।. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिएः
1. मीराबाई ने किसे अपना आराध्य देव माना है?
उत्तरः मीराबाई ने गिरधर गोपाल को (श्रीकृष्ण) अपना आराध्य देव माना है।
2. मीराबाई ने किसके लिए सारा जग छोड़ा?
उत्तरः मीराबाई ने श्रीकृष्ण गिरधर गोपाल के लिए सारा जगह छोड़ा।
3. मीराबाई ने किसकी संगति में बैठकर लोक लाज छोड़ा?
उत्तरः मीराबाई ने साधुओं की संगति में बैठ कर लोक लाज छोड़ा।
4. मीराबाई ने कृष्ण प्रेम को किससे सींचा?
उत्तरः मीराबाई ने कृष्ण प्रेम को आंसुओं से सींचा।
5. विष का प्याला किसने भेजा था?
उत्तरः विष का प्याला राणासांगा ने भेजा था।
6. मीराबाई की लगन किस में लगी है?
उत्तरः मीराबाई की लगन अपने ईस्ट गिरधर गोपाल में लगी है।
7. श्रीकृष्ण के चरण कमल कैसे हैं?
उत्तरः श्रीकृष्ण के चरण कमल अविनाशी है।
8. किसका घमंड नहीं करना चाहिए?
उत्तरः शरीर का घमंड नहीं करना चाहिए।
9. संसार किसका खेल है?
उत्तरः संसार चिड़ियों का खेल है।
10. मीराबाई किन बंधनों को नष्ट करने के लिए प्रार्थना करती है?
उत्तरः मीराबाई संसारिक बंधनों को नष्ट करने के लिए प्रार्थना करती है।
II निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
. मीराबाई की कृष्ण भक्ति का वर्णन कीजिए।
उत्तर: मीराबाई कृष्ण के अनन्य भक्त हैं। सब कुछ श्रीकृष्ण के लिए समर्पित करती है। वह कहती हैं कि मेरे तो केवल गिरधर गोपाल हैं, दूसरा कोई नहीं है। इसी कारण मैंने उसे पाने के लिए भाई-बंधु समस्त परिवार को छोड़ दिया है। साधु-संतों की संगति में बैठकर लोक-लाज खोया हूँ। मैं अपने आंसुओं से सींच-सींच कर अपने हृदय में कृष्ण के प्रेम की बीज बोया है। जब राणा संगा ने मुझे कृष्ण भक्ति से विमुख करने के लिए विष का प्याला भेजा तो मैंने प्रसन्नता से उस विष को पी लिया। मैं तो केवल गिरधर गोपाल कृष्ण से लगी हुई है। यह कभी छूट नहीं सकती।
2. मीराबाई ने जीवन के सार तत्व को कैसे अपना लिया?
उत्तरः मीराबाई ने अपने इष्ट गिरधर गोपाल की सच्चे मन से भक्ति की हैं। उसने जीवन के सार तत्व को अपना लिया है। अर्थात तीर्थाटन, व्रत, उपवास अथवा काशी में करवट लेने से कुछ फायदा नहीं है। यह केवल दिखावटी है। इससे भगवान की प्राप्ति कभी नहीं हो सकती है। ऐसी भक्ति केवल पाखंडी लोग करते हैं। मैंने सच्चे मन से गिरधर गोपाल की भक्ति किया है। मैंने अपने आंसू से सींचा है।
3. मीराबाई ने जीवन की नश्वरता के संबंध में क्या कहा है?
उत्तरः मीराबाई के अनुसार धरती और आसमान में जितनी दूर तक दृष्टि जाए सब कुछ नश्वर है। जो जन्म लेता है वह एक-न-एक दिन अवश्य मरता है। यह शरीर नश्वर है। इस नाशवान शरीर के लिए कभी भी गर्व नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह शरीर मिट्टी से बना है और मिट्टी में मिल जाएगी। यह जीवन चिड़ियों का खेल है। जिस तरह से चिड़िया सुबह होते दिखाई देती है और शाम होते-होते वह लुप्त हो जाती है। उसी तरह मनुष्य का जीवन है। जो जन्म लेता है। उसे एक दिन-न- एक दिन उसे मर जाना है, फिर क्यों अपने शरीर पर गर्व (घमण्ड) करना है।
4. मीराबाई सांसारिक बंधन से क्यों मुक्ति चाहती है?
उत्तरः मीराबाई का मानना है कि इस संसार में जो आता है, वह मोह माया के बंधन में फंस जाता है और वह ऐसी स्थिति में ईश्वर को नहीं पा सकता है। उसे मुक्ति या मोक्ष भी मिलना कठिन हो जाता है। इस आकाश और भूमि के बीच दिखाई देने वाला हर चीज, सब कुछ नष्ट होने वाला है। तीर्थाटन, व्रत, उपवास अथवा काशी में करवट लेने से कुछ फायदा नहीं। इसलिए शरीर का घमंड नहीं करना चाहिए। यदि ईश्वर को पाना है और मोक्ष पाना है, तो संसार के बंधनों से छुटकारा पाना अति आवश्यक है। इसलिए मीराबाई इस सांसारिक बंधन से मुक्ति चाहती है।
III. संदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:
1. म्हारां री गिरधर गोपाल दूसरां कूयां।
दूसरां न कोवां साधां सकल लोक जूयां।
भाया छांड्या बंधां छांडया सगां सूयां।
साधा संग बैठ बैठ लोक लाज खूया।
भगत देख्यां राजी ह्रयां जगत देख्यां रुयां।
प्रसंगः प्रस्तुत पद को कवयित्री-मीराबाई के के द्वारा लिखित ‘मीराबाई के पद’ कविता पाठ से लिया गया है।
संदर्भः प्रस्तुत पद के द्वारा मीराबाई ने भगवान श्रीकृष्ण के प्रति आत्मसमर्पण के बारे में बताया है।
स्पष्टीकरणः मीराबाई कहती हैं कि मेरे तो गिरधर गोपाल हैं, दूसरा कोई नहीं है। साधु-संतों के बीच बैठकर मैं खुश हूँ और अपने इष्ट की प्राप्ति के लिए ही मैंने भाई-बंधु तथा अपने सगे पने सगे संबंधी संबंधियों को छोड़ दिया है। साधु-संतो के बीच बैठकर मैंने लोक लाज त्याग दी है। भक्तों की संगती मुझे खुशी देती है। जगत के लोगों का इस तरह संसार रूपी माया-जाल में फंसा देखकर मुझे रोना आता है। लोग इस बात को नहीं जानते हैं कि मैं तो कृष्ण की दीवानी हो गई हूँ।
विशेषताः मीराबाई ने बताया है कि संसारीक लोक-लाज को त्याग कर भगवान श्रीकृष्ण की शरण में जाने से मनुष्य को मोक्ष मिलती है।

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