के थान और रजाई के कपड़े लाकर दिया था और सब ने तो रख लिया, पर सुना है कि छोटी बहू को पसंद नहीं है। अपने मायके को शायद, वह इस घराने से बड़ा समझती है और इस घर को घृणा की दृष्टि से देखती है। बेला को इस घर में मन नहीं लग रहा है इसलिए वह इस घर में नहीं रहना चाहती है। लगता है कि पेड़ से एक डाली टूटकर अलग हो सकता है। - दादा जी के बडप्पन के संबंध में क्या विचार थे?
उत्तरः दादा जी अपने बेटे कर्मचन्द से बातें करते हुए कह रहे है कि बड़प्पन बाहर की वस्तु नहीं है, बडप्पन तो मन का होना चाहिए। बेटा! घृणा को घृणा से नहीं मिटाया जा सकता। बहू तभी अलग होना चाहेगी जब उसे घृणा के बदले घृणा दी जाएगी। लेकिन यदि उसे घृणा के बदले स्नेह (प्रेम) मिले तो उसकी सारी घृणा धुँधली पडकर लुप्त हो जाएगी। अगर वृक्ष के एक डाल टूट जाए और उस पर लाख पानी पटाव फिर से वह नहीं पनप सकता है। उसी तरह परिवार का कोई सदस्य एक बार भी अलग हो जाए तो बाद में फिर से वह एक साथ नहीं हो सकता है। - बेला की मानसिक दशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर: बेला लाहौर के एक प्रतिष्ठित तथा संपन्न कुल की सुशिक्षित एवं ग्रैजुएट लड़की थी। उसकी शादी ग्रैजुएट नायब तहसीलदार परेश से होती है। उसके ससुराल में परेश को छोड़कर कोई भी सदस्य पढ़ा-लिखा नहीं था। इसलिए बेला को ससुराल में अनुकुल (Adjust) करना मुश्किल हो रहा था। लेकिन दादा मूलराज पूरे परिवार के सदस्यों में से ज्यादा समझदार और गुणवान व्यक्ति थे। बेला का कोई भी कार्य परिवार के सदस्यों को पसंद नहीं था और परेश के परिवार के सदस्यों का कार्य बेला को बिल्कुल पसंद नहीं था और ना उसकी बात पसंद आता था। बेला की हमेशा हँसी मजाक उड़ाई जाती थी। उसकी निंदा की जाती थी। उसे घृणा की जाती थी। उसे महसूस होता था कि मैं पराई घर में आ गई हूँ। मेरा यहाँ कोई नहीं है। इसलिए बेला को ससुराल में मन नहीं लगता था। इसलिए वह हमेशा दुखीत और चिंतित रहती थी। इसलिए वह अपना घर अलग बसाना चाहती थी। - दादा जी ने परेश को किस प्रकार मनाया?
उत्तरः परेश ने दादा जी से कहा कि बेला को कोई पसंद नहीं करता है, सब उसकी निंदा करते हैं। परिवार के सभी सदस्य उसकी शिकायत करते हैं। सब उसका अपमान करते हैं। सब उसकी हँसी-मजाक उड़ाते है। वह कहती है, मैं ऐसा महसूस करती हूँ कि जैसे मैं पराई घर में आ गई हूँ। मुझे अपना एक भी सदस्य दिखाई नहीं देता है। उसे दूसरों का हस्तक्षेप और आलोचना पसंद नहीं है। मलमल के थान और रजाई के कपड़े तथा फर्नीचर पसंद नहीं है। इसलिए वह अपनी अलग गृहस्थी बसाना चाहती है जहाँ उसे रोकने वाला कोई न हो और अपनी जिंदगी स्वेच्छापूर्वक बिता सकें। तब दादा जी ने परेश को समझाया, मेरे जीते जी यह असंभव है। पेड़ की कोई डाली टूटकर अलग हो जाए। तुम चिंता न करो बेटा! मैं सबको समझा दूंगा घर में किसी को तुम्हारी पत्नी का तिरस्कार करने का साहस न होगा। कोई उसका समय नष्ट न करेगा। मैं कोई न कोई उपाय ढूँढ निकालूंगा। तुम विश्वास रखो। वह अपने आप को परायों से घिरी अनुभव न करेगी। उसे वही आदर-सत्कार मिलेगा जो उसे मायके में मिलता था। तुम स्वयं भी इस बात का ध्यान रखना तुम्हारी किसी बात से उसका मन दुखी न हो जाए। कोई भी ऐसी बात न करो जिसे वह अपना अपमान समझे। और तुम उसे अपने साथ ले जाकर नगर से सब चीजें मनपसंद खरीद दो। आज के बाद तुम्हें कोई शिकायत नहीं मिलेगी। मैं परिवार के सभी सदस्यों को बुलाकर समझा देता हूँ। - दादाजी ने किस अभिप्राय से सभी को बुलाया और क्या कहा?
