द्वितीय सोपान -पद्य भाग (मध्ययुगीन काव्य)

l.एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:

  1. किसके प्रताप से सब दुख दर्द मिटते हैं?
    उत्तरः सतगुरु के प्रताप से सब दुख दर्द मिटते हैं।
  2. संत कबीर के गुरु कौन थे?
    उत्तर: कबीर के गुरु रामानंद थे।
  3. कबीर किस पर बलिहारी होते हैं? उत्तरः कबीर अपने गुरु पर बलिहारी होते हैं।
  4. माटी कुम्हार से क्या कहती है?
    उत्तर: माटी कुम्हार से कहती है कि तू आज मुझे रौंदता है, एक दिन ऐसा समय आएगा कि मैं क मैं तुम्हें रौंद दूँगी।
  5. किसको पास रखना चाहिए?
    उत्तरः अपने निंदक को अपने पास रखना चाहिए ।
  6. कस्तूरी कहाँ बसती है?
    उत्तरः कस्तूरी मृग की नाभि में बसती है।
  7. कबीर किसकी राह देखते हैं?
    उत्तरः कबीर भगवान श्रीराम की राह देखते हैं।
  8. क्रोध किसके सामान है?
    उत्तरः क्रोध मृत्यु के समान है।
  9. दुख में मनुष्य क्या करता है?
    उत्तरः दुख में मनुष्य भगवान का स्मरण करता है।
    10.कबीरदास के अनुसार किसकी जाति नहीं पूछनी चाहिए?
    उत्तर: कबीरदास के अनुसार गुरु की जाति नहीं पूछनी चाहिए।

ll . निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:

1. गुरु की महिमा के बारे में कबीर क्या कहते हैं?

उत्तरः गुरु की महिमा के बारे में कबीरदास कहते हैं कि गुरु के प्रताप से सब दुःख दर्द मिट जाते हैं। मैं बहुत बड़ा भाग्यशाली हूँ कि मुझे रामानंद जैसे गुरु मिले। गुरु भगवान से भी बढ़कर होते हैं। क्योंकि उन तक पहुंचने का मार्ग गुरु हीं बताते हैं। गुरु और गोविंद दोनों मेरे सामने खड़े हैं तो, मैं सबसे पहले गुरु को ही प्रणाम करूँगा उसके बाद भगवान को प्रणाम करूँगा। क्योंकि गुरु ही मार्गदर्शक होते हैं।

2. जीवन की नश्वरता के बारे में कबीर के क्या विचार है?

उत्तरः जीवन की नश्वरता के बारे में कबीरदास कहते हैं कि यह मनुष्य का जीवन क्षण भंगुर है। इसके प्रति अहंकार कभी नहीं करनी चाहिए। इसलिए मनुष्य को अपने तन पर गर्व नहीं करना चाहिए।

3. दया और धर्म के महत्व का वर्णन कीजिए।

उत्तरः दया और धर्म के बारे में कबीरदास ने बताया है कि दया और धर्म ये दोनों मनुष्य के अच्छे गुण है। जहाँ दया होता है, वहाँ धर्म होता है। जहाँ लोभ होता है, वहाँ पाप होता है। जहाँ क्रोध होता है, वह काल होता है। जहाँ क्षमा होता वहाँ ईश्वर होता है। इसलिए ईश्वर की प्राप्ति के लिए दया और क्षमा को अपनाना चाहिए और लोभ तथा क्रोध को त्याग देना चाहिए।

4. समय के सदुपयोग के बारे में कबीर क्या कहते हैं?

उत्तरः समय के सदुपयोग के बारे में कबीरदास ने बताया है कि हमें समय का सही सदुपयोग करना चाहिए। यानी जो काम कल करना है उस काम को आज ही कर लेना चाहिए। जो काम को आज करना चाहिए उस काम को अभी कर लेना चाहिए। क्योंकि कल क्या होगा, कोई नहीं जानता है। यह दुनिया पल भर में प्रलय हो जाएगी, तो उस काम को कब करेंगे।

5. कबीर के अनुसार ज्ञान का क्या महत्व है?

