।. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिएः
- वैद्य परमानंद बीमार स्त्री को कितने दिन तक खाना न खाने के लिए कहते हैं?
उत्तरः वैद्य परमानन्द बीमार स्त्री को 15 दिन तक खाना न खाने की सलाह देते हैं। - किसान किसकी बीमारी के इलाज के लिए वैध परमानंद के पास पहुंचता है?
उत्तरः किसान गाय की बीमारी के इलाज के लिए वैद्य परमानंद के पास पहुंचता है। - परमानंद हर बीमारी के लिए कौन सी दवा देते हैं?
उत्तरः वैद्य परमानंद हर बीमारी के लिए अमर भास्कर चूर्ण देते हैं। - प्रोफेसर पांडुरंग बीमार स्त्री को कमजोरी दूर करने का क्या उपाय बताते हैं?
उत्तरः प्रोफेसर पांडुरंग बीमार स्त्री से कहते हैं कि वह हिम्मत से आँखें बंद करके शेर से लडे, पहाडों पर चढ़े, तूफ़ान में समुद्र में कूदकर अपनी कमजोरी दूर कर सकती है। - प्रोफेसर पांडुरंग किसान को किसकी फोटो लाने के लिए कहते हैं?
उत्तरः प्रोफेसर पांडुरंग किसान को गाय की फोटो लाने के लिए कहते हैं। - प्रोफेसर पांडुरंग किसे यमराज का सगा भाई कहते हैं?
उत्तरः प्रोफेसर पांडुरंग वैद्य परमानंद को यमराज का सगा भाई कहते हैं। - प्रोफेसर पांडुरंग लड़के को होश में लाने के लिए कैसी कहानियाँ सुनाने की सलाह देते हैं?
उत्तरः प्रोफेसर पांडुरंग लड़के को होश में लाने के लिए ऐसी कहानियाँ सुनाने की सलाह देते हैं कि बेहोश व्यक्तियों के होश में आने का वर्णन हो। - वैद्य परमानंद के अनुसार लड़के को क्या हुआ है?
उत्तरः वैद्य परमानंद के अनुसार लड़के को सन्निपात की बीमारी हुआ था। - बेहोशी का अभिनय किसने किया?
उत्तरः बेहोशी का अभिनय रमेश ने किया। - बेहोशी का अभिनय करने वाले लड़के का नाम लिखिए। उत्तरः बेहोशी का अभिनय करने वाला लड़के का नाम रमेश था।
।। .निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
- वैद्य परमानंद बीमार स्त्री का इलाज किस प्रकार करते है?
उत्तरः बीमार स्त्री के इलाज के लिए जब बैद्य परमानंद के पास जाती है, तो वे उसे उसका बचना मुश्किल है, कहकर खूब डराते हैं। बाद में उससे अजीब से प्रश्न पूछते हैं जिसका बीमारी से कोई संबंध ही नहीं था। उसके हृदय पर चंदन का लेप लगाने के लिए कहते हैं। उसके हाथ में अमर भास्कर चूर्ण देकर उसे इस तरह खाने को कहते हैं, जो वह सीधे पेट में न जाकर हृदय में जाए। और 15 दिन का खाना न खाने की सलाह देते हैं। - वैद्य परमानंद गाय की बीमारी दूर करने का क्या उपाय बताते हैं?
उत्तरः वैद्य परमानंद किसान से कहा- तुम बीमार हो या तुम्हारी गाय मेरे लिए एक ही बात है। लाओ, अपना नब्ज दिखाओ। किसान बोला जी नब्ज मैं दिखाऊँ? परमानंद ने कहा-और कौन दिखाएगा? गाय तुम्हारी बीमार है या किसी और की? नब्ज देखते हुए कहा- गाय की हालत चिंताजनक है। उसे शीघ्र चारा खिलाओ। उसे उसी का दूध निकालकर पिलाओ। अमर भास्कर चुर्ण गर्म पानी के साथ खा लेना मैं और गाय को भी खिला देना। दोनों को लाभ पहुंचेगा। - प्रोफेसर पांडुरंग बीमार स्त्री का इलाज किस ढंग से करते हैं?
