I.एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
- ठाकुर साहब के कितने बेटे थे?
उत्तरः ठाकुर साहब के दो बेटे थे। - बेनीमाधव सिंह अपनी आधी से अधिक संपत्ति किसे भेंट के रूप में दे चुके थे?
उत्तरः बेनी माधव सिंह अपनी आधी से अधिक संपत्ति वकीलों को भेंट के रूप में दे चुके थे। - ठाकुर साहब के बड़े बेटे का नाम क्या था?
उत्तरः ठाकुर साहब के बड़े बेटे का नाम श्रीकंठ सिंह था। - श्रीकंठ सिंह कब घर आया करते थे?
उत्तरः श्रीकंठ सिंह शनिवार को घर आया करते थे। - आनन्दी के पिता का नाम लिखिए?
उत्तरः आनन्दी के पिता का नाम भूपसिंह था। - थाली उठाकर किसने पलट दी?
उत्तरः थाली उठाकर लाल बिहारी ने पलट दी। - गौरीपुर गाँव के जमींदार कौन थे?
उत्तरः गौरीपुर गाँव के जमींदार बेनीमाधव सिंह थे। - किसकी आँखे लाल हो गई थी?
उत्तरः लाल बिहारी सिंह की आँखें लाल हो गई थी। - बिगड़ता हुआ काम कौन बना लेती है?
उत्तरः बिगड़ता हुआ काम बड़े घर की बेटी बना लेती है। - बड़े घर की बेटी कहानी के लेखक कौन हैं?
उत्तरः बड़े घर की बेटी कहानी के लेखक मुंशी प्रेमचंद है।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
1. बेनी माधव सिंह के परिवार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर- बेनी माधव सिंह गौरीपुर गांव के एक जमींदार थे। उनके पिता किसी समय बड़े धन-धान से संपन्न थे। उनकी वर्तमान आय ₹1000 वार्षिक से अधिक ना थी। वे आधी से अधिक संपत्ति वकीलों को भेंट कर चुके थे। इनके दो पुत्र थे। बड़े बेटे का नाम-श्रीकंठ सिंह तथा छोटे बेटे का नाम लालबिहारी सिंह था। श्रीकंठ सिंह बी. ए. की डिग्री प्राप्त करके इलाहाबाद शहर में नौकरी करता था। लालबिहारी सिंह दोहरे बदन वाला एक नौजवान लड़का था। वह बहुत खाता-पीता था और मौज मस्ती करता था। श्रीकंठ सिंह का विवाह लाहौर के एक सुशील, संपन्न और शिक्षित लड़की आनंदी के साथ हुआ था।
2. आनन्दी ने अपने ससुराल में क्या रंग ढंग देखा?
उत्तरः आनन्दी एक बड़े घर की बेटी थी। वह अपने घर में सुखी-सुविधाओं में पली थी। उसके बाप एक छोटी सी रियासत के ताल्लुकेदार थे। विशाल भवन, एक हाथी, तीन कुते, चार झाड़ फानूस था। वहाँ नौकर – चाकर भी काम करते थे। जो एक प्रतिष्ठित तालुकेदार के योग्य था। वहाँ सभी सुख-सुविधा विद्यमान था। लेकिन जब आनन्दी अपने नए घर में आई तो यहाँ का रंग -ढंग कुछ और ही अजीब था। उसे टीम-टाम में रहने की आदत बच्चपन से ही पड़ी हुई थी। यहाँ नाम मात्र भी न था। हाथी-घोडा को तो कहना ही क्या, कोई सजी हुई सुंदर दीवार भी न थी। रेशमी स्लीपर साथ लाई थीं, पर यहाँ बाग बगीचा नहीं था। मकान में खिड़कियाँ तक न थी, न जमीन पर फर्श था, न दीवार पर तस्वीरें था। सीधा-साधा देहाती गृहस्थ का मकान था। किंतु आनन्दी ने थोड़े ही दिनों में अपने को इस नई अवस्था को एक ऐसा अनुकूल बना लिया, मानो उसने विलास के सामान कभी देखे ही न थी।
3. लालबिहारी आनंदी पर क्यों बिगड़ा?
