1. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिएः
1. बच्चन जी ने किस प्रकार के गीत बनाए हैं?
उत्तरः बच्चन जी ने गूंज-गूंज कर मिटने वाले गीत बनाएँ हैं।
2. कवि- बच्चन जी ने क्या लूटा लुटाया?
उत्तरः कवि- बच्चन जी ने कविताओं का कोष लुटाया।
3. कवि- बच्चन क्या खोकर रंक हुए?
उत्तरः कवि- बच्चन जी ने अपनी निजी निधि खोकर रंक हुए।
4. दुनिया कैसी है?
उत्तरः दुनिया ममतामयी है।
5. सूख की एक साँस पर क्या निछावर है?
उत्तरः सूखी एक साँस पर अमरत्व निछावर है।
6. कवि- बच्चन जी का जीवन कैसे बीता?
उत्तरः कवि- बच्चन जी का जीवन दुख में बीता।
II निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
1. बच्चन जी ने जग में क्या लुटाया और क्यों?
उत्तरः समाज के प्रति उदार वादी दृष्टिकोण रखने वाले बच्चन जी ने गूंज-गूँज कर मिटने वाले गीत बनाए। जब-जब समाज के लोगों ने उनके सामने हाथ फैलाए। बच्चन जी ने अपने सुमधुर गीतों का कोष लुटाया। जिससे उनका गीत सार्थक बन गया। कवि अपने गीतों को लोगों से सुना सुनाकर अपने गीतों को वर्णों को खोकर वे गरीब हो गए। यह कोष उनके लिए निधि के समान था। इसे लुटाकर कवि अपने जीवन को सार्थक समझता है।
2. बच्चन की पाठकों को क्या-क्या भेंट देते हैं?
उत्तरः बच्चन जी ने गूँज गूँज कर मिटने वाले गीत बनाए थे। वे जानते हैं कि पाठक उनके गीत को गाकर उसे अमर कर दे। पाठकों के प्रति अपनी कृतज्ञता देकर ऐसा करना चाहते हैं, जिसे देखकर उन्हें कोई हानि न हो और बदले में पाठकों को सब कुछ मिल जाए। इस दान को स्वीकार करके पाठक उनके दान को अमर कर देंगे।
3. बच्चन जी ने संसार और जीवन के संबंध में क्या कहा है?
उत्तरः बच्चन जी संसार और जीवन के संबंध में कहते हैं कि जब-जब इस जग ने हाथ फैलाए, तो मैंने अपना कोष लूटा दिया। इतना ही नहीं अपनी संपूर्ण निधि (संपत्ति) दे कर स्वयं रंक (गरीब) हो गए। मैंने चाहा कि कम से कम तुम मेरा गाना गाओगे तो, मेरा गाना अमर हो जाएगा। पर ऐसा नहीं हुआ। इस बहु रूपी संसार को मैंने सराहा। इसे ममता भी दी। फिर भी मेरी तमन्ना हैं कि मेरा गान अमर हो जाए।
4. बच्चन जी की कविता का मूल भाव लिखिए।
उत्तरः बच्चन जी समाज के प्रति मनुष्य का दायित्व एवं विश्व के प्रति उदार वादी दृष्टिकोण इस कविता का विषय है। आज विश्व में हर जगह दुख-दर्द का ही प्रभाव है। हर्ष, उल्लास प्रेम का भावना चाहते हैं। मधुर गान वाली कोकिला का गाना दुख दर्द का गान है। दुनिया के लोगों से कवि कहते हैं कि उसका जीवन दुख में ही बीता है। आज जीवन के अंतिम दिनों में कवि पाठकों से उनका गाना गाकर अमर करने को कहते हैं।
III. ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:
1. ‘जब-जब जग ने पर फैलाये
मैंने कोस लुटाया, रंक हुआ मैं निज निधि खोकर, जगती ने क्या पाया?
प्रसंग: प्रस्तुत पद को कवि-हरिवंशराय बच्चन जी द्वारा लिखित ‘तुम गा तो मेरा गान अमर हो जाए’ कविता पाठ से लिया गया है।
संदर्भः प्रस्तुत पद के माध्यम से कवि ने लोगों से बताया है कि मैं दुनिया के लिए अपना कोष लुटाया हूँ।
स्पष्टीकरणः कवि कहते हैं कि जब भी इस जग ने हाथ फैलाए तो मैंने अपना कोष लुटाया और अपनी संपत्ति दूसरों को दे कर मैं स्वयं रंक हो गया। आखिर इस संसार में मैंने क्या पाया।
विशेषताः यश पाने के लिए इस संसार में कुछ दान-पुण्य करना पड़ता है।
2. ‘दुख से जीवन बीता फिर भी शेष अभी कुछ रहता जीवन की अंतिम घड़ियों में
भी तुम से यह कहता
प्रसंगः प्रस्तुत पद को कवि-हरिवंशराय बच्चन जी द्वारा लिखित ‘तुम गा तो मेरा गान अमर हो जाए’ कविता पाठ से लिया गया है।
संदर्भः प्रस्तुत पद के माध्यम से कवि बता रहे हैं कि दुख में भी जीवन जीने के लिए सीखना चाहिए।
स्पष्टीकरणः बच्चन जी कहते हैं कि मेरा जीवन यद्यपि बहुत दुख से बीता है। तथापि मैंने सदा यही चाहा कि जीवन की अंतिम घड़ियों तक सुख की एक सांस के लिए अमरत्व को निछावर कर दूँ।
विशेषताः कवि बता रहे हैं कि दुख में भी जीवन जीने के लिए सीखना चाहिए।

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