उत्तरः जब स्त्री प्रोफेसर साहब के पास पहुँचकर बोली मैं बीमार हूँ। प्रोफेसर साहब मेरा हृदय धरता है, घबराहट बहुत रहती है, कमजोरी कैसे दूर हो सकती है। प्रोफेसर साहब ने कहा- आप को भ्रम हो गया है। हृदय तो मेरा भी धड़कता है। दिल की कमजोरी है बीमारी नहीं है। हिम्मत रखिए। आंखें मूँद लीजिए। आप सोंचीए की हम जंगल में हैं। हाथियों की चि शेघाड शेरों की दहाड़, शेर आप की ओर बढ़ा रहा है। घबराइए मत, लड़िए उससे अब इसे घुसे से मार दीजिए। उसके दांत तोड़ दीजिए। इस प्रकार प्रोफेसर बीमार स्त्री का इलाज करते हैं। - वैद्य और प्रोफेसर के आमने-सामने आने के बाद का दृश्य प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः वैद्य परमानंद और प्रोफेसर पाण्डुररंग आमने सामने आने के बाद एक-दूसरे पर व्यंग्य करते हैं। प्रोफेसर परमानंद को यमराज का सगा भाई कहते हैं। तो परमानन्द प्रोफेसर को वात-पित-कप कहता है। व्यंग्य करते हुए वह कहता है कि तुम यदि किसी की नब्ज भी पकड लेते हो, तो उसकी जान चली जाती है। - रमेश ने बेहोशी का अभिनय क्यों किया?
उत्तरः रमेश अपने घर में बेहोश हो जाता है। उसके पिता वैद्य परमानंद और प्रोफेसर पांडुरंग को बुलाते हैं। परमानंद के अनुसार लड़के को सन्निपात की बीमारी है तथा प्रोफेसर पांडुरंग के अनुसार उसे स्नायु रोग है। यह सब सुनकर लड़का घबरा जाता है और चादर फेंककर उठते हुए कहता है कि मैं पूरी तरह होश में हूँ। न मुझे भ्रम है और न मुझे कुछ महसूस करने की जरूरत है। स्कूल में होने वाले नाटक जिसमें मुझे 2-3 घंटे बेहोशी का अभिनय करना है। मैं उसकी रिहर्सल कर रहा था।
III. निम्नलिखित वाक्य किसने किससे कहे?
- परहेज ही तो असली इलाज है।
उत्तरः इस वाक्य को वैद्य परमानंद ने बीमार स्त्री से कहा। - तुम भी खा लेना, गाय को भी खिला देना।
उत्तरः यह वाक्य वैद्य परमानंद ने किसान से कहा। - नहीं बेटे अपने बाप से भी बड़े हो जाते हैं।
उत्तरः यह वाक्य वैद्य परमानंद ने अध्यापक से कहा। - ठीक तो हो जाएगा, पर होश में नहीं आएगा।
उत्तरः यह वाक्य वैद्य परमानंद ने रमेश की माँ से कहा। - तुझे क्या हो गया था मेरे लाडले ?
उत्तरः यह वाक्य माँ ने अपने पुत्र रमेश से कहा।
IV) ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए :
१) मरना तो कोई भी नहीं चाहता, लेकिन मैंने अपने रोगियों को अक्सर मरते देखा है।
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘रिहर्सल’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक ओमप्रकाश आदित्य हैं।
संदर्भ : बीमार स्त्री जब वैद्य परमानंद के पास इलाज के लिए आती है तब स्त्री की नब्ज पकड़ते हुए परमानंद यह वाक्य कहते हैं।
स्पष्टीकरण : वैद्य परमानन्द के पास एक अधेड़ उम्र की स्त्री आती है और आकर बेंच पर बैठती है। वह बीमार है। स्त्री वैद्य परमानन्द को बतलाती है कि उसका दिल धड़कता है, नीन्द नहीं आती, आदि-आदि। यह सुनकर वैद्य जी उस स्त्री से कहते हैं कि उसका बचना मुश्किल हैं। स्त्री मरना नहीं चाहती। वैद्य से प्रार्थना करती है कि उसे बचाले। तब वैद्य परमानंद उक्त वाक्य को स्त्री से कहते हैं।
विशेषता:यह पंक्ति जीवन-मृत्यु की निश्चयता और जीने की लालसा को उजागर करती है।
२) हृदय का गुण ही धड़कना है।
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘रिहर्सल’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक ओमप्रकाश आदित्य हैं।
