।.एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
1. कवयित्री ने शैशव प्रभात में क्या देखा?
उत्तरः कवयित्री ने शैशव प्रभात में नव विकास देखा।
2. कवयित्री ने यौवन के नशे में क्या देखा?
उत्तरः कवयित्री ने यौवन के नशे में यौवन का उल्लास देखा।
3. कवयित्री ने किसका विकास देखा?
उत्तरः कवयित्री ने आशा का विकास देखा।
4. कवयित्री ने किसका प्रकाश देखा?
उत्तरः कवयित्री ने आकांक्षा, उत्साह तथा प्रेम का विकास देखा।
5. कवयित्री को किसने कभी नहीं रुलाया?
उत्तरः कवयित्री को जीवन में निराशा ने कभी नहीं रुलाया।
6. कवयित्री ने हमेशा किस प्रकार का व्यवहार किया?
उत्तरः कवयित्री ने सदा सबसे मधुर प्यार का ही व्यवहार किया।
7. कवयित्री को प्रेम का क्या दिखाई देता है?
उत्तरः कवयित्री को प्रेम का सागर दिखाई देता है।
II .निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
1. उल्लास कविता के आधार पर मानव हृदय में उठने वाले भावों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः मानव हृदय में शैशव काल में नव विकास देखा जा सकता है। यौवन या युवा अवस्था में यौवन का उल्लास देखा जा सकता है। इसी प्रकार आकांक्षा, उत्साह और प्रेम का भी क्रमिक प्रकाश देखा जा सकता है।
2. कवयित्री ने जीवन के संबंध में क्या कहा है?
उत्तरः कवयित्री ने जीवन के संबंध में कहा है कि कभी निराश नहीं होना चाहिए। निराश होने में रोना नहीं चाहिए। यह संसार झूठा है। ऐसे भाव भी मन में नहीं लानी चाहिए। शत्रु की पहचान के लिए न घृणा करें और न कभी अशांति का वातावरण महसूस करें।
3. उल्लास कविता का आशय संक्षेप में लिखिए।
उत्तरः जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण रखना इस कविता का मुख्य आशय है। जीवन में हर समय हर्ष व उल्लास से रहना चाहिए। अशांति, घृणा को त्यागकर, सबसे प्रेम के साथ व्यवहार करना चाहिए। हम लोगों में प्यार बांटेंगे तो हमें प्यार ही मिलेगा। घृणा से व्यवहार करेंगे तो समाज में घृणा और अशांति फैलेगी। यही इस कविता का आशय है।
III. संदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:
1. ‘जीवन में न निराशा मुझको, कभी रुलाने को आई। जग झूठा है, यह विरक्ति भी, नहीं सिखाने को आई ॥’
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखित ‘उल्लास’ कविता पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: कवयित्री ने जीवन में कभी निराशा न लाने के लिए कहा है।
स्पष्टीकरणः प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री का जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्त होता है। उनके अनुसार जीवन आशा की भावना को दर्शाता है। निराशा को उन्होंने अपने जीवन में स्थान नहीं दिया है। जग के प्रति झूठा होने का अहसास उन्हें नहीं हुआ है। जीवन के प्रति उसे वैराग नहीं बल्कि प्रेम है। उनकी नजर में मनुष्य का आशापूर्ण मनोभाव ही उसके सुख की पूंजी है। लौकिक जीवन में प्रत्येक जन या वस्तु के प्रति विश्वास रखकर सुख और शांति से जीना चाहिए।
विशेषताः जीवन में प्रत्येक जन या वस्तु के प्रति विश्वास रखकर सुख और शांति से जिंदगी जीना चाहिए।
2. ‘मैं हूँ प्रेममयी, जग दिखता मुझे प्रेम का पारावार। भरा प्रेम से मेरा जीवन, लुटा रहा है निर्मल प्यार ॥
प्रसंगः प्रस्तुत वाक्य को कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखित ‘उल्लास’ कविता पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: कवयित्री ने लोगों से कहा है कि है कि सब के साथ प्रेम और निर्मल व्यवहार रखना चाहिए।
स्पष्टीकरणः कवयित्री जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण अपनाते हुए कहती हैं कि मैं प्रेममयी हूँ। मेरा जीवन प्रेम से भरा हुआ है। यह संसार मुझे प्रेम रूपी सागर के समान दिखता है। संसार के कण-कण में प्रेम बसा है। मैं इस निर्मल प्रेम को सभी पर लुटा रही हूँ।
विशेषताः मनुष्य को सब के साथ प्रेम और निर्मल व्यवहार रखना चाहिए।

Leave a comment