i.एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
- कवि नरेन्द्र शर्मा क्या न बनने का संदेश देते हैं?
उत्तर: कवि नरेन्द्र शर्मा कायर न बनने का संदेश देते हैं। - कौन राह रोकता है?
उत्तरः पत्थर रूपी परेशानियाँ राह रोकता है। - कवि नरेन्द्र शर्मा के अनुसार मनुष्य को किसने सींचा है?
उत्तर: कवि नरेंद्र शर्मा के अनुसार मनुष्य को खून और पसीना ने सींचा है। - कवि नरेन्द्र शर्मा मनुष्य को किस के बल पर जीतने को कहते हैं?
उत्तर: कवि नरेन्द्र शर्मा मनुष्य को प्रीति के बल पर जितने को कहते हैं। - कवि नरेन्द्र शर्मा के अनुसार प्रतिहिंसा क्या है?
उत्तर: कभी नरेन्द्र शर्मा के अनुसार दुर्बलता प्रतिहिंसा है। - कवि नरेंद्र शर्मा ने किसे अधिक अपावन कहा है?
उत्तर: कवि नरेंद्र शर्मा ने कायरता को अपावन कहा है। - कभी नरेंद्र शर्मा किसके सामने आत्मसमर्पण न करने के लिए कहते हैं?
उत्तरः कवि नरेन्द्र शर्मा कहते हैं कि दुष्टों के सामने आत्मसमर्पण न करना चाहिए।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
- कायर मत बन कविता के द्वारा कवि हमें क्या संदेश देते हैं?
उत्तर: कायर मत बन कविता के द्वारा कवि हमें संदेश देते हैं कि कभी भी मनुष्य को कायर नहीं बनना चाहिए। कभी भी दुष्टों के सामने आत्मसमर्पण नहीं करना चाहिए। मनुष्य को आलसी नहीं बनना चाहिए। कठिन परिश्रम करना चाहिए। - कवि नरेंद्र शर्मा ने प्रतिहिंसा और कायरता के संबंध में क्या कहा है?
उत्तर: कभी नरेंद्र शर्मा ने प्रतिहिंसा और कायरता के संबंध में बताया है कि दुष्ट को कभी भी क्षमा नहीं करना चाहिए। क्योंकि क्षमा का मूल्य उसके सामने नहीं रहता है। हिंसा के प्रति हिंसा करने से ही दुष्ट को सबक मिलता है और आपके बल के बारे में उसे पता चलता है। इसलिए दुष्ट के सामने कभी नहीं झुकना चाहिए। - मानवता के प्रति कवि नरेन्द्र शर्मा के विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर: मानवता के प्रति कवि नरेन्द्र शर्मा के विचार है कि कभी भी दुष्टों की रक्षा या क्षमा नहीं करनी चाहिए। अपने प्राणों की बलि देकर भी समाज की रक्षा तथा देश की रक्षा करनी चाहिए। कभी भी मानव कल्याण हेतु कार्य करना चाहिए।
III. ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए।ले-देकर जीना क्या जीना ?
1.कब तक गम के आँसू पीना? मानवता ने सींचा तुमको बहा युगों तक खून पसीना।
प्रसंग: प्रस्तुत पद को कवि नरेन्द्र शर्मा द्वारा लिखित कायर मत बन पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: प्रस्तुत पद को कवि नरेंद्र शर्मा ने लोगों से कहा है।
स्पष्टीकरणः प्रस्तुत पद में कवि ने बताया है कि गम का आंसू पीकर नहीं जीना चाहिए। मनुष्य को खून-पसीना एक करके, कड़ी मेहनत करके जिंदगी जीना चाहिए।
विशेषताः मनुष्य को कायर नहीं बनकर, बल्कि कठिन परिश्रम करके जीवन जीना चाहिए।
2.युद्धम दे ही रहे जब पामर दे न दुहाई पीठ फेरकर; या तो जीत प्रीति के बल पर या तेरा पद चूमे तस्कर।
प्रसंग: प्रस्तुत पद को कवि नरेन्द्र शर्मा द्वारा लिखित कायर मत बन पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: प्रस्तुत पद को कवि नरेंद्र शर्मा ने लोगों से कहा है।
स्पष्टीकरणः प्रस्तुत पद में कवि ने बताया है कि दुष्ट के समक्ष दया और क्षमा नहीं दिखना चाहिए। लेकिन पहले उसे प्रेम के बल से रास्ते पर लाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं करता है, तब दुष्टों के साथ ऐसा व्यवहार करो कि तुम्हारा पैर चूमने को मजबूर हो जाए। ऐसे ही मनुष्य को वीर पुरुष कहते हैं।
विशेषताः दुष्टों को रास्ते पर लाने के लिए प्रेम से समझाना चाहिए। अगर वह प्रेम से नहीं समझता है, तो उसे ऐसा सबक सिखाओ कि तुम्हारे पैर चूमने के लिए मजबूर हो जाए।

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