1 एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:

  1. कवि ने बूढ़ा चौकीदार किसे कहा है?
    उत्तर: कवि ने अपने घर के सामने वाले पेड को बूढा चौकीदार कहा है।
  2. वृक्ष का शरीर किससे बना है?
    उत्तरः वृक्ष का शरीर पुराने चमड़े से बना है।
  3. सूखी डाली कैसी है?
    उत्तरः सूखी डाली राइफल जैसी है।
  4. वृक्ष की पगड़ी कैसी है?
    उत्तरः वृक्ष की पगडी फूल और पत्तीदार है।
  5. देश को किससे बचाना है?
    उत्तर: देश को दुश्मनों से बचाना है।
  6. हवा को क्या हो जाने से बचाना है?
    उत्तर: हवा को धुआँ हो जाने से बचाना है।
  7. जंगल को क्या हो जाने से बचाना है?
    उत्तर: जंगल को मरुस्थल हो जाने से बचाना है।

II निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:

  1. वृक्ष न दिखने पर कवि उसकी यादों में कैसे खो गये?
    उत्तरः कवि-कुंवर नारायण ने वृक्ष के प्रति अपनी भावनाएँ व्यक्त की है। बचपन से जिस वृक्ष को देखते थे, उसके न दिखने से वे दुखी हो जाते हैं। यहाँ वह कह रहे हैं, जब इस बार मैं घर लौटा तो वह वृक्ष घर के दरवाजे के सामने नहीं था। तब कवि उसकी यादों में खोकर वे कहते हैं, उसका शरीर कितना सख्त था कि पुराना होने के कारण वह बहुत झुरियोंदार और खुरदरा हो गाया था। उस पर धूल जम गई थी, जिसके कारण वह मैला-सा दिख रहा था। एक सूखी डाली राइफल्स-सी तनी हुई दिखती थी और उसके ऊपर फूल और पत्तों का पगड़ी पहनी हुई मालूम पड़ रहा था। वह वृक्ष कट जाने से अब वहाँ नहीं था। इसलिए कवि उसकी यादों में खो गए।
  2. वृक्ष की महत्ता पर प्रकाश डालिए।
    उत्तरः ‘एक वृक्ष की हत्या’ कविता में कुँअर नारायण जी वृक्षों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए वृक्षों के महत्व को समझाते हैं कि बारिश में, गर्मी में, सर्दी में हमेशा चौकन्ना रह कर चौकीदार के सामान मानव की रक्षा करता है। वृक्ष मानव का मित्र होता है। थके-मादे मानव को वृक्ष शांति एवं शीतल हवा पहुंचाता है। वृक्ष हमें फल, फूल, पत्तियाँ, सब्जियाँ, फर्नीचर आदी प्रदान करती है। अगर वृक्षों की संख्या घट गई तो बारिश नहीं होगी। जंगल मरुभूमि बनकर निर्जन हो जाएगा। इसलिए पेड़ों की रक्षा कर मानव को बचाना है।
  3. पर्यावरण के संरक्षण के संबंध में कवि कुंवर नारायण के विचार लिखिए।
    उत्तर: पेड के काटे जाने से कवि संवेदनशील हो गए हैं। उसकी याद में भावना शील हो गए हैं। वह कह रहे हैं शुरू से ही मुझे डर था कि कोई दुश्मन इस पेड़ को काट न दे। ऐसे कई पेड़ हर जगह पर काटे जा रहे हैं। अपने स्वार्थ के लिए, कभी जगह के लिए, तो कहीं फर्नीचर के लिए लोग पेड़ों को काट रहे हैं। इसलिए लुटेरों, आतंक फैलाने वालों से, अपने देश को इन गद्दारों से बचाना है। क्योंकि वे लोग अपने देश या यहाँ के लोगों के बारे में नहीं सोच रहे हैं।आज वे इन पेड़ों को काट रहे हैं, कल वे लुटेरे सारे देश को लूटेंगे। नहीं तो एक दिन ये नदियां नाले जैसे बन जाएंगे। हवा धुआं से भर जाएगा, तो सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा। पेड़ नहीं रहेंगे बारिश नहीं होगी। हवा गंदी हो जाएगी, तो खाना भी जहर हो जाएगा। यहाँ की जंगल काटे जा रहे हैं, भूमि मरुस्थल होते जा रहा है। इसलिए हमको अपने देश को बचाना है।

III संदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:
1 ‘अबकी घर लौटा तो देखा वह नहीं था-
वहीं वही चौकीदार वृक्ष,
जो हमेशा मिलता था घर के दरवाजे पर तैनात ।’
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्ति को कवि- कुंवर नारायण द्वारा लिखित ‘एक वृक्ष की हत्या’ पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने उस वृक्ष को कट जाने के बारे में कहा है, जो उसकी यादें कवि को बार-बार सताते रहती है।
स्पष्टीकरण: कवि कई दिनों के बाद घर लौटा तो देखा कि उसके घर के पास जो एक बड़ा पेड था, जो किसी ने काट दिया था। वह बूढ़े वृक्ष चौकीदार की तरह खड़ा रहता था। वह हमेशा घर के पास तैनात होकर, घर की रक्षा करता रहता था। अब वह वृक्ष वहाँ पर नहीं है। इसलिए कवि उदास होकर उपयुक्त बातें कह रहे हैं।
विशेषताः वृक्ष के महत्व के बारे में बताया गया है।

  1. ‘दरअसल शुरू से ही था हमारे अंदेशो में कहीं एक जानी दुश्मन की घर को बचाना है लुटेरों से शहर को बचाना है नदियों से देश को बचाना है, देश के दुश्मनों से।’
    प्रसंग:
    प्रस्तुत पंक्ति को कवि- कुंवर नारायण द्वारा लिखित ‘एक वृक्ष की हत्या’ पाठ से लिया गया है।
    संदर्भ: इस कविता में कवि ने वृक्षों के प्रति अपनी संवेदना जताई है।
    स्पष्टीकरणः बचपन से ही अपने घर पर तैनात चौकीदार वृक्ष को न दिखने पर कवि उदास हो जाते हैं और उसकी यादों में खो जाते हैं। कवि और उस वृक्ष का एक रिश्ता बना हुआ था। धूप में, गर्मी में, बारिश में, शर्दी में, हमेशा चौकन्ना रहता था। जो छायादार पेड़ के कट जाने पर कवि का क्षोभ बढ़ जाता है। वृक्ष के महत्व को समझाते हुए कवि कहते है, ऐसे दुष्ट से, दुश्मनों से, नादियों से, लुटेरों से, शहरों और देश को बचाना है।
    विशेषताः कवि ने स्वार्थी मनुष्य को धिक्कारा है।

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