उत्तरः दादा जी ने परिवार के सभी सदस्यों को विशेष अभिप्राय से बुलाया और कहा कि मुझे यह सुनकर बड़ा दुख हुआ कि छोटी बहू को यहाँ मन नहीं लग रहा है। दोष उसका नहीं है। दोष हमारा है वह एक बड़े घर की बेटी है, अत्यधिक पढ़ी लिखी है, सबसे आदर पाती और राज़ करती आई है। उसे हर एक का आदर करना पड़ता है। हर एक से दबाना पड़ता है। हर एक का आदेश मानना पड़ता है। उसका यहाँ व्यक्तित्व दबकर रह गया है। मुझे यह बात बिल्कुल पसंद नहीं है। कोई भी व्यक्ति उम्र से बड़ा नहीं होता है। अपनी बुद्धि और योग्यता से बड़ा होता है। छोटी बहू उम्र में कम है, लेकिन अकल में सबसे बड़ी है। हमें चाहिए कि उसकी बुद्धि और योग्यता से कुछ लाभ उठाएँ। मेरी इच्छा है कि उसे यहाँ वही आदर्श सत्कार मिले जो उसे अपने मायके में मिलता था। सब उसका कहना माने। अगर उसका काम तुम लोग बांट लेते हो तो उसे पढने लिखने का अधिक समय मिलेगा। मैं यह नहीं चाहता हूँ किकोई डाली इस पेड़ से टूटकर पृथक हो जाए। बस यही बात मैं कहना चाहता हूँ कि यदि मैं सुन लिया कि किसी ने छोटी बहू का निरादर किया है, उसकी हँसी मजाक उड़ाई है, या फिर उसका समय नष्ट किया है, तो इस घर से मेरा नाता सदा के लिए टूट जाएगा। अब तुम लोग जा सकते हो। - दादा जी की क्या आकांक्षा थी?
उत्तरः दादा जी की आकांक्षा थी कि परिवार के सभी सदस्य एक साथ खुशी से रहे और एक दूसरे को मदद करें। यह परिवार एक वट वृक्ष के समान है अगर एक भी डाल पेड़ से टूटकर अलग हो जाएं। तो उसमें कितना भी पानी डालो वह फिर से पनप नहीं सकता है। उसी तरह परिवार के कोई सदस्य एक बार घर से अलग हो जाए तो वह फिर से इकट्ठा नहीं हो सकता है। संयुक्त परिवार को टूटना दादा जी को बिलकुल पसंद नहीं था। - घर के लोगों के व्यवहार में बदलाव देखकर बेला की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तरः घर के लोगों के व्यवहार में अचानक बदलाव देखकर बेला आश्चर्य में पड़ गई। ऐसा मालूम पड रहा था जैसे-परिवार के सभी सदस्य हमसे डर रहे हो। सब मुझसे ऐसा डरती हैं जैसे मुर्गी के बच्चे बाज से। मेरे सामने कोई हँसता नहीं है। जब मैं काम करने जाती हूँ तब परिवार के सभी सदस्य हमारे पास आ जाते हैं और काम में हाथ बंटाने लगते हैं। कोई मुझसे अधिक समय तक बात नहीं करना चाहता है। आखिर घर में क्या चल रहा है जो मुझे समझ में नहीं आ रहा है। लेकिन ऐसी कोई बात नहीं थी। ये सब दादा जी के समझाने-बुझाने का प्रभाव था, जो बेला को समझ में नहीं आ रहा था। - मालवी ने सारी-की-सारी छत क्यों और कैसे खोद डाली?