उत्तरः एक दिन दोपहर के समय लाल बिहारी सिंह ने दो चिड़िया लिए हुए आया और भाभी से बोला-भाभी जल्दी इसे पका दो मुझे बहुत भूख लगी है। आनन्दी ने हांडी में देखा कि एक पांव से ज्यादा घी न था। बड़े घर की बेटी किफायत क्या जानें। उसने सारा घी मांस में डाल दिया। जब लाल बिहारी खाने बैठा तो दाल में घी न था। भाभी से कहा- भाभी दाल में घी डाल दीजिए। तब आनन्दी ने कहा-थोड़ा घी था, मैंने मांस में डाल दिया। तब लाल बिहारी ने कहा दो दिन पहले घी आया इतना जल्दी उठ गया। इसी बात को लेकर लाल बिहारी ने आनन्दी पर बिगड़ पड़ा।
4. आनन्दी बिगडता हुआ काम कैसे बना लेती है?
उत्तरः श्रीकंठ सिंह के छोटे भाई लाल बिहारी सिंह के अभद्र व्यवहार से आनन्दी क्रोधित हो जाती है। गुस्से में उसने अपने पति से साड़ी शिकायतें कर देती है। झगरा इतना बढ़ गया कि घर टूटने तक पहुँच गया। तब बिखरते हुए घर को देखकर आनन्दी शांत हो जाती है और लाल बिहारी को घर छोड़कर जाने से रोक लेती है। इस प्रकार आनन्दी बिगड़ते हुए काम को बना लेती है।
5. आनन्दी का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तरः आनन्दी एक बड़े घर की बेटी थी। वह रूपवान गुणवान शिक्षित और आदर्शवादी महिला थी। व सुख सुविधाओं में पली थी। आनन्दी अपनी सब बहनों से अधिक रूपवती और गुणवती लड़की थी। उसके ससुराल में ठीक विपरीत था। फिर भी वह कुछ ही दिनों में अपने आपको इस घर में अनुकूल बना लिया। वह अपने घर की एकता बनाए रखना चाहती थी। इसलिए बिखरते घर को बचा लेती है।
III. निम्नलिखित वाक्य किसने किससे कहे?
- “जल्दी से पका दो मुझे भूख लगी है।”
उत्तरः यह वाक्य लालबिहारी ने आनन्दी से कहा। - “जिसके गुमान पर भूली हुई, उसे भी देखूँगा और तुम्हें भी।”
उत्तरः यह वाक्य लाल बिहारी ने आनन्दी से कहा । - “बुद्धिमान लोग मूर्खों की बात पर ध्यान नहीं देते।”
उत्तरः यह वाक्य बेनीमाधव सिंह ने श्रीकंठ सिंह से कहा। - “लाल बिहारी को मैं अब अपना भाई नहीं समझता।”
उत्तरः यह वाक्य श्रीकंठ सिंह ने अपने पिता बेनी माधव सिंह से कहा। - “अब मेरा मुँह नहीं देखना चाहते, इसलिए अब मैं जाता हूँ।”
उत्तरः यह वाक्य लाल बिहारी ने आनन्दी से कहा। - “भैया अब कभी मत कहना कि तुम्हारा मुँह न देखूँगा।” उत्तर यह वाक्य लाल बिहारी ने श्रीकंठ सिंह से कहा।
- “मुझे जो कुछ अपराध हुआ क्षमा करना।” उत्तरः यह वाक्य लाल बिहारी ने आनन्दी से कहा।
IV. संदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:
- ‘अभी परसों ही घी आया है, इतना जल्दी उठ गया?’
