1. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:

1. कालिदास ने हिमालय को क्या कहा है?

उत्तरः कालिदास ने हिमालय को नागाधिराज कहा है।

2. यात्रा के नियम के अनुसार लेखक पहले कहाँ गए?                                                            

   उत्तरः यात्रा के नियम के अनुसार लेखक केदारनाथ गए।

3. केदार नाथ की शीत-ऋतु की राजधानी का नाम क्या है?

उत्तर: केदार नाथ की शीत ऋतु की राजधानी का नाम उषीमठ है।

4. सबसे ऊँचे स्थान पर बना हुआ मंदिर कौन-सा है?                                                                         

उत्तरः सबसे ऊँचे स्थान पर बना हुआ मंदिर तुंगनाथ है।

5. आठ वर्ष की प्यारी बच्ची का नाम क्या है?  

   उत्तरः आठ वर्ष की प्यारी बच्ची का नाम संध्या है।

6. जोषीमठ से बद्रीनाथ कितने मील की दूरी पर है?

उत्तरः जोषीमठ से बद्रीनाथ केवल 19 मील की दूरी पर है।

7. किस पेड़ के नीचे बैठकर प्रतिभापुँज शंकर ने उपनिषदों पर टीकाएँ लिखी थी?

उत्तर: शहतूत के पेड़ के नीचे बैठकर प्रतिभापुंज शंकर ने उपनिषदों पर टीकाएँ लिखी थी।

8. बद्रीनरायण मंदिर कितने फुट की ऊँचाई पर है?

उत्तरः बद्रीनारायण मंदिर 10,480 फुट की ऊँचाई पर है।


।। .निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:

  1. हिमालय की विशेषता का वर्णन कीजिए।
    उत्तरः हिमालय को काली दास ने नागाधिराज कहा है। यह विश्व का श्रेष्ठ एवं ऊँचा पर्वत है। बर्फीला नजारा देखते ही बनता है। इसके आंचल से कितनी ही नदिया अलख जगाते हुए कलकल निनाद करते हुए बहती है। कस्तूरी मृग अपनी नाभि में सुगंध लिए यहीं घूमते हैं। देवदारु चीनार आदि वृक्षों की छटा देखते ही बनती है। रंग-बिरंगे पक्षियों का कलरव सुनाई पड़ता है। हिमालय का प्राकृतिक सौंदर्य हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करके किसी को कवि या किसी को दार्शनिक भी बना देता है।
  2. बद्रीनाथ यात्रा में लेखक और उनके साथियों की दिनचर्या लिखिए।
    उत्तरः लेखक और उनके साथी प्रतिदिन प्रात 3:00 बजे उठते हैं। अपने बिस्तर समेटकर नित्य कर्म पूरा करके भार वाहकों को अपने सामान देकर आगे बढ़ते हैं। प्रतिदिन 12 से 18 मील यात्रा करते हैं। बद्री विशाल की जय कार करते हुए, हँसी मजाक की बातें करते हुए, आवश्यकतानुसार अल्पाहार लेते हुए, अगले पड़ाव तक पहुंचते हैं।
  3. तुंगनाथ शिखर के संदर्भ के सौंदर्य के संबंध में लेखक ने क्या कहा है?
    उत्तरः तुंगनाथ शिखर 12,080 फुट की उँचाई पर है। यद्यपि टेढ़ा-मेढा, उतार-चढ़ाव का रास्ता है। फिर भी थकान महसूस नहीं होती। गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ, चौखंभा आदि रजत-शिखर सूर्य प्रकाश में चमकते रहते हैं। हिम-शिखरों के दर्शनों की यात्री का लाभ उठाते हैं। यहाँ की प्रकृति यात्रियों को मोह लेती है। शाम होने से पूर्व ही यहाँ कोहरा छा जाता है।
  4. बद्रीनाथ की घाटी का चित्रण कीजिए।
    उत्तरः बद्रीनाथ की घाटी केदारनाथ जैसा सौंदर्य तो नहीं है। परन्तु अलकनंदा का रूप जाल जरूर है। यह नदी यहाँ उछल-कूद मचाती है। गर्जना करती है। जल प्रपात बनाते हुए आगे बढ़ती है। कहीं-कहीं बर्फीले प्राकृतिक पुल देखने लायक होते हैं।
  5. बद्री नारायण मंदिर की विशेषता पर प्रकाश डालिए।
    उत्तरः अलकनंदा के दोनों ओर के पहाड नर-नारायण कहलाते हैं। कहा जाता है कि किसी जमाने में बद्रीनाथ में बेरी का वन था। बद्री को बेर कहा जाता है। यह मंदिर 10,480 फुट की ऊँचाई पर बना हुआ है। मंदिर की स्थापना शंकराचार्य जी ने किया था। वह मंदिर नारायण मंदिर की गोद में बसा हुआ है। नीलकंठ के हिम-शिखर की छाया भी है। यह देश का अंतिम गाँव माना जाता है। यह मंदिर आकर्षक है। यह नारायण का मंदिर एक तीर्थ धाम मंदिर हैं।