उत्तरः कबीरदास ने ज्ञान के महत्व के बारे में बताया है कि साधुओं (गुरु) की कभी भी जाति नहीं पूछनी चाहिए। अगर पूछना है तो उनसे केवल ज्ञान पूछ लेना चाहिए। जैसे- म्यान का महत्व नहीं होता है, तलवार का महत्व होता है।


III .संदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए

1. माटी कहै कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय। एक दिन ऐसों होएगो, मैं रौंदूँगी तोय ॥

प्रसंगः प्रस्तुत दोहे को कवि- कबीरदास द्वारा लिखित ‘कबीर के दोहे’ पाठ से लिया गया है।

संदर्भः प्रस्तुत वाक्य को कबीर ने लोगों से कहा है कि कभी भी किसी को कमजोर समझकर सताना नहीं चाहिए।

स्पष्टीकरणः प्रस्तुत पद के माध्यम से कबीर दास ने बताया है- कुम्हार मिट्टी को रौंदता है। तब मिट्टी कुमार से कहती है कि तुम मुझे आज रौंदते हो, एक दिन ऐसा समय आएगा कि मैं तुम्हें रौंद दूँगी।

विशेषताः मनुष्य को विनम्र रहने और मृत्यु सत्य को स्वीकारने की प्रेरणा|

2. ‘कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढे बन माँही।

ऐसे घटी घटी राम है, दुनिया देखै नांही ॥

प्रसंगः प्रस्तुत दोहे को कवि- कबीरदास द्वारा लिखित ‘कबीर के दोहे’ पाठ से लिया गया है।

संदर्भः प्रस्तुत दोहे में कबीर ने लोगों से कहा है कि तुम भगवान को बाहर खोजते हो, लेकिन भगवान कहते हैं, मैं बाहर नहीं हूँ। मैं तुम्हारे घट के अंदर हूँ।

     स्पष्टीकरणः मृग के नाभि में कस्तूरी रहता है। उसकी खुशबू चारों तरफ फैलती है। मृगा कस्तूरी की खुशबू पाने के लिए पूरे जंगल में भटकता रहता है पर उसे पता नहीं चलता है कि जो खुशबू आ रही है वह हमारे नाभि में ही है। यही हाल मनुष्य का होता है, जो प्रस्तुत दोहे के माध्यम से कबीरदास बता रहे हैं कि लोग ईश्वर को प्राप्त करने के लिए देवस्थान में जाते हैं। पूजा-पाठ करते हैं। लेकिन उनको ईश्वर का दर्शन नहीं हो पाता है। उनको पता नहीं है कि ईश्वर हमारे घट के अंदर में हीं रहते हैं।

विशेषताः ईश्वर बाहर नहीं रहते हैं, वो हमारे अंदर ही रहते हैं। ईश्वर की सर्वव्यापकता ka ज्ञान |

3. दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करै न कोय। जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे होय ॥

प्रसंगः प्रस्तुत दोहे को कवि- कबीरदास द्वारा लिखित ‘कबीर के दोहे’ पाठ से लिया गया है।

संदर्भ: कबीरदास ने लोगों से कहा है कि सुख में सुमिरन करो, तब दुख कभी नहीं आएगी।

स्पष्टीकरणः प्रस्तुत दोहे में कबीरदास ने कहा है कि सभी लोग दुःख में भगवान का सुमिरन करते हैं। सुख में भगवान का सुमिरन कोई नहीं करता है। इसलिए भगवान दुःख देते हैं। अगर हम सुख में भगवान का सुमिरन करते हैं, तो दुःख कभी नहीं आएगी।

विशेषताः भगवान का स्मरण केवल दुःख में नहीं, बल्कि हर समय करना चाहिए।

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