- मैं इरादा करता कि आगे से खूब जी लगाकर पढूँगा। (सरल वाक्य में बदलिए)
- मैं फटकार और घुड़कियाँ खाकर भी खेल-कूद का तिरस्कार नहीं कर सकता था। (संयुक्त वाक्य में परिवर्तित कीजिए)
- मैं मज़े से खेलता रहा और दरजे में भी अव्वल आया। (रचना की दृष्टि से वाक्य-भेद लिखिए)
- जब मैं भोर का सारा समय गुल्ली-डंडे की भेंट करके लौटा तो भाई साहब ने तलवार खींच ली। (रचना की दृष्टि से वाक्य-भेद लिखिए)
- मौका पाते ही हॉस्टल से निकलकर मैं मैदान में आ जाता। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
- हेडमास्टर साहब की डिग्री यहाँ बेकार हो गई। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
- जब से उनकी माताजी ने प्रबंध अपने हाथ में लिया है, घर में लक्ष्मी आ गई है। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
- बड़े बाज़ार के प्रायः मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था। (रचना की दृष्टि से वाक्य भेद लिखिए)
- जो बड़े-बड़े पार्क और मैदान थे उन्हें पुलिस ने सवेरे से ही घेर लिया था। (सरल वाक्य में बदलिए)
- जैसे ही अविनाश बाबू ने वहाँ झंडा गाड़ा पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। (रचना की दृष्टि से वाक्य भेद लिखिए)
- यहाँ भी बहुत-सा काम हो सकने के बारे में लोग सोचने लगे। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
- आस-पास बहुत बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गई, जिस पर पुलिस बीच-बीच में लाठी चलाती थी। (रचना की दृष्टि से वाक्य भेद लिखिए)
- धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस टूट गया और करीब कुछ स्त्रियाँ वहीं मोड़ पर बैठ गईं। (रचना की दृष्टि से वाक्य भेद लिखिए)
- दो सौ आदमियों का जुलूस लाल बाज़ार पहुँचकर गिरफ्तार हो गया। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
- “जो वॉलेंटियर थे वे अपने स्थान से लाठियाँ पड़ने पर भी हटते नहीं थे।” (सरल वाक्य में बदलिए)
Answer
- मैं आगे से खूब जी लगाकर पढ़ने का इरादा करता।
- मैं फटकार और घुड़कियाँ खाता लेकिन /फिर भी / पर/परंतु/किंतु खेल-कूद का तिरस्कार नहीं कर सकता था।
- संयुक्त वाक्य
- मिश्र वाक्य
- जैसे / ज्यों ही मैं मौका पाता वैसे / त्यों ही होस्टल से निकलकर मैदान में आ जाता ।
- हेडमास्टर की जो डिग्री थी वह यहाँ बेकार हो गई।
- उनकी माताजी ने प्रबंध अपने हाथ में ले लिया और घर में लक्ष्मी आ गई है।
- सरल वाक्य
- बड़े-बड़े पार्क और मैदानों को पुलिस ने सवेरे से ही घेर लिया था।
- मिश्र वाक्य
- लोग सोचने लगे कि यहाँ भी बहुत-सा काम हो सकता है।
- मिश्र वाक्य
- संयुक्त वाक्य
- दो सौ आदमियों का जो जुलूस था वह लालबाजार पहुँचकर गिरफ्तार हो गया ।/जब दो सौ आदमियों का जुलूस लालबाजार पहुँचा तब वह गिरफ्तार हो गया।
- लाठियाँ पड़ने पर भी वॉलेंटियर अपने स्थान से हटते नहीं थे।

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