III. निम्नलिखित वाक्य किसने- किससे कहे?

  1. ‘अरे बिच्छू – बिच्छू!’
    उत्तरः यह वाक्य हुआ वयोवृद्ध सज्जन ने दल के सदस्यों से कहा।
  2. ‘कहिए, दिल जम गया या बच गया।’
    उत्तरः यह वाक्य लेखक ने अपने मित्र से कहा।
  3. मंजिल पर पहुँच जाने पर रोमांच हो ही आता है।
    उत्तरः यह वाक्य लेखक ने पाठकों से कहा है।
  4. यात्रा का यह अस्थायी स्नेह भी कितना पवित्र होता है।
    उत्तरः यह वाक्य लेखक ने पाठकों से कहा है।

IV .संदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:

  1. ऐसे प्रदेश में पहुँचकर कवि भी कवि और अदार्शनिक भी दार्शनिक बन जाता है।
    प्रसंगः
    प्रस्तुत वाक्य को लेखक- विष्णु प्रभाकर द्वारा लिखित ‘बदरीनाथ यात्रा’ पाठ से लिया गया है।
    संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने अपने साथियों से कहा है।
    स्पष्टीकरणः लेखक हिमालय के सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहते हैं कि यहाँ पहुंचने वाला प्रत्येक यात्री कवि और दार्शनिक होने का अनुभव करने लगता है। ऐसे यहाँ के हिमशिकर, नदियों की अलक, पक्षियों का कलरव, कुहरा आदि मोहक है।
    विशेषताः लेखक ने बद्रीनाथ मंदिर के सौंदर्य का वर्णन किया है।
  2. हाय राम, बिच्छू लग रहा था, पर वह चलता क्यों नहीं?
    प्रसंगः
    प्रस्तुत वाक्य को लेखक- विष्णु प्रभाकर द्वारा लिखित ‘बदरीनाथ यात्रा’ पाठ से लिया गया है।
    संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने अपने साथियों से कहा है।
    स्पष्टीकरणः बद्रीनाथ यात्रा के दौरान लेखक को कई रोचक अनुभव हुए। जिसमें कभी-कभी अनायास ही उनमें से कोई हँसी का पात्र बन जाता है। एक दिन वे अपने दल के साथ एक छोटी-सी चट्टी पर खाना खा रहे थे कि उनके दल के एक वयो वृद्ध सज्जन जिला उठे अरे बिच्छू बिच्छू जिसे सुनकर सभी चौंक कर उस ओर देखने लगे। देखने पर बिच्छू -सा कुछ दिखाई दिया। परंतु उसमें कोई हरकत नहीं थी। मोमबत्ती की रौशनी में ध्यान से देखने पर ज्ञात हुआ कि जिसे सब बिच्छू समझ रहे थे वह चाबियों का गुच्छा था। जो सज्जन की जेब से लटककर जाँघ पर आ गया था।
    विशेषताः लेखक ने गलतफेमी के बारे में बताया है।
  3. जम कैसे सकता था, हमने वहाँ पानी लगने ही नहीं दिया।
    प्रसंगः
    प्रस्तुत वाक्य को लेखक- विष्णु प्रभाकर द्वारा लिखित ‘बदरीनाथ यात्रा’ पाठ से लिया गया है।
    संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने स्नान करते हुए अपने साथियों से कहा है।
    स्पष्टीकरणः बद्रीनाथ की घाटी में बहने वाली अलकनंदा नदी का पानी बहुत ठंडा था। लेखक के मित्र यात्रा में नहाना आवश्यक नहीं समझते थे, किंतु यात्रा की प्रथा के अनुसार सभी को नदी में नहाना जरूरी था। विवश होकर लेखक के मित्र ने नहाकर बुरी तरह कांप रहे थे। उन्हें छेड़ने के लिए लेखक ने पूछा दिल जम गया है यह बच गया है। इसके उत्तर में उन्होंने भी हास्यपूर्ण ढंग से बताया कि जम कैसे सकता है, दिल पर पानी लगने ही नहीं दिया।
    विशेषताः इस वाक्य में लेखक ने अपने मित्रों के साथ व्यंग्य किया है।
  4. वह आकर्षक है- सरल भक्ति का प्रकृति के वैभव का।
    प्रसंगः
    प्रस्तुत वाक्य को लेखक- विष्णु प्रभाकर द्वारा लिखित ‘बदरीनाथ यात्रा’ पाठ से लिया गया है।
    संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने बद्रीनाथ के मंदिर के बारे में बताते हुए कहा है।
    स्पष्टीकरणः अत्यधिक उँचाई पर बसे इस मंदिर ने भयंकर तूफान को झेला, नष्ट भी हुआ। फिर भी संघर्षशील मानव अपनी श्रद्धा और भक्ति समर्पण करने यहाँ आतें हैं, जो प्रकृति का वैभव है। बद्रीनारायण मंदिर कला की दृष्टि से कोई महत्व नहीं रखता। फिर भी उसमें ये आकर्षक है। वह आकर्षक है।
    विशेषताः इस वाक्य में बद्रीनारायण मंदिर कला की दृष्टि से प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन बताया है।

