1 एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
- राम कृष्ण की जन्मभूमि मन में क्या भरती हैं?
उत्तर: राम कृष्ण की जन्मभूमि मन में मृदु मंगल भरती है। - माखन का भोग कौन लगाते हैं?
उत्तर: माखन का भोग कृष्ण कन्हैया लगाते हैं। - भजन भाव में किसकी वाणी जैसा धीर है?
उत्तरः भजन भाव में गुरु नानक की वाणी जैसा धीर है। - हरा-भरा हरियाणा किनका स्थल है?
उत्तरः हरा-भरा हरियाणा अर्जुन भीम और युधिष्ठिर का स्थल है। - इंद्रपुरी किसके सामने पानी भरती हैं?
उत्तरः इंद्रपुरी इंद्रप्रस्थ के सामने पानी भरती हैं। - राणा की हुंकार कहाँ सुनी जा सकती है?
उत्तर: राणा की हुंकार राजस्थान में सुनी जा सकती है। - पितरों का तर्पण किस भूमि में होता है।
उत्तर: पितरों का तर्पण बिहार की भूमि में होता है। - तमिलनाडु में रामायण का ज्ञान कौन दे रहा है?
उत्तर: तमिलनाडु में रामायण का ज्ञान संत-कम्ब दे रहा है। - भारतीयता कहाँ बहु रूम में संवरती है?
उत्तरः भारतीयता कन्नड नाडू मे बहु रूमों में संवरती है। - कर्नाटक में किस महाकवि के दर्शन कर सकते हैं?
उत्तर: कर्नाटक में पंप महाकवि के दर्शन कर सकते हैं।
II निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
- मानव ने उत्तर प्रदेश की किन विशेषताओं का वर्णन किया है?
उत्तरः डॉ. पूण्यमचण्द ‘मानव’ भारत की धरती का वर्णन करते हुए उत्तर प्रदेश की विशेषताओं के बारे में बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में काशी, प्रयाग, हरिद्वार जैसे पुण्य स्थल है। मल्लिक मुहम्मद जायसी, कबीर, तुलसीदास के उद्धार यहीं पर हुए हैं। बद्रीनाथ, केदारनाथ जैसे तीर्थ स्थल यहीं पर है। यहीं पर राम, कृष्ण, कन्हैया की भूमि है। रावण, कंस जैसे दुष्ट राक्षस का नाश इसी भूमि पर हुआ है। इस प्रकार कवि-डॉ. पुण्यमचंद ‘मानव’ ने उत्तर प्रदेश की विशेषताओं का वर्णन किया है। - पंजाब केसरी की महत्ता प्रकट कीजिए।
उत्तर: हमारे भारतवर्ष की उत्तरी सीमा पर विशाल हिमराज हिमालय खड़ा है। उसकी तराई में पंजाब अपने में अति उर्वरक एवं उपजाऊ भूमि है। जिसके बल पर हिमालय पर्वत ऊंचा मस्तक किए खड़ा हुआ है। वह पंजाब केसरी अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ वीर सिक्खों ने जन्म लिया है। तेज बहादुर की वीरता, और उनकी रणकौशल तथा गुरुनानक की संत वाणी सबको मोह लेती है। इस धरती की गर्जना से सारे जगत की गर्जना होती है। - हरियाणा की सांस्कृतिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: डॉ. पुण्यमचंद मानव ने भारत की धरती कविता में भारत के विभिन्न प्रांतों की विशेषज्ञों का वर्णन किया है हरियाणा के बारे में वे कहते हैं कि हरित भारत हरियाणा की संस्कृति बहुत ही प्राचीन है पर अर्जुन, भीम, युधिष्ठिर आदि महापुरुषों की क्रीड़ास्थली है। यहीं पर कुरुक्षेत्र में महाभारत के युद्ध में कौरव-पांडव ने भाग लिया था। यहीं पर श्रीकृष्ण भगवान ने अर्जुन को भागवत गीता का ज्ञान दिया था। यहीं पर धर्म-कर्म, संस्कृति, सभ्यता बल पौरुष का संभल है। यहाँ इंद्रप्रस्थ के सम्मुख इंद्रपुरी भी पानी भरती हैं। - राजस्थान की वीरता के संबंध में ‘मानव’ के क्या विचार है?
