‘समास’ पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
- द्वंद्व समास की विशेषता बताते हुए एक उदाहरण दीजिए।
- तुलसी द्वारा कृत (रचित) रामचरितमानस प्रसिद्ध ग्रंथ है। रेखांकित पदों की जगह उपयुक्त समस्तपद प्रयुक्त कीजिए तथा समास का नाम भी लिखिए।
- ‘कृष्णमृग’ समस्तपद का विग्रह करते हुए समास का नाम भी लिखिए।
- ‘दशानन’ समस्तपद समास के किस भेद का उदाहरण है ?
- ‘पीतांबर’ समस्तपद का विग्रह कर्मधारय और बहुव्रीहि समास दोनों रूपों में कीजिए।
- शरण में आगतों की रक्षा करना मानव धर्म है। रेखांकित पदों की जगह समस्तपद प्रयुक्त कीजिए तथा समास का नाम भी लिखिए।
- ‘मधुमक्खी’ समस्तपद का विग्रह करते हुए समास का नाम भी लिखिए ।
- ‘लंबोदर’ समस्तपद समास के किस भेद का उदाहरण है? कारण स्पष्ट कीजिए।
- ‘नीलकंठ’ समस्तपद का विग्रह कर्मधारय और बहुव्रीहि समास दोनों रूपों में कीजिए।
- ‘मेखला के आकार वाली पर्वत श्रृंखला ने पृथ्वी को चारों तरफ से घेर रखा है।’ – रेखांकित पदों की जगह उपयुक्त समस्तपद प्रयुक्त कीजिए तथा समास का नाम भी लिखिए।
- ‘क्रोधाग्नि’ समस्तपद का विग्रह करते हुए समास का नाम भी लिखिए।
- ‘श्वेतांबर’ समस्तपद का विग्रह कर्मधारय और बहुव्रीहि समास दोनों रूपों में कीजिए।
- तत्पुरुष समास में उत्तर पद की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- ‘युधिष्ठिर’ सामासिक पद का विग्रह करते हुए भेद लिखिए।
- बहुव्रीहि समास की विशेषता बताते हुए एक उदाहरण दीजिए।
- ‘अठन्नी’ द्विगु समास है कैसे?
- ‘देवासुर’ सामासिक पद का विग्रह करते हुए भेद लिखिए।
- ‘मेले-तमाशे’ सामासिक पद का विग्रह करते हुए भेद लिखिए।
- ‘राजपुत्र’ तत्पुरुष समास है कैसे?
- द्विगु समास में पूर्वपद की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- ‘यथासंभव’ सामासिक पद का विग्रह करते हुए भेद लिखिए।
- अस्थि -जाल– सामासिक पद का विग्रह करते हुए भेद लिखिए।
- भाग्यहीन– सामासिक पद का विग्रह करते हुए भेद लिखिए।
- फलानुसार – सामासिक पद का विग्रह करते हुए भेद लिखिए।
Answer
- द्वंद्व समास में पूर्व और उत्तर दोनों पद प्रधान, उदाहरण- सुख-दुख, दूध-दही आदि ।
- तुलसीकृत – तत्पुरुष समास
- कृष्ण है जो मृग – कर्मधारय समास
- दस हैं आनन (मुख) जिसके अर्थात् रावण बहुव्रीहि समास
- पीला/पीत है जो अंबर – कर्मधारय समास या पीले/पीत हैं अंबर जिनके – बहुव्रीहि समास
- शरणागत – तत्पुरुष समास
- मधु की मक्खी/मधु का संग्रह करने वाली मक्खी -तत्पुरुष समास
- ‘लम्बा है उदर जिसका अर्थात् गणेश’ बहुव्रीहि समास
- नीला है जो कंठ – कर्मधारय समास या नीला है कंठ जिसका (शिव) – बहुव्रीहि समास
- मेखालाकार – तत्पुरुष समास
- क्रोध रूपी अग्नि- कर्मधारय समास
- श्वेत है जो अंबर- कर्मधारय समास या श्वेत हैं अंबर जिनके बहुव्रीहि समास
- तत्पुरुष समास में उत्तर पद प्रधान होता है। उत्तर पद से ही अर्थ का पता चलता है। उदाहरण – राजमाता राजा की माता
- युद्ध में स्थिर है जो कर्मधारय समास
- बहुव्रीहि समास में दोनों पदों पूर्व पद और उत्तर पद में से कोई भी पद प्रधान नहीं होता। समास में प्रयुक्त पदों के अर्थ से भिन्न किसी अन्य तथा विशेष अर्थ की प्रधानता होती है। उदाहरण – गजानन, चक्रधर आदि।
- ‘अठन्नी’ ‘आठ आनों का समाहार’ में पूर्व पद ‘आठ’ संख्यावाची है। द्विगु समास में पूर्व पद हमेशा संख्यावाची होता है। पूर्व पद दूसरे पद के समाहार के रूप में प्रयुक्त होता है।
- देव और असुर- द्वंद्व समास
- मेला और तमाशा -द्वंद्व समास द्वंद्व समास में दोनों पद प्रधान होते हैं, और इस समस्त पद में दोनों शब्दों ‘और’ योजक से जोड़ा गया है, जिसके कारण ‘और’ का लोप होने पर यह समस्त पद बनता है।
- राजा का पुत्र कारक चिन्ह ‘का’ का लोप हो गया है और उत्तरपद ‘पुत्र’ प्रधान है|
- द्विगु समास में पूर्व पद हमेशा संख्यावाची होता है। पूर्व पद दूसरे पद के समाहार के रूप में प्रयुक्त होता है।
- जहाँ तक संभव हो सके
- अस्थियों का जाल तत्पुरुष समास
- भाग्य से हीन तत्पुरुष समास
- फल के अनुसार तत्पुरुष समास

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