v .वाक्य शुद्ध कीजिए:

  1. हम प्रतिदिन सवेरे तीन बजे उठता था।
    उत्तरः हम प्रतिदिन सवेरे तीन बजे उठते थे।
  2. वह तो सचमुच बिच्छू लग रही थी।
    उत्तरः वह तो सचमुच बिच्छू लग रहा था।
  3. लेकिन एक कथाएँ कहाँ तक कहा जाए।
    उत्तरः लेकिन ये कथाएँ कहाँ तक कही जाए।
  4. मंदिर में पूजा हो रहा था।
    उत्तर: मंदिर में पूजा हो रही थी।

VI .कोष्ठक में दिए गए उचित शब्दों से रिक्त स्थान भरिएः
(के, ने, का, पर)

  1. मंजिल पर पहुँच जाने पर रोमांच हो हीं आता है।
  2. कहते हैं कि प्राचीन काल में भगवान ने नर-नारायण के रूप में यहाँ तप किया था।
  3. देवदारु के पेड भी इधर -बहुत है।
  4. तीन दिन तक हम उस प्रदेश का वैभव देखते रहें।

v. अन्य लिंग रूप लिखिए:
1) बालक – बालिका
(2) कवि- कवयित्री
(3) भक्त- भक्तिन
(4) भगवान- भगवती
(5) वृद्ध – वृद्धा


vi .अन्य वचन के रूप लिखिए:
1) रानी -रानियाँ
(2) यात्रा यात्राएँ
(3) दर्शन- दर्शन
(4) ऋतु -ऋतुएँ
(5) कहानी -कहानियाँ
6) छोटी – चोटियाँ
7) भाषा – भाषाएँ


vII .विलोम शब्द लिखिए:
1) आगे x पीछे
(2) ऊँचा x नीचा
(3) उठना X बैठना
4) उतार x चढ़ाव

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