1 .एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
- किस वस्तु को पाकर मनुष्य उन्मत्त होता है?
उत्तर: सोने को पाकर मनुष्य उन्मत्त होता है। - भगवान कब प्रसन्न होते हैं
उत्तरः भगवान को सच्चे मन से स्मरण करने से भगवान प्रसन्न होते हैं। - बाँसुरी किस रंग है?
उत्तरः बासुरी हरे रंग की है। - प्रेमी चित्त कब उजला होता है?
उत्तर;प्रेमी चित्त जो श्याम के रंग में रंग जाता है, त्यों-त्यों उजला होता है। - वस्तुएँ कब सुंदर प्रतीत होती है?
उत्तरः वस्तुएँ समय-समय पर सुंदर प्रतीत होती है। - पातक, राजा और रोग किसे दबाते हैं?
उत्तर: पातक, राजा रोग ये तीनों दुर्बल लोगों को दबाते हैं। - संपत्ति रूपी सलिल के बढ़ने का क्या परिणाम होता है?
उत्तर: संपत्ति रूपी सलिल के बढ़ने से मन रूपी कमल बढ़ता जाता है।
II निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
- बिहारी ने दोनों कनक के संबंध में क्या कहा है?
उत्तर: बिहारी ने कनक शब्द का अर्थ दो तरह से किया है। वे कहते हैं कि एक कनक यानी धतूरे के बीज को खाने से भी नशा चढ़ जाता है और दूसरा अर्थ में उन्होंने बताया है किसी कि व्यक्ति को अधिक सोना मिल जाने से उसे भी धन का नशा (घमण्ड) हो जाता है। इस तरह से धतुरे बीज और सोने में मादकता होती है। - संपत्ति रूपी पानी और मन रूपी कमल के संबंध में बिहारी के क्या विचार हैं?
उत्तर: संपत्ति रूपी पानी और मन रूपी कमल के संबंध में बिहारी ने बताया है कि मनुष्य को संपत्ति बढ़ने के साथ साथ उसका घमंड भी बढ़ने लगता है। लेकिन समय आने पर उसकी संपत्ति कम होने लगती है या खत्म हो जाती है। फिर भी उसका घमंड खत्म नहीं होता है। जैसे-जलाशय में पानी रहने पर कमल खिलते रहता है। लेकिन पानी घटने पर भी उसकी जड़ें नहीं सूखती है। इसलिए मनुष्य को सुख-दुख में सामान्य रूप में रहना चाहिए। - सब वेद और स्मृतियाँ क्या बताते हैं?
उत्तर: वेद शास्त्र के ज्ञानी लोगों ने जो बातें बताई है, उसी को बिहारी ने यहाँ पर बता रहे हैं कि दुर्बल को पापी दबाते हैं। राजा को रोग दबाते हैं, कमजोर को दुश्मन दबाते हैं। इससे बचने के लिए अपने कमजोरियों पर, अपने स्वास्थ्य पर, और दुश्मनों पर हमेशा नजर बनाए रखना होगा और ध्यान देते रहना होगा। इसलिए अपनी कमजोरी और बीमारी के बारे में किसी को नहीं बताना चाहिए।
III संदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:
- ‘कनक-कनक तै सौगुणों, मादकता अधिकाइ। उहिं खाऐं बौराइ, इहिं पाऐं ही बौराइ॥’
प्रसंग: प्रस्तुत दोहे को कवि-बिहारीलाल द्वारा लिखित बिहारी के दोहे पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: प्रस्तुत दोहे के माध्यम से कवि-बिहारीलाल ने लोगों से कहा है।
स्पष्टीकरणः बिहारी ने कनक शब्द का अर्थ दो तरह से बताया है। वे कहते हैं कि एक कनक यानी धतूरे के बीज को खाने से भी नशा चढ़ जाता है और दूसरा अर्थ में उन्होंने बताया है कि किसी व्यक्ति को अधिक सोना मिल जाने से उसे भी धन का नशा (घमण्ड) हो जाता है। इस तरह से धतुरे बीज और सोने में मादकता होती है।
विशेषताः धतूरा का बीज हो या सोना हो ज्यादा लेने से उसे नशा हो जाता है। - ‘अति आगधु अति औथरौ, नदी, कूप, सरु बाइ। सो ताकौ सगरु जहाँ, जाकी प्यास बुझाइ ॥’
प्रसंग: प्रस्तुत दोहे को कवि-बिहारीलाल द्वारा लिखित बिहारी के दोहे पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: प्रस्तुत दोहे के माध्यम से कवि-बिहारीलाल ने बडे लोगों के बारे में कहा है।
स्पष्टीकरणः प्रस्तुत दोहे में कवि-बिहारीलाल ने बताया है कि इस जगत में बहुत सारे कुएँ है, सरोवर है, नदियाँ है, जलाशय है। उसी से सभी जीव-जंतुओं की प्यास बुझती है। लेकिन समुद्र में बहुत पानी रहते हुए भी खड़ा होने के कारण उसे कोई जीव-जंतु नहीं पी पाता है। उसी प्रकार अगर आपके घर के पास कोई बड़ा आदमी हैं, अगर आपको वह दुख में मदद नहीं करता है तो वह सागर के सम्मान है यानी वह बेकार है। लेकिन आपके बुरे वक्त में जो आपको मदद करता है वही आदमी आपके लिए बड़ा होता है।
विशेषताः कोई आदमी नाम से बड़ा नहीं होता है, अपने कर्म से बड़ा होता है।

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