द्वितीय सोपान -पद्य भाग (मध्ययुगीन काव्य)
l.एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
- तुलसीदास किस पर विश्वास करते हैं?
उत्तरः तुलसीदास भगवान श्री राम पर विश्वास करते हैं। - तुलसीदास किसको आराध्य देव मानते हैं?
उत्तरः तुलसीदास भगवान श्री राम को आराध्य देव मानते हैं। - संत का स्वभाव कैसा होता है?
उत्तरः संत का स्वभाव पेड की तरह शांत होता है। - तुलसीदास खाया और मन की उपमा किसे देते हैं?
उत्तरः तुलसीदास काया को खेत और मन को किसान की उपमा देते हैं। - मधुर वचन से क्या मिटता है?
उत्तरः मधुर वचन से अभिमान मिट जाता है। - पंडित और मूर्ख एक समान कब लगते हैं?
उत्तरः काम क्रोध मद और लोग को मन में धारण करने पर, पंडित और मूर्ख एक समान लगते हैं। - तुलसीदास कहाँ जाने के लिए मना करते है?
उत्तरः तुलसीदास कहते हैं कि जहाँ जाने पर, आदर सत्कार न मिलता हो, वहाँ नहीं जाना चाहिए। - बिना तेज के पुरुष की अवस्था कैसी होती है?
उत्तरः बिना तेज़ की पुरुष की अवस्था राख के समान होती है।
ही व्यक्ति महान होता है।
।। .निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
- तुलसीदास की राम भक्ति का वर्णन कीजिए।
उत्तरः तुलसीदास कहते हैं कि मुझे केवल श्री राम प्रभु पर भरोसा है। वही हमारी आशा और बल है। जिस प्रकार स्वाति नक्षत्र में बारिश के पानी की पहली बूंद के लिए जातक पक्षी तरसता रहता है। उसी तरह मैं प्रभु श्री राम के दर्शन के लिए तरसता रहता हूँ। - तुलसीदास के अनुसार संत के स्वभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तरः तुलसीदास जी के अनुसार संत का स्वभाव फलदार आम के वृक्ष की तरह होना चाहिए। आम का वृक्ष दूसरों की भलाई के लिए ही फलता-फूलता है। जिस प्रकार मनुष्य आम को पाने के लिए पत्थर मारता है, तो उसके बदले में आम फल देता है। उसी प्रकार संतों को चाहिए कि वे लोक निंदा की परवाह न कर समाज को सुधारने के कार्य में लगे रहे। - तुलसीदास ने मधुर वचन के महत्व का कैसे वर्णन किया है?
उत्तरः मधुर वचन के बारे में तुलसी दासजी कहते हैं कि मीठी बोली बोलने से हमारे मन में रहने वाले अहंकार मिट जाते हैं ठीक वैसे ही जैसे की उफनते हुए दूध पर थोड़ा सा शीतल जल छिड़कने ही से उफनता हुआ दूध नीचे बैठ जाता है।
4 . तुलसीदास के अनुसार मनुष्य के जीवन में संतोष धन का क्या महत्व है?
उत्तरः दुनिया में कई प्रकार के धन होते हैं। जैसे- गोधन, गजधन, वाजिधन और रतन धन आदि। इन सबके रहते हुए भी इनको प्राप्त करने पर भी मनुष्य को संतुष्टि नहीं मिलती है। तुलसीदास जी कहते हैं कि जब संतोष रूपी धन हमें मिल जाता है तो ये सभी प्रकार के धन धूल के समान हो जाते हैं। अर्थात संतोष ही सबसे बड़ा धन होता है। - तुलसीदास कुल रीति के पालन करने के संबंध में क्या कहते हैं?
उत्तरः संत तुलसीदास जी कहते हैं कि हमें अपने कुल के रीति रिवाज अथवा कुल की परंपरा का कभी त्याग नहीं करना चाहिए। जो लायक हो उसी से ब्याह कीजिए। जो लायक हो उसी से बैर कीजिए और जो लायक हो उसी से प्रीति या प्रेम कीजिए।
III. ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:
- तुलसी काया खेत हैं, मंशा भयो किसान। पाप पुण्य दो बीज है, बुवै सौ लुनै निदान ॥
प्रसंग: प्रस्तुत दोहे को कवि तुलसीदास जी द्वारा लिखित तुलसी के दोहे बाद से लिया गया है।
संदर्भ: तुलसीदास ने लोगों से कहा है कि जैसा करम करते हो वैसा ही फल मिलता है।
स्पष्टीकरणः तुलसीदास बता रहे हैं कि हमारा शरीर खेत हैं और हमारा मन किसान है पाप और पुण्य ये दो प्रकार के बीज है। अब हम इनमें से जो बीज बोएंगे हमें वैसा ही फल मिलेगा।
विशेषताः अच्छा या बुरा फल पाना हमारे हाथ में है। लोगों को अपने कर्मों के अनुसार सुख या दुख मिलता है। - ‘काम, क्रोध, मद, लोभ की, जौ लौ मन में खान। तौ लौ पंडित मूरखौ, तुलसी एक समान ॥
प्रसंगः प्रस्तुत दोहे को कवि तुलसीदास जी द्वारा लिखित तुलसी के दोहे बाद से लिया गया है।।
संदर्भः प्रस्तुत दोहे में तुलसीदास ने लोगों से कहा है कि काम, क्रोध, लोभ, मोह अहंकार नहीं करना चाहिए।
स्पष्टीकरणः तुलसीदास कहते हैं कि जब तक हमारे मन रूपी खजाने में काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार स्थिर रहते हैं। तब-तक मूर्ख और पंडित एक समान होते हैं। एक साधारण मनुष्य जो उपरोक्त मनोविकारों से बचकर रहता है, वही महान होता है। नहीं तो बड़ा पंडित भी मूर्ख बन जाता है।
विशेषताः जिस व्यक्ति के पास काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार नहीं होता है, वही व्यक्ति महान होता है।

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