। .एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
1. स्वामी विवेकानन्द का विश्वास किन पर है?
उत्तरः स्वामी विवेकानन्द का विश्वास भारत के नवीन पीढ़ी के नवयुवकों पर है।
2. स्वामी विवेकानन्द के अनुसार भारत के राष्ट्रीय आदर्श क्या है?
उत्तरः स्वामी विवेकानन्द के अनुसार भारत का राष्ट्रीय आदर्श त्याग और सेवा है।
3. कौन सबकी अपेक्षा उत्तम रूप से कार्य करता है?
उत्तरः निस्वार्थ व्यक्ति सबकी उपेक्षा उत्तम रूप से कार्य करता है।
4. किस शक्ति के सामने सब शक्तियाँ दब जाएगी?
उत्तरः इच्छा शक्ति के सामने सब शक्तियाँ दब जाएगी।
5. असंभव को संभव बनाने वाली चीज़ क्या है?
उत्तरः असंभव को संभव बनाने वाली चीज़ प्रेम है।
6. जो अपने आप में विश्वास नहीं करता है वह क्या है?
उत्तरः जो अपने आप में विश्वास नहीं करता है, वह नास्तिक है।
7.कमजोरी किसके समान है?
उत्तरः कमजोरी मृत्यु के समान है।
8. सबसे पहले हमारे तरुणों को क्या बनना चाहिए?
उत्तरः सबसे पहले हमारे तरुणों को मजबूत बनाना चाहिए।
9. प्रत्येक आत्मा क्या है?
उत्तरः प्रत्येक आत्मा अव्यक्त है।
10. नवयुवकों को किसकी तरह सहनशील होना चाहिए?
उत्तरः नवयुवकों को पृथ्वी की तरह सहनशील होना चाहिए।
II .निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
1. भारत वर्ष का पुनरुत्थान कैसे होगा?
उत्तरः भारत वर्ष का पुनरुत्थान के लिए शारीरिक शक्ति से नहीं वरण आत्मा की शक्ति के द्वारा शांति और प्रेम की ध्वजा से भारत का पुनरुत्थान होगा।
2. त्याग और सेवा के बारे में स्वामी विवेकानन्द जी का क्या विचार है?
उत्तरः स्वामी विवेकानन्द जी के अनुसार भारतीय आदर्श, त्याग और सेवा है। तुम काम में लग जाओ, फिर देखोगे कि तुम्हें इतनी शक्ति आ जाएगी कि तुम उसे संभाल ना सकोगे। दूसरों के लिए रत्तीभर सोचने से धीरे-धीरे सिंह के समान बल आ जाएगी। दीन दुखियों का दर्द बाँटो और ईश्वर से सहायता की प्रार्थना करो। यही जीवन का सही उद्देश्य है।
3. स्वदेश भक्ति के बारे में स्वामी विवेकानन्द जी का क्या आदर्श है?
उत्तरः स्वदेश भक्ति के बारे में स्वामी विवेकानन्द जी का विचार है कि बड़े काम करने के लिए तीन चीजों की आवश्यकता होती है-बुद्धि, विचार शक्ति और हृदय की महाशक्ति। देश भक्तों को हृदयवान बनना चाहिए। भारत के अपने गरीब दीन-दुखियों की कई समस्याएँ हैं। उसे समझें दूर करने की कोशिश करें। यही देशभक्ति की प्रथम सीढ़ी है। यही स्वामी विवेकानन्द जी का आदर्श विचार है।
4. सर्व धर्म सहिष्णुता के बारे में स्वामी विवेकानन्द जी के क्या विचार है लिखिए।
उत्तरः सर्व धर्म सहिष्णुता के बारे में स्वामी विवेकानन्द जी का विचार है कि हमें सभी धर्मों को स्वीकार करना चाहिए। हमें सभी धर्मों की पूजा करनी चाहिए, हमें सभी धर्मस्थलों में जाना चाहिए, इसी के द्वारा हम आगे बढ़ सकते हैं।
5. शिक्षा के बारे में स्वामी विवेकानन्द जी क्या कहते हैं?
