1. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
- धृतराष्ट्र की भुजाओं में कौन सा-पुतला जकड़ गया था? उत्तरः धृतराष्ट्र की भुजाओं में भीम का पुतला जकड गया था।
- पिछली रात ‘क’ ‘ग’ के साथ बैठकर क्या करता रहा?
उत्तर: पिछली रात ‘क’ ‘ग’ के साथ बैठकर निंदा करता रहा। - कुछ लोग आदतन क्या बोलते हैं? उत्तरः कुछ लोग आदतन झूठ बोलते हैं।
- लेखक के मित्र के पास दोषों का क्या है?
उत्तर: लेखक के मित्र के पास दोषों का खजाना है। - लेखक के मन में किस के प्रति मैल नहीं रहा?
उत्तर: लेखक के मन में निंदक मित्र के प्रति मैल नहीं रहा। - निंदकों की जैसी एकाग्रता किनमें दुर्लभ है?
उत्तरः निंदकों की जैसी एकाग्रता भक्तों में दुर्लभ है। - मशीनरी निंदक चौबीसों घंटे निंदा करने में किस भाव से लगे रहते हैं?
उत्तरः मशीनरी निंदक चौबीसों घंटे निंदा करने में पवित्र भाव से लगे रहते हैं। - निंदा, निंदा करने वालों के लिए क्या होती है? उत्तरः निंदा, निंदा करने वालों के लिए टॉनिक होती है।
- निंदा का उद्गम किससे होता है?
उत्तरः निंदा का उद्गम हीनता और कमजोरी से होता है। - कौन बड़ा ईष्यालु माना जाता है?
उत्तरः इंद्र बड़ा ईष्यालु माना जाता है।
II .निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
1. धृतराष्ट्र का उल्लेख लेखक ने क्यों किया है?
उत्तरः लेखक के मित्र ‘क’ ने जब हर्ष के साथ मिलने का झूठा बहाना किया, तो लेखक को उसके व्यवहार पर शक हो गया। क्योंकि वह सच्चे मन से खुश नहीं था। इसलिए लेखक धृतराष्ट्र का उल्लेख किया कि भीम को दिखावे की खुशी में अपने पास बुलाया। जबकि मन में कुछ और सोचा था।
2. निंदा की महिमा का वर्णन कीजिए।
उत्तरः निंदक लोग जहाँ कहीं इकट्ठे हो जाते हैं, वहाँ वे दूसरों की निंदा में इतने तन्मय हो जाते हैं कि उन्हें अन्यों की चिंता ही नहीं रहती है। जितनी एकाग्रता से कोई भक्त भी भगवान के ध्यान में मन नहीं लगाता हो, उतनी ये निंदा करने वाले में अपना समय लगा देते हैं। निंदकों की एकाग्रता परस्पर आत्मीयता में होती है। इतनी आत्मीयता तो भक्तों में भी दुर्लभ है।
3. ‘मिशनरी’ निंदक से लेखक का क्या तात्पर्य है?
उत्तरः मिशनरी निंदक से लेखक का तात्पर्य उन निंदकों से है, जो पूरी पवित्र भावना से निंदा के कार्य में लगे रहते हैं। उनका किसी से वैर नहीं है, द्वेष नहीं है। वे किसी का बुरा नहीं सोचते हैं, फिर भी वे चौबीसों घंटे दूसरों की निंदा करने में पवित्र भाव से लगे रहते हैं। निंदा इनके लिए टॉनिक होती है।
4. निंदकों के संघ के बारे में लिखिए।
उत्तरः जिस प्रकार मज़दूरों की ट्रेड यूनियन होती है, वैसे ही निंदाको का भी एक संघ होता है। संघ के सदस्य इधर-उधर की खबरें लाकर संघ को सौंपते हैं। यह कच्चा माल माना जाता है। संघ इसे पक्का माल बनाकर, सभी सदस्यों को इस तरह बाँटते हैं जैसे उनकी दृष्टि में बहुजन हित का कार्य को हो।
5. ईर्ष्या-द्वेष से प्रेरित निंदकों की कैसी दशा होती है?
उत्तरः बुरे कर्मों में लगे व्यक्ति कभी सुखी नहीं हो सकते। वही स्थिति निंदकों की होती है। इनका अधिकांश समय ईर्ष्या-द्वेष से युक्त निंदा करने में लगा रहता है। जैसे-रात को कुत्ता चाँद को देखकर भौंकता है, वैसे ही निंदक अच्छे लोगों को देखकर भौंकता है।
6. निंदा को पूँजी बनानेवालों के बारे में लेखक ने क्या कहा है?