उत्तरः मालवी अपने देवर बंशीलाल के कारनामों के विरुद्ध राज्य मजदूर द्वारा रसोई की छत, जो डालकर गए थे। उसे फावड़ा लेकर सारी छत को खोद डाली। जिसकी खबर बंशीलाल को कानों कान तक नहीं पहुंची। - बेला अपने मायके क्यों जाना चाहती थी?
उत्तर: बेला का कोई भी कार्य या बात परिवार के सदस्यों को पसंद नहीं था और न परेश के परिवार के सदस्यों का कार्य बेला पसंद था। और ना उसकी बात पसंद आता था। बेला की हमेशा हँसी मजाक उड़ाई जाती थी। उसकी निंदा की जाती थी। उसे घृणा की जाती थी। उसे महसूस होता था कि मैं पराई घर में आ गई हूँ। मेरा यहाँ कोई नहीं है। इसलिए बेला को ससुराल में मन नहीं लगता था। वह हमेशा दुखीत और चिंतित रहती थी। इसलिए बेला अपने मायके जाना चाहती थी। - इन्द्र के मुँह से दादाजी की बात सुनकर बेला ने क्या कहा?
उत्तरः इंदु ने बेला से कहा-दादाजी ने सबको समझाया था कि मैं ये नहीं चाहता हूँ कि पेड़ से कोई डाली टूटकर अलग हो जाए। इसलिए घर में सब बेला का आदर करें। वह बड़े घर की बेटी है, अत्यधिक पढ़ी-लिखी और गुणवती है। कोई भी व्यक्ति उम्र से बड़ा नहीं होता है। अपनी बुद्धि और योग्यता से बड़ा होता है। छोटी बहू उम्र में कम है, लेकिन अकल में सबसे बड़ी है। हमें चाहिए कि उसकी बुद्धि और योग्यता से कुछ लाभ उठाएं। तब बेला ने इंदु से कहा मैं तो आदर नहीं चाहती हूँ। मैं तो तुम सबके साथ मिलकर काम करना चाहती हूँ। - बेला ने भावावेश में रूंधे हुए कंठ से दादा जी से क्या कहा?
उत्तरः बेला ने भावावेश में रुंधे हुए कंठ से दादाजी से कहा-दादाजी आप पेड से किसी डाली का टूटकर अलग होना पसंद नहीं करते हैं। पर क्या आप चाहेंगे कि पेड़ से लगी हुई डाली सूखकर मुरझा जाए। इतनी बात कहकर बेला सिसकने लगती है और दादाजी का भी कंठ भर गया।रुंघे - दादा जी का चरित्र- चित्रण कीजिए।
उत्तरः दादा (मूलचंद) घर के स्वामी थे। उनका सोच-विचार बहुत अच्छा था। वे गंभीर और शांत स्वभाव के व्यक्ति थे। बडे होने के कारण वे घर का पूरा भार अपने कंधों पर लेकर चलते थे। उनके पास थोड़ा जमीन था। उसमें कड़ी मेहनत करके बहुत जमीन खरीदे। उसमें फार्म, डेयरी, चीनी का कारखाना आदि बनवाए। जिसमें कई लोगों की रोजी-रोटी लग गई। इससे दादा जी को आमदनी का स्रोत बढ़ गया। घर में किसी प्रकार का मनमुटाव या झगड़ा होता तो वे अपने बुद्धि विचार से उसको सुलझा देते थे। वे नहीं चाहते थे कि परिवार का कोई सदस्य घर से अलग हो। - बेला की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
उत्तरः बेला लाहौर के एक प्रतिष्ठित तथा संपन्न कुल की सुशिक्षित एवं ग्रैजुएट लड़की थी। बेला का कोई भी कार्य परिवार के सदस्यों को पसंद नहीं था और परेश के परिवार के सदस्यों का कार्य बेला को बिल्कुल पसंद नहीं था और ना उसकी बात पसंद आता था। वह पढी-लिखी थी। लेकिन वह थोडा अबोध-सी लगती थी। अगर परिवार का सदस्य कुछ बोल देता तो वह अपने आपको अपमानित समझती थी। उससे हर बात पर गुस्सा आता था। कभी कभी अपने पति परेश से भी जगह पड़ती थी और रोने लगती थी।

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