1. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिएः
- कवि किस प्रकार आगे बढ़ने के लिए कहते हैं?
उत्तरः कवि कदम साधकर आगे बढ़ने के लिए कहते हैं।
2. कवि किसके साथ होने की बात कहते हैं?
उत्तरः कवि चंदा और तारे के साथ होने की बात कहते हैं।
3. कवि किसे अपनी व्यथा सुनाने के लिए कहते हैं?
उत्तरः कवि अपनी सारी व्यथा चंदा-तारे को सच्चा साथी जानकार सुनाने के लिए कहते हैं।
- पथ पर बार-बार क्या टकराती हैं?
उत्तरः पथ पर बार-बार बाधाएँ टकराती हैं।
5. कवि बीच राह में कैसे न रुकने को कहते हैं?
उत्तर: कवि डरकर न रुकने को कहते हैं।
6. वीर काँटों को क्या समझता है?
उत्तरः वीर काटों को भी फूल समझता है।
7. वीर किससे हाथ मिलाता है?
उत्तरः वीर विपदाओं से हाथ मिलाता है।
।।. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
1. मत घबराना कविता में प्रकृति को प्रेरणा स्रोत क्यों कहा गया है?
उत्तरः हमारे साथ कोई रहें या न रहे परन्तु चंदा और तारे हमेशा साथ रहते हैं। ये हमारा दर्द बांट लेंगे। अपनी बात कहेंगे। ये नदियां और झरने हर दम हँसते गाते आगे बढ़ने को कहेंगे। कवि प्रकृति को प्रेरणा का स्रोत मानता है। प्रकृति हमारा साथ देती है और आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देती है।
2. कवि ने जीवन की किन विशेषताएं का उल्लेख किया है?
उत्तरः कवि कहता है कि जीवन में कई बाधाएं आती है और वे हमें रोकती है। तितलियाँ भी अपने सुंदर रंग-बिरंगे पंखों से हमें अपनी ओर आकर्षित करती है। रोकने की कोशिश करती है। ऐसे स्थिति में बाधाओं से न डरकर और तितलियों से न ललचाकर हमें बीच राह में नहीं रुकना चाहिए। हमें नदियों की तरह अकेले ही निडर होकर आगे बढता रहना चाहिए। यही जीवन की विशेषताएं हैं।
3. मंजिल किन्हें मिलती है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः मत घबराना कविता में कवि नव युवकों को जीवन पथ पर हमेशा आगे बढ़ने का संदेश देते हैं। प्रकृति को प्रेरणा के रूप में चित्रित करते हुए कवि ने कहा है मंजिल उन्हीं को मिलती है, जो बाधाओं को चुनौती देकर धीर-वीर के समान आगे बढ़ते हैं। जो काँटों को फूल समझ कर विपदाओं को स्वीकार करते हैं। जो कायर नहीं है, जो बहाने बनाकर निष्क्रिय नहीं होते हैं। वहीं मंजिल को हासिल कर लेते हैं।
ससंदर्भ व्याख्या
1. ‘जन्मों के जीवन मृत्यु मीत! मेरी हारों की मधुर जीत! झुक रहा है तुम्हारे स्वागत में मन का मन शिर-शिर विनीत।’
प्रसंगः प्रस्तुत कविता को कवि- डॉ. सरगु कृष्णमूर्ति द्वारा लिखित ‘तुम आओ मन के मुग्ध मीत’ कविता पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: प्रस्तुत कविता में कवि जन्म और मृत्यु के बारे में कहा है।
स्पष्टीकरणः कवि अपने मुग्ध मित्र से बिछड़ गया है। वह उनका अंतरंग मित्र है। जन्म जन्मांतर का मीत है। जीवन और मृत्यु के साथ देनेवाला एवं पराजयों के दुख के जीत की खुशी में बदलने वाला मीत है। इस प्रिय मित्र के स्वागत में कवि नतमस्तक है। उसका मन श्रद्धा से झुक गया है।
विशेषताः कवि अपने मित्र के साथ नतमस्तक है।
2 . ‘दुख दैन्य अश्रु दारिद्रय धार-कर गए मुझे ही मनोनीत तूफान और इस आंधी में सुनवाने रज का जीव गीत।’
प्रसंगः प्रस्तुत कविता को कवि- डॉ. सरगु कृष्णमूर्ति द्वारा लिखित ‘तुम आओ मन के मुग्ध मीत’ कविता पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: कवि दुख और दरिद्रता के बारे में कहा है।
स्पष्टीकरणः कवि अपने मित्र से कहते हैं कि मैं दुख भरी दरिद्रता व दीनता में घिर गया हूँ। तुम आओ और इस आंधी तूफान के थपेड़ों से बचा लो। आशा है तुम मेरी व्यथा मिटा दोगे। क्योंकि तुम ही मेरे मधुर मीत हो। इस तरह कवि अपनी भावना अपने मित्र के सामने व्यक्त करता है।
विशेषताः कवि अपनी भावना मित्र के पास व्यक्त कर रहा है।
3. मत घबराना कविता का संदेश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः मत घबराना कविता में कवि युवकों को संदेश देते हैं कि जीवन के पथ पर सदा आगे बढ़ते रहना चाहिए। साथ कोई हो या न हो प्रकृति माता सदा हमारे साथ रहेंगी। प्रकृति से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। यही कविता का संदेश है।
III. संदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:
- ‘मंजिल सदा खुशी को मिलतीं धीर वीर जो बढ़ता जाता।
काँटों को भी फूल समझता, विपदाओं से हाथ मिलाता।
कायर तो घबराते वे ही, वीर करते कभी बहाना।
प्रसंगः प्रस्तुत पंक्तियों को कवि डॉक्टर रामनिवास ‘मानव’ द्वारा लिखित मत घबराना कविता पाठ से लिया गया है।
संदर्भ: इस संदर्भ में कवि हमेशा आगे बढ़ने के लिए कहते हैं।
स्पष्टीकरणः कवि कहता है कि मंजिल सदा उसी को मिलती है, जो धीर वीर बनकर आगे बढ़ता है। जो काँटों को फूल समझकर विपत्तियों से हाथ मिलाकर आगे बढ़ता है और डरने का बहाना न बनाकर जो आगे बढ़ता है। वही जीवन में सफल होता है।
विशेषताः जो काँटों को फूल समझकर विपत्तियों से हाथ मिलाकर आगे बढ़ता है। वही सफल होता है।

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