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखक-प्रेमचंद द्वारा लिखित ‘बड़े घर की बेटी’ पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: इस वाक्य को लाल बिहारी ने आनन्दी से कहा
स्पष्टीकरणः जब लालबिहारी आनन्दी से मांस पकाने के लिए कहा। तब आनन्दी ने हाँडी में देखा कि पाव भर से ज्यादा घी न था। उसने सारा घी मांस में डाल दिया। जब लालबिहारी खाना खाने बैठा तो दाल में घी नहीं था। तब लालबिहारी ने आनंदित से कहा-भाभी दाल में घी क्यों नहीं छोड़ा? तब आनन्दी कहती हैं-मैनें सारा घी मांस में डाल दिया है। इसलिए घी खत्म हो गया है। तब लालबिहारी ने गुस्से में आकर आनन्दी से कहा-अभी परसो हीं घी आया इतना जल्दी उठ गया।
विशेषताः परिस्थिति के अनुसार खर्च करना चाहिए। - ‘स्त्री गालियाँ सह लेती है, मार भी सह लेती है, पर मैके की निंदा उनसे सही नहीं जाती।’
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखक प्रेमचंद द्वारा लिखित ‘बड़े घर की बेटी’ पाठ से लिया गया है।
संदर्भःप्रस्तुत वाक्य को आनन्दी ने लालबिहारी से कहा।
स्पष्टीकरणः घी खत्म हो जाने के कारण आनंदी दाल में घी नहीं डाली। लालबिहारी ने भाभी से पूछा भाभी दाल में घी क्यों नहीं डाला है। आनन्दी ने उत्तर दिया आज तो कुल पाव भर हीं घी रहा होगा। वह सब मैंने मास में डाल दिया। तब लालबिहारी ने कहा-अभी परसों ही घी आया, इतनी जल्दी उठ गया। लालबिहारी ने उसके मायके के बारे में खरी-खोटी सुना दिया और फिर कहा- शायद तुम्हारे मायके में तो घी की नदियां बहती हो। इस पर आनंदी कहती है कि स्त्री गालियां सह लेती है, मार भी सह लेती है, पर मायके की निंदा उससे नहीं सही जाती।
विशेषताः किसी स्त्री के मायके के संबंध में उल्टा-पल्टी की बाते नहीं करनी चाहिए। - ‘पर तुमने आजकल घर में क्या उपद्रव मचा रखा है?’
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखक प्रेमचंद द्वारा लिखित ‘बड़े घर की बेटी’ पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: इस वाक्य को श्रीकांठ सिंह ने आनंदी से कहा।
स्पष्टीकरणः जब श्रीकंठ सिंह शनिवार को घर पहुँचा तो लालबिहारी ने आनन्दी के बारे में सबकुछ बता दिया। आनन्दी के बारे में शिकायत सुनकर श्रीकांठ सिंह उसके के पास जाता है और पूछा-‘पर तुमने आजकल घर में क्या उपद्रव मचा रखा है?’
विशेषताः सोच समझकर कोई बात किसी से पूछना चाहिए। - ‘उससे जो कुछ भूल हुई, उसे तुम बड़े होकर क्षमा करो।’
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखक प्रेमचंद द्वारा लिखित ‘बड़े घर की बेटी’ पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: इस वाक्य को बेनीमाधव सिंह ने श्रीकांठ सिंह से कहा।
स्पष्टीकरणः आनन्दी के प्रति लालबिहारी का अभद्र। व्यवहार देखकर श्रीकंठ सिंह अपमानित महसूस करता है और अपने पिता के पास जाता है। श्रीकंठ सिंह अपने-आपे से बाहर हो जाता है। अपने पिता से क्रोधित अवस्था में बात करते हुए कहता है। मैं इस घर में लालबिहारी के साथ नहीं रह सकता हूँ। इस पर बेनीमाधव सिंह श्रीकंठ सिंह को समझाते हुए कहते हैं कि बेटा बुद्धिमान लोग मूर्खे की बात पर ध्यान नहीं देते। लालबिहारी नासमझ लड़का है, उससे जो कुछ भूल हुई है, उसे तुम्हें बड़े होकर क्षमा करो।
विशेषताः क्रोध में आकर जल्दी कोई कदम नहीं उठाना चाहिए। - ‘बड़े घर की बेटियाँ ऐसी ही होती है बिगडता हुआ काम बना लेती है।’
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखक प्रेमचंद द्वारा लिखित ‘बड़े घर की बेटी’ पाठ से लिया गया है।
संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को बेनीमाधव सिंह ने आनन्दी से कहा है।