उत्तरः शिक्षा के बारे में स्वामी विवेकानन्द जी कहते हैं कि शिक्षा विविध जानकारियों का ढेर नहीं है, जो तुम्हारे मस्तिष्क में ठूंस दिया गया है। हमें उन विचारों की अनुभूति करनी चाहिए जो जीवन निर्माण तथा चरित्र निर्माण में सहायक हो। यदि केवल पाँच ही परखे हुए विचार आत्मसात करके उनके अनुसार अपने जीवन और चरित्र का निर्माण कर लेते हैं, तो हम पूरे ग्रंथालय को कंठस्थ करने वालों की अपेक्षा हम अधिक शिक्षित हैं।
III. संदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:
1. ‘यह याद रखो कि तुम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हो।’
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखक स्वामी विवेकानन्द जी द्वारा लिखित युवाओं पाठ से लिया गया है।
संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को लेखक स्वामी विवेकानन्द जी द्वारा लिखित युवाओं पाठ से लिया गया है।
स्पष्टीकरणः स्वामी विवेकानन्द जी कहते हैं कि भारत के युवा वर्ग दुर्बल नहीं है। सब ईश्वर की संतान हैं। उनकी आत्मा पवित्र और पूर्ण हैं। वे स्वयं अपने भाग के निर्माता हैं। उनका बल उन्हीं के भीतर है। जितना अच्छा मेहनत करेंगे, उतना ही अच्छे फल पाएँगे।
विशेषताः इन वाक्यों के द्वारा स्वामी विवेकानन्द जी भारत के युवकों को राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा दे रहे हैं।
2. ‘उठो, जागो और तब तक रुको नहीं, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।’
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखक स्वामी विवेकानन्द जी द्वारा लिखित युवाओं पाठ से लिया गया है।
संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को लेखक-स्वामी विवेकानन्दजी ने भारत के नवयुवकों से कहा है।
स्पष्टीकरणः प्रस्तुत वाक्य के द्वारा स्वामी विवेकानन्द जी ने बताया है कि कार्य करने के लिए बुद्धि, विचार और हृदय की आवश्यकता होती है और प्रेम एक ऐसी चीज़ है, जो असंभव को संभव बना देती है। इसलिए उठो जागो और तब तक रुको नहीं, जब-तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।
विशेषताः जब तक हमें लक्ष्य प्राप्त न हो तब तक करतब करते रहना चाहिए।
3 . ‘भय से ही दुख होता है, यह मृत्यु का कारण है तथा इसी के कारण सारी बुराई तथा पाप होता है।’
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखक स्वामी विवेकानन्द जी द्वारा लिखित युवाओं पाठ से लिया गया है।
संदर्भः प्रस्तुत वाक्य के माध्यम से स्वामी विवेकानन्द जी भारत के नवयुवकों को जागृत होने के लिए कहा है। स्पष्टीकरणः युवा पीढ़ी को स्वामी विवेकानन्द जी हिम्मत देते हुए कहते हैं कि तुम्हें कमजोर, भयभीत नहीं होना चाहिए। निर्भीकता से ही किसी राष्ट्र की उन्नति होती है। भय ही मृत्यु का कारण बनता है और इसी से पाप का जन्म होता है।
विशेषताः मनुष्य को भय और मृत्यु को मन से हटाकर अपना करतब करना चाहिए
4. ‘ढोंगी बनने की अपेक्षा स्पष्ट रूप से नास्तिक बनना अच्छा है।’
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखक स्वामी विवेकानन्द जी द्वारा लिखित युवाओं पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: स्वामी विवेकानन्द जी ने भारत के युवाओं से ढोंगी न बनने के लिए कहा है।