उत्तरः जिन लोगों के पास निंदा के अलावा और कोई दूसरी संपत्ति नहीं होती है। वे लोग इसी पूँजी या संपत्ति से अपना कारोबार बढ़ाते रहते हैं। उनका यह कलंकित कार्य ही उनकी प्रतिष्ठा मानी जाती है।
7. निंदा रस’ निबंध का आशय अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए?
उत्तरः निंदक निंदा करके निंदा रस का आनंद लेता है। निंदक दूसरों की निंदा में सुख भोगता है। कुछ लोग ईर्ष्या से निंदा करते हैं। कुछ अपनी प्रसिद्धि के लिए भी निंदा करते रहते हैं। कुछ लोग बिना कारण से ही किसी दूसरे की निंदा करते रहते हैं।
III. संदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:
1. आ बेटा, तुझे कलेजे से लगा लूँ।
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखक-हरिशंकर परसाई द्वारा लिखित ‘निंदा रस’ पाठ से लिया गया है।
संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को धृतराष्ट्र ने भीम से कहा है।
स्पष्टीकरणः लेखक सुबह ही चाय पीकर अखबार देख रहे थे कि उनके एक मित्र तूफान की तरह कमरे में घुसकर उन्हें अपनी भुजाओं में जकड़ा तो उन्हें तो ध्रितराष्ट्र की भुजाओं में झगड़े भीम के पुतले की याद आ गयी। तब अंधे ध्रितराष्ट्र ने टटोलते हुए पूछा कहाँ है भीम? आप बेटा तुझे कलेजे से लगा लूँ।
विशेषताः हास्य और कल्पना का जीवंत मिश्रण, जो मित्र की भावुकता को महाभारत के दृश्य से जोड़कर रोचकता पैदा करता है।
2. अभी सुबह की गाड़ी से उतरा और एकदम तुमसे मिलने चला आया।
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखक-हरिशंकर परसाई द्वारा लिखित ‘निंदा रस’ पाठ से लिया गया है।
संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने अपने मित्र से कहा है।
स्पष्टीकरणः लेखक जानता है कि ‘क’ तो कल रात ही आ गया था। वह झूठ बोल रहा है कि अभी-अभी गाड़ी से उतरकर सीधे हमसे मिलने आया है। लेखक को ज्ञात है कि वह अकारण ही झूठ बोल रहा है और उसको झूठ बोलने की आदत भी पड़ गई है।
विशेषताः कुछ लोगों में बिना मतलब के झूठ बोलने की आदत होती है।
3. कुछ लोग बड़े निर्दोष मिथ्यावादी होते हैं।
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखक-हरिशंकर परसाई द्वारा लिखित ‘निंदा रस’ पाठ से लिया गया है।
संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने अपने मित्र से कहा है।
स्पष्टीकरणः कुछ लोग हमेशा झूठ बोलते हैं। इससे उनको कोई लाभ भी नहीं होता है। फिर भी झूठ बोलते रहते हैं।ऐसे लोगों को लेखक ने निर्दोष मिथ्यावादी कहा है।
विशेषताः लेखक ने ऐसे लोगों की आदत को व्यंग्यपूर्ण ढंग से ‘निर्दोष मिथ्यावादी’ कहकर अभिव्यक्त किया है।
4. ‘निंदा का उद्गम ही हीनता और कमजोरी से होता है।
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखक-हरिशंकर परसाई द्वारा लिखित ‘निंदा रस’ पाठ से लिया गया है।
संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने लोगों से कहा है।
स्पष्टीकरणः हीनता और कमजोरी की भावना से निंदा की उत्पत्ति होती है। ऐसे लोग सदा दूसरों की बुराई करते रहते हैं। ऐसे लोग अपने को अच्छा और दूसरों को बुरा मानते हैं। तब लेखक ने कहा-निंदा का उद्गम ही हीनता और कमजोरी से होता है।
विशेषताः लेखक ने निंदा की जड़ को हीनता और कमजोरी बताकर उसका मनोवैज्ञानिक कारण स्पष्ट किया है।
5. ‘ज्यों-ज्यों कर्म क्षीण होता जाता है, त्यों-त्यों निंदा की प्रवृत्ति बढ़ती जाती है।