स्पष्टीकरणः लालबिहारी नाराज होकर घर से बाहर जा रहा था। आनन्दी ने श्रीकंठ से कहती है कि लालबिहारी बहुत रो रहा है उसे मना लो। मेरी जीभ में आग लगे, जो मैने कहाँ से यह झगड़ा उठाया। लालबिहारी ने आनंदी से कहा-भाभी, भैया से मेरा प्रणाम कहना। वे मेरा मुँह नहीं देखना चाहते। इसलिए मैं घर छोडकर जा रहा हूँ। आनन्दी अपने कमरे से बाहर निकली और लालबिहारी का हाथ पकड़ लिया और कहा कि तुम्हे मेरी कसम तुम कही नहीं जाओगे। फिर आनन्दी कहती हैं कि मैं ईश्वर को साक्षी मानकर कहती हूँ कि तुम्हारी ओर से मेरे मन में तनिक भी मैल नहीं है। यह सब सुनकर श्रीकंठ सिंह का हृदय पिघल जाता है। वह बाहर आकर लालबिहारी को गले से लगा लिया। दोनों भाई फूट-फूटकर रोने लगे। बेनीमाधव सिंह बाहर से दोनों भाइयों को गले मिलते हुए देख वह प्रसन्न होते हैं और बोल उठते हैं कि बड़े घर की बेटियाँ ऐसी हीं होती है, जो बिगड़ते हुए काम को बना लेती है
विशेषताः बड़े घर में जन्म लेने से कोई ‘बड़े घर की बेटी’ नहीं होती है, वह अपने अच्छे गुण, स्वभाव, बुद्धिमती और आचरण से बड़े घर की बेटी होती है।
V .वाक्य शुद्ध कीजिए:
- उनकी पितामह किसी समय बड़े धन-ध्यान संपन्न थे।
उत्तरः उनके पितामह किसी समय बड़े धन-धान्य से संपन्न थे। - स्वयं उनका पत्नी को हीं इस विषय में उनसे विरोध थी।
उत्तरः स्वयं उनकी पत्नी को हीं इस विषय में उनसे विरोध था। - आनन्दी अपने नये घर में आया।
उत्तरः आनन्दी अपने नये घर में आई। - मुझे जाना दो।
उत्तरः मुझे जाने दो।
VI कोष्ठक में दिए गए उचित शब्दों से रिक्त स्थान भरिएः
(ऐसी, शनिवार, संतान, गौरीपुर, हाथी)
1. इस दरवाजे पर हाथी झूमता था।
2. गौरीपुर में रामलीला के वही जन्मदाता थे।
3. सुंदर संतान को कदाचित उसके माता पिता भी अधिक चाहते थे।
4. श्रीकांठ सिंह शनिवार को घर आया करते थे।
5. बड़े घर की बेटियाँ ऐसी हीं होती है।
VII निम्नलिखित मुहावरों को अर्थ के साथ जोड़कर लिखिएः
- खून का घूँट पीकर रह जाना= क्रोध को दबाकर बैठ जाना
- पिंड छुड़ाना= पीछा छुड़ाना
- आँखें लाल होना= गुस्सा करना
- तिलमिला उठना= बौखला जाना
- उल्लू बनाना= मूर्ख बनाना
- गले लगाना= आलिंगन करना
- सिर झुकाना= लज्जा से झुक जाना
VIII. अन्य लिंग रूप लिखिए:
- ठाकुर=ठाकुराइन
- पति-पत्नी
- बेटा-बेटी
- स्त्री-पुरुष
- बुद्धिमान-बुद्धिमती
- हाथी-हथिनी
- भाई-बहन
x .सूचना अनुसार काल बदलिएः
- वह अपना काम करता [भूतकाल में बदलिए]
उत्तरः वह अपना काम करता था। - उसने फल खाया।[वर्तमान काल में बदलिए]
उत्तरः वह फल खाता है। - सुधा हँसती है। (भविष्यत काल में बदलिए)
उत्तरः सुधा हँसेगी।
XI. समानार्थक शब्द लिखिए:
1) अंधकार- अंधेरा, निशा
2) अमृत- सुधा, सोम
3) घोड़ा- घोटक, वाजि
4) आँख- नयन, नेत्र
5) आकाश- गगन, नभ
6) आग- अग्नी, पावक
XII .विलोम शब्द लिखिए:
1) आदि X अंत
(2) अंदर X बाहर
(3) अच्छा X बुरा
(4) अमृत X विष
(5) अनुराग x विराग
(6) अंतरंग X बहिरंग
(7) अंधकार X प्रकाश
(8) अपना X पराया
(9) अग्रज X अनुज
(10) आहार X निराहार
XII .हिंदी में अनुवाद कीजिए:
i) The Taj Mahal is a very famous monument.
ऊत्तरः ताज महल एक प्रसिद्ध इमारत है
ii) Kautilya was a wise minister.
ऊत्तरः कौटिल्य एक विद्वान मंत्री था।
iii) Where there is a will, there is a way.
ऊत्तर: जहाँ चाह है, वहाँ रहा है।
iv) Unity is our strength.
ऊत्तरः एकता ही हमारी शक्ति है
v) Bijapur was ruled by king Adil Shah.
ऊत्तर: बीजापुर में आदिल शाह राजा राज़ करते थे।

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