स्पष्टीकरणः स्वामी विवेकानन्दजी ने बताया है कि ईश्वर की भक्ति सच्चे मन से विश्वास के साथ करनी चाहिए। दिखावटी या ढोंगी भक्ति नहीं करना चाहिए। ढोंगी भक्ति बनने से बेहतर है नास्तिक बनकर रहना चाहिए।
विशेषताः मनुष्य को ढोंगी नहीं बनना चाहिए।
5. ‘मैं तुम सबसे यही चाहता हूँ कि तुम आत्म प्रतिष्ठा दलबंदी और ईर्ष्या को सदा के लिए छोड़ दो।’
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को लेखक स्वामी विवेकानन्द जी द्वारा लिखित युवाओं पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: स्वामी विवेकानन्द जी ने लोगों से कहा है कि मनुष्य को स्वार्थ त्यागकर कार्य करना चाहिए।
स्पष्टीकरणः स्वामी जी स्वामी विवेकानन्द जी के अनुसार संगठन के लिए जो बातें चाहिए आज उनका अभाव है देश भक्तों की एकता के लिए आपसी ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार ये सारी बातें नहीं होना चाहिए। क्योंकि ये एकता में बाधक होता है।
विशेषताः मनुष्य को ईर्ष्या, द्वेष, घृणा नहीं करना चाहिए।
IV. वाक्य शुद्ध कीजिए:
- मैं स्कूल जाना चाहिए।
उत्तरः मुझे स्कूल जाना चाहिए। - हम हमारे देश को प्यार करते हैं। उत्तरः हम अपने देश से प्यार करते हैं।
- तालाब के अंदर छोटी-सी मंदिर है। उत्तरः तालाब के अंदर छोटा-सा मंदिर है।
- सभी उसको तारीफ करते हैं। उत्तरः सभी उसकी तारीफ करते हैं।
- वह घर को जा रहा है।
उत्तरः वह घर जा रहा है।
V. कोष्ठक में दिए गए उचित शब्दों से रिक्त स्थान भरिएः
(से, ने, को, का, की)
- छात्र कलम से लिखता है।
- श्याम ने पुस्तक पढी ।
- अध्यापक विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं।
- उसकी बहन का नाम मालती है।
- गीता की पुस्तक मेरे पास है।
VI. निम्नलिखित मुहावरों को अर्थ के साथ जोड़कर लिखिएः
- गर्दन उठाना = विरोध करना
- खून पसीना एक करना = बहुत परिश्रम करना
- कमर कसना = तैयार होना
- आग बबूला होना = क्रोधित होना
VII .अन्य लिंग रूप लिखिए:
1) देवता- देवी,
(2) दास- दासी
(3) पुत्र- पुत्री
(4) राक्षस- राक्षसी
(5) बेटा-बेटी
VIII. अन्य वचन के रूप लिखिए:
1) आवश्यकता – आवश्यकताएँ (2) बेटा- बेटे (3) ऋतु -ऋतुएँ (4) राशि -राशियाँ (5) तलवार- तलवारें
IX .सूचना अनुसार काल बदलिएः
- कल मेहमान आएँगे। [भूतकाल में बदलिए] उत्तरः कल मेहमान आए थे।
- सूरदास ने पद लिखें। [वर्तमान काल में बदलिए) उत्तरः सूरदास अनेक पत्र लिखते हैं। 3.बालक खा रहा था। (भविष्यत काल में बदलिए)
उत्तरः बालक खाएगा।
X .समानार्थक शब्द लिखिए:
1) नवीन-नया, नवा
2) पहाड़- पर्वत, गिरि
3) तरुण युवक, जवान
4) पुरोहित- पुजारी, पंडित
5) ईश्वर- भगवान, प्रभु
6) साहस-हिम्मत, बहादुरी
XI .विलोम शब्द लिखिए:
- आशा ×निराशा
- ठूंस x निस्वार्थी
- पवित्र x अपवित्र
- मजबूत X कमजोर
- साधारण x असाधारण
- कीर्ति x अपकीर्ति
XII .हिंदी में अनुवाद कीजिए:
- I am unable to do this work. उत्तर:मैं यह काम करने में असमर्थ हूँ।
- No person is happy without friends. उत्तरः बिना मित्र के कोई खुशी नहीं रहता है।
- A leader should be a servant of the people. उत्तरःनेता को जनता का सेवक होना चाहिए।
- It was raining when we come out. उत्तर:जब हम बाहर आए तब वर्षा हो रही थी।
- There are thousands of villages in India. उत्तर:भारत में हजारों गाँव हैं।

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