संदर्भ : प्रोफेसर पाण्डुरंग के पास बीमार स्त्री जब इलाज के लिए फिर आती है तब पाण्डुरंग कहते हैं कि उसे भ्रम हो गया है। स्त्री बतलाती है कि उसका हृदय धड़कता है।
स्पष्टीकरण : जब बीमार स्त्री ने कहा कि उसका हृदय धड़कता है तो प्रोफेसर पांडुरंग ने उससे कहा – हृदय तो मेरा भी धड़कता हैं, दुनिया में हर आदमी का धड़कता है। इसमें नयी बात क्या है? हृदय का काम ही धड़कना है। आप को दिल की कमजोरी है, बीमारी नहीं है जिसे धैर्य और कल्पना के सहारे ठीक किया जा सकता है।
विशेषता: रोग के प्रति गलत धारणाओं को तोड़कर धैर्य और सकारात्मक सोच का महत्व\
३) मुझे डर है कि कहीं यहाँ बैठे-बैठे मेरा दिल धड़कना बंद न कर दे।
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘रिहर्सल’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक ओमप्रकाश आदित्य हैं। –
संदर्भ : प्रोफेसर के इलाज के दौरान स्त्री झटके के साथ उठकर तेजी से बाहर जाते हुए यह वाक्य कहती है। स्पष्टीकरण : जब प्रोफेसर ने कहा – आपका दिल लोहे की तरह मजबूत हो जाएगा, तब स्त्री ने कहा – पांडुरंग जी! मुझे डर है कि कहीं यहाँ बैठे-बैठे मेरा दिल धड़कना बन्द न कर दे। मैं चलती हूँ, नमस्ते|
विशेषता:यह पंक्ति स्त्री की डरपोक प्रवृत्ति और अति-चिन्तन को व्यंग्यपूर्ण ढंग से दिखाती है।
४) इसे भ्रम हो गया है कि यह बेहोश है।
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘रिहर्सल’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक ओमप्रकाश आदित्य हैं।
संदर्भ : माँ कहती है कि यह बेहोश है और आपको कहानियाँ सूझ रही है प्रोफेसर परमानन्द तब कहते हैं कि इसे भ्रम हुआ है कि यह बेहोश है। .
स्पष्टीकरण : जब माँ कहती है – यह बेहोश है, आपको कहानियों की सूझ रही है। प्रोफेसर ने कहा – यह बेहोश नहीं है। परमानंद ने कहा – तो क्या है? तब प्रोफेसर ने कहा – इसे भ्रम हो गया है कि यह बेहोश है। असल में यह होश में ही है।
विशेषता : बीमारी को गंभीर न मानकर उसे केवल मानसिक भ्रम बताने का व्यंग्यपूर्ण ढंग झलकता है।
५) सन्निपात है वैद्य परमानंद को और स्नायुरोग है प्रोफेसर पांडुरंग को।
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘रिहर्सल’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक ओमप्रकाश आदित्य हैं।
संदर्भ : जब लड़का बेहोश हो जाता है तभी दोनों आपस में एक दूसरे से कहते हैं कि इसे स्नायु रोग है तो दूसरा इसे सन्निपात रोग कहता है।
स्पष्टीकरण : जब माँ ने कहा – हाय राम! ये तो रोग पर रोग बढ़ाये जा रहे हैं, तब लड़का कहता है – सन्निपात है वैद्य परमानंद को और स्नायुरोग है प्रोफेसर पांडुरंग को। मैं पूरी तरह होश में हूँ। न मुझे भ्रम है और न कुछ महसूस करने की जरूरत।
विशेषता : हास्य-व्यंग्य के माध्यम से रोग और उपचार की स्थिति पर चुटकी|
v. अन्य लिंग रूप लिखिए:
1) हाथी- हथिनी
(2) शेर- शेरनी
(3) गाय – बैल
(4) पिता – माता
(5) अध्यापक – अध्यापिका
(6) लड़का- लड़की
(7) भगवान- भगवती
VI .अन्य वचन के रूप लिखिए:
1) दुकान – दुकानें
(2) घंटा -घंटे
(3) किताब- किताबें
(4) मुद्रा- मुद्राएँ
(5) मूँछ- मूँछें
(6) सपना – सपने
VII. विलोम शब्द लिखिए:
1) बेहोश x होश
(2) मोटा x पतला
(3) मौत X बेमौत
(4) शीघ्र x विलंब
(5) छोटा x बड़ा

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