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखक-हरिशंकर परसाई द्वारा लिखित ‘निंदा रस’ पाठ से लिया गया है।
संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने लोगों से कहा है।
स्पष्टीकरणः खुद आदमी हीन भावना से ग्रसित हो जाता है। है। तब वह केवल निंदा करना ही अपना परम कर्तव्य समझने लगता है और धीरे-धीरे उसको झूठ बोलने की आदत बढ़ जाती है। तब लेखक ने कहा-ज्यों-ज्यों कर्म क्षीण होता जाता है, त्यों-त्यों निंदा की प्रवृत्ति बढ़ती जाती है।
विशेषताः काम न करने से आदमी निंदा और झूठ बोलने लगता है।
IV. वाक्य शुद्ध कीजिए:
- ऐसी मौके पर हम अक्सर अपने पुतले को अंकवार में दे देते हैं।
उत्तरः ऐसे मौके पर हम अक्सर अपने पुतले को अंकवार में दे देते हैं। - पर मेरी दोस्त अभिनय में पूरा है।
उत्तरः पर मेरा दोस्त अभिनय में पूरा है। - निंदा का ऐसी ही महिमा है।
उत्तरः निंदा की ऐसी ही महिमा है। - आपके बारे में मुझसे कोई भी बुरी नहीं कहता। उत्तरः आपके बारे में मुझसे कोई भी बुरा नहीं कहता।
- सूरदास ने इसलिए ‘निंदा सबद रसाल’ कही है।
उत्तरः सूरदास ने इसलिए ‘निंदा सबद रसाल’ कहा है।
V.कोष्ठक में दिए गए उचित शब्दों से रिक्त स्थान भरिएः
(तूफान, पुतला, भेद-नाशक, ईर्ष्या-द्वेष, पूँजी)
- सुबह चाय पीकर अखबार देख रहा था कि वे तूफान की तरह कमरे में घुसे।
- छल का धृतराष्ट्र अब आलिंगन करे, तो पुतला ही आगे बढ़ाना चाहिए।
- निंदा का ऐसा ही भेद-नाशक अंधेरा होता है।
- ईर्ष्या-द्वेष से प्रेरित निंदा भी होती है।
- निंदा कुछ लोगों की पूँजी होती है।
VI .निम्नलिखित मुहावरों को अर्थ के साथ जोड़कर लिखिएः
- गले लगाना = आलिंगन करना
- बेईमानी करना = धोखा देना
- कलेजा फटना = असहनीय दुख होना
- गले का हार होना = बहुत प्यारा होना
VII .अन्य लिंग रूप लिखिए:
1) पुतला – पुतली
(2) बेटा -बेटी
(3) पति- पत्नी
(4) स्त्री- पुरुष
(5) मजदूर -मजदूरनी
(6) विद्वान – विदुषी
VIII. अन्य वचन के रूप लिखिए:
1) भुजा – भुजाएँ
(2) कमरा -कमरे
(3) घंटा -घंटे
(4) दुश्मन – दुश्मन
(5) लकीर – लकीरें
(6) कविता -कविताएँ
(7) कथा – कथाएँ
IX .सूचना अनुसार काल बदलिए:
- शिकारी शिकार करेगा।[भूतकाल में बदलिए]
उत्तरः शिकारी शिकार करता था। - माताजी मंदिर जाएँगी।[वर्तमान काल में बदलिए]
उत्तर: माताजी मंदिर जाती है। - माला गाना गाती है।[भविष्यत काल में बदलिए]
उत्तरः माला गाना गाएगी।
XI. विलोम शब्द लिखिए:
- आशा × निराशा
- आजादी × गुलामी
- आरम्भ X अंत
- आयात x निर्यात
- इच्छा X अनिच्छा
- इधर x उधर
- ईश्वर x अनिश्वर
- उत्तम x अधम
- उत्तीर्ण x अनुतीर्ण
- एक x अनेक
XII. हिंदी में अनुवाद कीजिए:
i) Most of the Indians depend upon agriculture.
उत्तरः भारत में अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर है।
ii) Indian is rich cultured country.
उत्तरः भारत संस्कृति संपन्न देश है।
iii) Students must behave in a discipline way.
उत्तरः विद्यार्थियों को अनुशासन में रहना चाहिए।
iv) Seringapatan each very near to Mysore.
उत्तरः श्रीरंगपट्टण मैशहूर से काफी नजदीक हैं।
v) Fresh air is very essential for our health.
उत्तरः शुद्ध हवा हमारे स्वास्थ्य के लिएअत्यंत आवश्यक है।

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