1 एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
1. चाचा मंगलसेन चिलम थामे क्या देख रहा था?
उत्तरः चाचा मंगलसेन चिलम थामे देख रहा था कि मैं संबंधियों के घर बैठा हूँ और वीर जी की सगाई हो रही है।
2. घर का पुराना नौकर कौन था?
उत्तरः घर का पुराना नौकर संतू था।
3. सन्तू की पीठ पर क्या पड़ी?
उत्तरः सन्तू की पीठ पर चाबुक पड़ी।
4. किसका स्वप्न सचमुच सरकार हो उठा?
उत्तरः मंगलसेन का स्वप्न सचमुच सरकार हो उठा।
5. लड़की की पढ़ाई कहाँ तक हुई थी?
उत्तरः लड़की की पढ़ाई बी.ए. तक हुई थी।
6. बाबूजी के सामने कितनी चांदी की कटोरियाँ रखी हुई थी?
उत्तरः बाबूजी के सामने तीन चांदी की कटोरियाँ रखी हुई थी।
7. वीरजी की बहन का नाम क्या है?
उत्तरः वीरजी की बहन का नाम मनोरमा है।
8. प्रभा की सगाई किनके साथ हुई?
उत्तरः प्रभा की सगाई वीरजी के साथ हुई।
9. एक चम्मच की कीमत कितनी मानी गई?
उत्तरः एक चम्मच की कीमत पाँच रुपये मानी गई।
10. प्रभा का भाई वीर जी के घर क्या देने आया था?
उत्तरः प्रभा का भाई वीरजी के घर चम्मच देने आया था।
Ii . निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
1. वीरजी के परिवार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तरः वीर जी का परिवार संपन्न था। वीर जी पढ़े-लिखे थे और शहर में रहते थे। परिवार में उनके माता-पिता थे। एक शरारती मिज़ाज वाली छोटी बहन थी जिसका नाम मनोरमा था। घर पर मंगलसेन नाम के रिश्ते के एक चाचा रहते थे। जो स्वयं को इनके परिवार का अभिन्न अंग मानते थे। घर का पुराना नौकर संतू था, जो मंगलसेन से ज्यादा हिल-मिल गया था। वीरजी अविवाहित थे। किंतु प्रभा नाम की एक पढ़ी-लिखी सुन्दर कन्या से उनकी सगाई होने वाली थी। वीरजी बहुत भावुक थे। वे प्रभा से प्रेम करते थे और उससे सरल विवाह करना चाहते थे।
2. मंगलसेन को अपनी हैसियत पर क्यों नाज था?
उत्तरः मंगल सेन को अपनी हैसियत पर बड़ा नाज था। किसी जमाने में वे फौज में रह चुके थे। इस कारण अब भी वे सिर पर खाकी पगड़ी पहनते थे। खाकी रंग सरकारी रंग है। पटवारी से लेकर बड़े-बड़े इंस्पेक्टर तक सभी खाकी पगड़ी पहनते हैं। वे ऊंचा खदान और शहर के धनी मनी भाई के घर में रहते थे। इसलिए उन्हें हैसियत पर नाज था।
3. सन्तू का परिचय दीजिए।
उत्तरः सन्तु वीरजी के घर पर संतू नाम का एक नौकर था। इस घर का वह पुराना नौकर था। सन्तू बार-बार मंगल सेन से कहता था कि बाबूजी वीरजी की सगाई मैं आपको नहीं ले जाएंगे। यह कहकर मंगलसेन का मजाक उड़ाया करता था। मंगलसेन का स्वप्न साकार होते देख वह बोला तुम जीत गए बस वेतन मिलते ही तुम्हें ₹2 दे दूंगा। जबकि संतू नौकर था और मंगलसेन समधी थे। सन्तू कभी-कभी कामकाजों में उदासीन भी रहता था। इसलिए उसे डांट खानी पड़ती थी।
4. ससंधियों के घर मंगलसेन की आवभगत कैसे हुई?
उत्तरः संधियों के घर मंगलसेन की आवभगत बहुत ही जोरदार तरीके से की गई। मंगलसेन एक आराम कुर्सी पर बैठा था एक आदमी पीछे पंखा चला रहा था। सभी आगे-पीछे घूम रहे थे। क्या लाऊँ? क्या सेवा करूँ? इस प्रकार कहते थकते नहीं थे। इस प्रकार मंगलसेन की आवभगत श्रद्धा के साथ ठाट-बाट से की गई थी।
5. बाबूजी सगाई में केवल सवा रुपए ही क्यों लेना चाहते थे?
उत्तरः बाबूजी पुरानी रस्मों को बदलना चाहते थे। वे समधियों को दिल दुखाना नहीं चाहते थे। बाबूजी शादी विवाह में पैसे बर्बाद करना नहीं चाहते थे। उनसे दिए गए सवा रुपए बाबूजी के लिए 1,25,000 के बराबर था। इन चीजों में उनका विश्वास नहीं था। यदि कुछ लिया तो वसूल की बात होगी। इसलिए बाबूजी सगाई में केवल सवा रुपये ही लेना चाहते थे।
6. समधी अंदर से थाल में क्या-क्या लेकर आए?
उत्तरः समधी अंदर से एक थाल ले आए और बाबूजी के सामने रख दिया। उस पर लाल रंग का रेशमी रुमाल बिछा था। बाबूजी ने रूमाल उठाया तो नीचे चांदी के थाल में चांदी की तीन चम्मच चमकती कटोरियाँ रखी हुई थी। एक में केसर, दूसरी कटोरी में रंगा हुआ धागा और तीसरी कटोरी में एक चमकता हुआ चांदी का एक रुपया और चमकती एक चवन्नी था। इसके अलावा तीनों कटोरियों में तीन छोटे-छोटे चांदी के चम्मच रखे हुए थे।
7. चम्मच खो जाने पर वीरजी की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तरः जब मंगलसेन बाबूजी के साथ वीरजी को सगाई में लेकर जाते हैं, तब वहाँ ससंधि उनका आवभगत करते हैं। बहुत मना करने पर भी ससंधि बाबूजी को सगाई में तीन कटोरिया और तीन चम्मच और सवा रुपये देते हैं। वापस लौटने पर उसमें से एक चम्मच नहीं रहता है। यह सुनकर वीरजी को क्रोध होता है। प्रभा द्वारा भेजा गया चम्मच मंगल-सेन ने खो दिया है। मंगलसेन की तलाशी ली जाती है। और वीरजी की बहन उनका मजाक उड़ाती है। वीरजी सहसा आवेश में आकर मंगलसेन के पास जाकर दोनों कंधों को पकड़कर झकझोर देता है। वह कहता हैं आपको इसीलिए भेजा था कि आप चीजें गंवा दें।
8. खून का रिश्ता कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तरः उनका रिश्ता कहानी में भीष्म सहनी जी ने सगाई की रस्म, रिश्तेदारों की अहमियत, सगाई में सवा रुपए लेना, आतिथ्य सत्कार आदि घटनाओं का सजीव चित्रण किया है। आज के चकाचौंध भरे माहौल में सरल विवाह की महत्व तथा खून के रिश्तों एवं पारिवारिक रिश्तों को निभाने पर बल देने के उद्देश्य से यह कहानी लिखा गया है।

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