उत्तर: कवि-‘मानव’ कह रहे हैं कि राजस्थान की हल्दी घाटी जहाँ पर, आप राजपूत राजाओं की हुंकार सुन सकते हैं। वहाँ की चट्टान पर राणा की तलवार खनकी है। पूरा राजस्थान उनके शौर्य वीरता की कहानियों से भरा पड़ा है। राजपूत लोग जो वचन देते थे, वे निभाना भी जानते थे। कभी उन्होंने दुश्मनों को अपनी पीठ नहीं दिखाई। वतन के लिए मर जाने वाले वीरों की भूमि है। राजस्थान वहाँ पर सिर्फ मर्द ही नहीं, वहाँ की उन महान राजपूतानियों की कहानियाँ हैं जो जौहर के लिए मशहूर है। यहाँ ऐसी वीरों की धरती है। - बिहार राज्य की भव्यता का वर्णन कीजिए।
उत्तरः डॉ.-पुण्यमचंद ‘मानव’ ने बताया है कि बिहार की भूमि में पितरों का तर्पण होता है। यहीं पर जय प्रकाश नारायण का जन्म हुआ था। जिसे प्यार से लोग जेपी नारायण कहते हैं। उनकी मध्यस्थता विचारों से प्रभावित होकर डाकू लोग भी आत्मसमर्पण कर देते थे। यहीं पर विश्व विख्यात नालंदा, वैशाली विश्वविद्यालय है। गौतम बुद्ध, महावीर ने यहीं पर अपने उपदेशों से लोगों को प्रभावित किया था। - दक्षिण प्रदेश की महत्ता को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: कवि ‘मानव’ जी ने भारत की धरती कविता में भारत के विभिन्न प्रांतों का वर्णन किया है। दक्षिण के प्रदेशों को उन्होंने रत्नों की खान कहा है। तमिलनाडु में कम्ब ने रामायण का ज्ञान दिया था। केरल और आंध्र प्रदेश सभ्यता संस्कृति और धर्म के विधायक हैं। महाराष्ट्र में वीर शिवाजी का गुणगान होता है। कर्नाटक में कावेरी नदी बहती है। यहीं पर टीपू सुल्तान और रानी चेनम्मा के बलिदानों की कहानियाँ मिलती है। तो दूसरी ओर बसेश्वर महादेवी रामानुज जैसे संतों ने अपने ज्ञान से सारे संसार को प्रकाशित किया है। इस प्रकार दक्षिण प्रदेश धर्म-कर्म, साहित्य कला, संस्कृति आदि का पालन करने वाला प्रदेश है। - कर्नाटक के गौरवशाली इतिहास और संस्कृति के संबंध में मानव के क्या उद्गगार हैं?
उत्तर: कर्नाटक की गौरव गाथा गाते हुए कवि- ‘मानव’ कह रहे हैं कि दुनिया भर में माथा ऊंचा करने वाले टीपू सुल्तान की वीरता अपने बलिदान के लिए प्रसिद्ध है। रानी चेनम्मा इस धरती की देन है। प्रकृति का सुंदर रूप यहाँ देखने को मिलता है। ऐतिहासिक घटनाओं का प्रमुख क्रीडास्थल यहीं पर है। भारतीय कन्नड नाडू में बहुत रूपों में संवरती है। कर्नाटक में कावेरी नदी बहती है। यहाँ के बसवेश्वर, अक्कमाहादेवी, रामानुज जैसे संतों ने अपने ज्ञान से संसार को प्रकाशित किया है। इस प्रकार धर्म, कला एवं कर्नाटक की संस्कृति का आराधना का केंद्र है।
III संदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:
- ‘वेद और उपनिषद ज्ञान गीत का तत्व प्रदाता है। सरस्वती सरिता तट वैदिक मंत्रों का उदगाता है॥
हरित-भारी हरियाणा, अर्जुन, भीम, युधिष्ठिर का स्थल है।
धर्म-कर्म-संस्कृति सभ्यता, बल-पौरुष का संबल है ॥’
प्रसंग: प्रस्तुत पद को कवि-डॉ. पुण्यमचन्द ‘मानव’ द्वारा लिखित ‘भारत की धरती’ पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: प्रस्तुत पद के माध्यम से कवि-डॉ. पुण्यमचन्द ‘मानव’ ने ‘भारत की धरती’ के हरियाणा प्रांत के गौरवमयी इतिहास और सांस्कृतिक विशेषताएं का वर्णन किया है।
स्पष्टीकरणः कवि-डॉ. पुण्यमचन्द ‘मानव’ ने हरियाणा प्रदेश की विशेषताओं का वर्णन करते हुए कहते हैं कि यह प्रदेश वेद, उपनिषद अपनी ज्ञान-गीता के तत्वों का प्रदाता है। सरस्वती नदी के तट पर वैदिक मंत्रों का उद्गाता है।
हरा-भरा हरियाणा अर्जुन, भीम, युधिष्ठिर का स्थल है। धर्म-कर्म, संस्कृति सभ्यता का बल पौरुष है।
विशेषताः कवि ने अपनी देश की संस्कृति और सभ्यता के बारे में बताया है।
- ‘परम पुनीत नीर कावेरी, मस्तक धर कर्नाटक में। पंप महाकवि के दर्शन कर लो चलकर कर्नाटक में ॥ बसवेश्वर या अक्कमहादेवी कर्नाटक में गाते। रामानुज आचार्य, ‘मेलकोटे’ में दर्शन दे जाते ॥
प्रसंग: प्रस्तुत पद को कवि-डॉ. पुण्यमचन्द ‘मानव’ द्वारा लिखित ‘भारत की धरती’ पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: प्रस्तुत पद में कवि-डॉ. पुण्यमचन्द ‘मानव’ ने भारत देश की महानता एवं उसमें कर्नाटक प्रांत की विशेषता कावर्णन किया।
स्पष्टीकरण: कर्नाटक प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। जिसकी अपनी विशेषता यहाँ पर है। पवित्र नदी माता कावेरी पूरे प्रदेश को पानी देती है। महा कवि-पम्प ने रामायण की अनुपम रचना की है। जो सबको ज्ञान प्रदान करता है। कर्नाटक में महाकवि बसेश्वर, अक्कमहादेवी ने कर्नाटक का मस्तक ऊंचा किया है। इस प्रकार कर्नाटक में धर्म, कला एवं संस्कृति का आराधना केंद्र है तथा कर्नाटक रामानुज आचार्य के दर्शन करने के लिए लोग मेल कोट जाते हैं।
विशेषताः इसमे कर्नाटक की महत्ता का वर्णन किया गया है।

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